Raksha Bandhan: कब है राखी बांधने का शुभ मुहूर्त? और क्या है पूजन विधि?

9 august 2025 raksha bandhan muhurat

Raksha Bandhan: कब है राखी बांधने का शुभ मुहूर्त? और क्या है पूजन विधि?रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. इस दिन बहनें भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और उनके मंगलमयी जीवन की कामना करती हैं. इस बार रक्षाबंधन का त्योहार 9 अगस्त को है. रक्षाबंधन का त्योहार 9 अगस्त 2025, शनिवार को मनाया जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. पूरे देश में रक्षाबंधन का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. रक्षाबंधन भाई-बहनों के बीच प्यार और सुरक्षा का त्योहार है. ज्योतिषियों की मानें तो, भद्रा के साये में राखी कभी नहीं बांधनी चाहिए. तो चलिए जानते हैं कि क्या इस बार भद्रा का साया रहेगा और क्या रहेगा राखी का सबसे शुभ मुहूर्त ?

भद्रा की टाइमिंग (9 august 2025 raksha bandhan muhurat)

इस साल सावन की पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 9 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, रक्षाबंधन का पर्व इस बार 9 अगस्त को ही मनाया जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार 9 अगस्त को पूरे दिन राखी बांधने का त्योहार रहेगा. लेकिन, खास बात यह है कि इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं लगेगा. दरअसल, भद्रा 9 अगस्त को तड़के 1 बजकर 52 मिनट पर समाप्त हो जाएगी और उसके बाद 9 अगस्त की सुबह से राखी बांधने का शुभ मुहूर्त शुरू हो जाएगा. संयोग की बात यह है कि 4 साल बाद ऐसा योग बन रहा है जब रक्षाबंधन पर भद्रा नहीं लग रही है

राखी बांधने का ये रहेगा मुहूर्त

ज्योतिषियों के अनुसार, 9 अगस्त को राखी बांधने का मुहूर्त सुबह 5 बजकर 47 मिनट से शुरू होगा, जो कि दोपहर 1 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगा. यानी राखी बांधने के लिए पूरे 7 घंटे 37 मिनट का समय मिलेगा. इसके अलावा, आप चाहें तो इस दिन बनने जा रहे शुभ योगों में भी राखी बांध सकते हैं जिनमें सर्वार्थ सिद्धि योग, श्रवण नक्षत्र और धनिष्ठा नक्षत्र खास हैं. साथ ही, 9 अगस्त का दिन ग्रह-नक्षत्र के नजरिए से भी खास माना जा रहा है क्योंकि इस दिन बुध कर्क राशि में उदय होने जा रहे हैं.

रक्षाबंधन की पूजन विधि (Raksha Bandhan Pujan Vidhi)

रक्षाबंधन की शुरुआत बहन भाई को सामने बिठाकर उसकी कलाई पर राखी बांधने से होती है. पहले भाई के माथे पर रोली से तिलक किया जाता है और फिर उसकी उंगली पर अक्षत (चावल) लगाए जाते हैं. इसके बाद भाई की खुशहाली के लिए थाली में दीपक जलाकर उसकी आरती उतारी जाती है. इसके बाद बहन मिठाई खिलाकर भगवान से प्रार्थना करती है कि उसका भाई हमेशा स्वस्थ, खुशहाल और सफल बना रहे. भाई भी बहन की खुशी के लिए उसे तोहफे देते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *