CJI पर जूता फेंकने वाले राकेश किशोर भी दलित? एंटी-हिंदू दलित प्रोपगैंडा करने वालों के मंसूबे ध्वस्त!

Rakesh Kishore Caste/ राकेश किशोर की जाति/ राकेश किशोर किस जाति के हैं: सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) भूषण रामकृष्ण गवई (CJI Gavai Shoe Attack) पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील राकेश किशोर भी दलित समुदाय से हैं। यह खुलासा सोशल मीडिया पर “एंटी-हिंदू दलित” का प्रोपगैंडा चलाने वालों के लिए करारा झटका साबित हुआ है। विष्णु मूर्ति बहाली याचिका पर CJI गवई के बयान को “सनातन धर्म का अपमान” बताकर राकेश किशोर (Rakesh Kishore) ने हमला करने का प्रयास किया, तो कुछ तथाकथित सेकुलर और एंटी-हिंदू ताकतों ने इसे “दलित CJI पर सवर्ण हमला” का रंग देने की कोशिश की। राकेश को “संघी, सवर्ण या ब्राह्मण” बताकर प्रोपगैंडा चलाया गया, लेकिन अब सच्चाई सामने आ गई – एडवोकेट राकेश किशोर खुद दलित (Advocate Rakesh Kishore Is a Dalit) हैं। ऐसे में “दलित हिंदू नहीं है” वाला नरेटिव चलाने वालों के मंसूबे ध्वस्त हो गए, जो हिंदू एकता को तोड़ने की साजिश रच रहे थे।

राकेश किशोर का बयान: “मैं भी दलित हूं,

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट नंबर 1 में CJI गवई की बेंच सुनवाई कर रही थी, जब 71 वर्षीय राकेश किशोर ने जूता उतारकर फेंकने की कोशिश की। सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत उन्हें रोक लिया। पूछताछ के दौरान राकेश ने कहा, “मेरा नाम डॉ. राकेश किशोर है। कोई बता सकता है मेरी जाति? शायद मैं भी दलित हूं। आप CJI गवई के दलित होने का फायदा उठा रहे हैं। वे पहले सनातनी हिंदू थे, बाद में बौद्ध बने।” उन्होंने CJI के 16 सितंबर के बयान – “भगवान से कहो कि वे खुद अपना सिर जोड़ लें” – को सनातन धर्म का अपमान बताया, जो खजुराहो के वामन मंदिर में क्षतिग्रस्त विष्णु मूर्ति बहाली याचिका पर था। राकेश ने कहा, “मुझे अफसोस नहीं, यह मेरी प्रतिक्रिया थी। मैं डरता नहीं।” यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जहां राकेश ने खुद अपनी दलित पहचान का जिक्र कर प्रोपगैंडा को बेनकाब किया।

घटना के तुरंत बाद कुछ सोशल मीडिया हैंडल्स और एंटी-हिंदू प्रोपगैंडा चलाने वाले ग्रुप्स ने इसे “दलित CJI पर सवर्ण हमला” का रूप दे दिया। राकेश किशोर को “संघी एजेंट, सवर्ण ब्राह्मण” बताकर ट्वीट्स की बौछार हुई, जहां लिखा गया, “दलित CJI गवई पर हिंदूवादी हमला, जातिवाद की साजिश!” CJI गवई – जो पहले दलित CJI हैं – के बयान को हिंदू-विरोधी बताकर पहले ही विवाद खड़ा हो चुका था, और अब इस हमले को “दलित हिंदू नहीं” नरेटिव से जोड़ दिया गया। लेकिन राकेश के दलित होने का खुलासा होते ही ये मंसूबे ध्वस्त हो गए। विशेषज्ञों का कहना है कि यह साजिश हिंदू एकता को तोड़ने और जातिगत फूट डालने की थी, जो अब उल्टी पड़ गई।

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