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रंगपंचमी पर राजवाड़ा इंदौर रंग से सरावोर, गेर में शामिल लाखों देशी और विदेशी मेहमान, 75 साल से चल रही गेर परंपरा

इंदौर। मध्यप्रदेश का इंदौर राजवाड़ा में बुधवार को रंगपंचमी उत्सव मनाया जा रहा है। इस दौरान 75 वर्षो से चली आ रही गेर परंपरा की रंगत इस बार भी देखते ही बन रही है। इस रंगउत्सव में देश और विदेश से लाखों की सख्या में मेहमान पहुचे हुए है और वे इस उत्सव का आनंद उठा रहे है। गेर में फाग यात्रा और कई आकर्षक झांकियां शामिल है। जिसमें ब्रज की लठ्ठमार होली, रासरंग, श्रीकृष्ण की झांकी विशेष आकर्षण का केंद्र बन रही है। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, कालीचरण महाराज सहित कई देशी-विदेशी मेहमान भी शामिल हो रहे है। इस गेर का महत्वं इसी से लगाया जा सकता है कि इसे देखने के लिए इंदौर में छतों की बुकिंग भी की गई है।

ऐसे चल रही गेर

जानकारी के तहत राजवाड़ा पर दूसरे क्रम की मॉरल क्लब गेर चल रही है। इसमें 100 फीट तक गुलाल छोड़ता वाहन गेर में शामिल है। आगे युवक तिरंगा झंडा लेकर चल रहे हैं। गेर में अलग-अलग रंग दिखाई दे रहे हैं। देशभक्ति गीत, राधा कृष्ण की रासलीला, भोलेनाथ का डमरू डमडमा रहा है। हर हर महादेव, जय हनुमान और जय श्री राम के नारों से पूरी गेर गूंज रही है। टोरी कार्नर की गेर में लोगों ने खूब डांस किया। डीजे की आवाज कई किमी तक सुनाई दे रही है। गेर में शामिल होने आए लोगों पर मिसाइल से गुलाल उड़ाया जा रहा है।

लट्ठमार होली आकर्षक

संगम कॉर्नर चल समारोह समिति की परंपरागत गेर का यह 75वां साल है। इस बार गेर का प्रमुख आकर्षण लट्ठमार होली, राधाकृष्ण की जोड़ी का रासरंग और बांके बिहारी का ढोल है। आयोजक ने बताया कि मिसाइल से 200 फीट ऊपर तक जनता को भिगोया जाएगा। साथ ही, 8 हजार किलो टेशू के रंग से बने गुलाल से राजबाड़ा पर तिरंगा बनाया जाएगा, जो इस आयोजन को और भी भव्य बनाएगा।
टोरी कार्नर की गेर में बड़ी संख्या में युवा शामिल होंगे। इस गेर में पानी के टैंकर, गाड़ियों पर टोलियां गेर में चलेंगी। मिसाइलों से लोगों पर पानी और गुलाल उड़ाया जाएगा, जिससे गेर का मजा और भी बढ़ जाएगा। इस प्रकार के आयोजन में लोगों का जोश और उत्साह देखने को मिल रहा है।
हिंद रक्षक संगठन की राधा-कृष्ण फाग यात्रा में इस बार और भी शानदार है। हवेली स्वरूप भगवान का रथ, 12 फीट का विग्रह भी देखने को मिल रहा है। फाग यात्रा में आगे 100 भगवा ध्वज लिए हुए युवक चल रहे है। इसके साथ ही, गोवर्धन पर्वत की झांकी भी और भजन मंडलियां भी शामिल है।

क्या है इंदौर के गेर परंपरा का इतिहास

गेर का मतलब है घेरकर रंग डालना. इसमें कोई गेर, यानी, कोई पराया नहीं. सभी अपने हो जाते हैं. गेर एक तरह की फाग यात्रा है. इंदौर में गेर निकालने की परंपरा 300 साल पुरानी है. होलकर राजवंश ने इसकी शुरूआत की थी. होलकर राजवंश के लोग रंगपंचमी पर बैलगाड़ियों में फूलों और हर्बल चीजों से तैयार रंग और गुलाल को रखते थे. उसके बाद एक जुलूस की शक्ल में आम जनता के साथ होली खेलने सड़कों पर निकल पड़ते थे. इसे सामाजिक समरसता बनाए रखने के लिए मनाया जाता है.राजे-रजवाड़ों का शासन खत्म होने के बाद भी इंदौर के लोगों ने इस रंगीन रिवायत को आज तक जिंदा रखा है।

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