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चुनाव, पार्टी पॉलिटिक्स और भगवन राम

ram mandir politics

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Ram Mandir Politics: चुनावी सरगर्मी जोरों पर है. कुछ जाति का कार्ड खेल रहे हैं तो कुछ मजहब का. कुछ तथाकथित विकास की भी बात कर रहें हैं तो कुछ महानुभाव धर्मों का चोला ओढ़ाने का काम कर रहें हैं. अब ऐसी स्थिति में भगवान् राम के नाम को ना उछाला जाए भला ऐसा भी संभव है क्या? भारतीय लोकतंत्र की दो प्रमुख पार्टिया यानी भाजपा और कांग्रेस भगवान् राम को लेकर फिर से एक बार चुनावी दंगल में हैं.

बीजेपी का स्टैंड

रूलिंग पार्टी का कहना है कि ये मोदी के नेतृत्व का ही देन हैं कि आज भारत में राम मंदिर बन कर तैयार है. इतना ही नहीं एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए माननीय प्रधान मंत्री मोदी ने कहा है कि भाजपा आई तो राम लला टेंट से मंदिर में आए, अगर फिर से यूपी में कांग्रेस-सपा आती है तो ये प्रभु श्री राम को फिर से तम्बू में ही लेजाएंगे.

कांग्रेस का स्टैंड

अब भाजपा या भाजपा के किसी शीर्ष नेता द्वारा राम लल्ला का नाम लेकर आरोप लगाया जाए और कांग्रेस उस पर कोई टिका-टिपण्णी ना करे. ऐसा तो कभी हुआ ही नहीं है. पीएम मोदी के बात को कोट करते हुए कांग्रेस के शीर्ष नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत भी राम नाम के इस दंगल में कूद पड़े हैं। उन्होंने कहा है, ” मंदिर का निर्माण न्यायलय के आदेश पर हुआ है. अगर केंद्र में NDA की जगह UPA की सरकार होती तो भी मंदिर बनना निश्चित ही था. अब जनता समझ चुकी है कि पीएम मोदी चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जा सकते है.” हम आपको यहाँ एक बात से अवगत करना चाहेंगे कि जब कोर्ट में राम मंदिर का मामला चल रहा था तब इसे मंदिर ना बनने देने के पक्ष के जो पक्षधर थे, उनका नाम कपिल सिब्बल है. ये कांग्रेस के राज्य सभा संसद हैं और पेशे से वकील.

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यूपी के माननीय मुख्यमंत्री योगी जी भी इन लांछनों को लगाने और चुनावी दलीलों को पेश करने से अछूते नहीं है. हाल ही में एक जान सभा को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा था, ” सपा-कांग्रेस व पाकिस्तान भारत, भारतीयता और मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के विरोध में हैं. इंडी गठबंधन के नेता लालू यादव चाहते हैं कि OBC को दी जाने वाली आरक्षण मुसलामानों को दे दी जाए.”

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