राजीव गांधी के पांच फैसले, जिन्हें देश में आज भी याद किया जाता है।

Rajiv Gandhi Five Important Work In Hindi: राजीव गांधी भारत के 7 वें प्रधानमंत्री थे। 1984 में अपनी माँ इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद वह प्रधानमंत्री बने और 1989 तक रहे। भारत के इतिहास के अब तक के वह सबसे युवा प्रधानमंत्री हैं, जो महज 40 वर्ष की उम्र में देश के प्रधानमंत्री बने। उनका जन्म 20 अगस्त 1944 को हुआ था, जबकि उनकी मृत्यु 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरांबूर में लिट्टे के आत्मघाती विस्फोट से हुई थी, जब वह 1991 के चुनावी रैलियों को संबोधित कर रहे थे। बतौर प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने देश में कुछ ऐसे दूरदर्शी फैसले लिए, जिनका प्रभाव देश में आज भी है।

दूरसंचार क्रांति

भारत में सबसे पहले राजीव गांधी ने ही टेलिकॉम और और आईटी की परिकल्पना की। भारत में आईटी की नींव रखने वाले राजीव गांधी ही थे। जिस डिजिटल क्रांति की आज बात होती है, उनकी परिकल्पना राजीव गांधी बहुत पहले ही कर गए थे। इसीलिए भारत में उन्हें दूरसंचार का आर्किटेक्ट और आईटी का जनक भी माना जाता है। राजीव गांधी के ही दौर में ही सबसे पहले दूरसंचार नेटवर्क बिछाने के लिए केबललाइन का बिछना शुरू हुआ जिसके बाद गाँवों में भी पीसीओ खुलने प्रारंभ हो गए और देश में दूरसंचार का नेटवर्क तैयार हो गया।

आईटी क्रांति

इसी तरह देश में आईटी क्रांति लाने का श्रेय भी राजीव गांधी को ही दिया जाता है। उन्होंने देश में कंप्यूटर लाने की दिशा में प्रयास करते हुए इनका आयात शुल्क कम किया। भारतीय रेलवे में कंप्यूटरीकृत आरक्षण का प्रारंभ भी इन्हीं डिजिटल प्रयासों के बाद शुरू हुआ। राजीव गांधी का मानना था देश में उद्योगों का विकास बिना कंप्यूटर के नहीं हो सकता है। हालांकि राजीव गांधी से पहले भी 1970 में देश में इलेक्ट्रॉनिक्स डिपार्ट्मेंट की स्थापना हो चुकी थी और आईबीएम नाम की कंपनी का आगमन देश में हो चुका था।

वोट देने की उम्र सीमा घटाना

पहले देश में वोट देने की उम्र सीमा 21 थी, लेकिन युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी के अनुसार यह सही नहीं था, वोट देने की उम्र सीमा को और घटाना आवश्यक था। इसीलिए उन्होंने 1989 में संविधान के 61वें संशोधन द्वारा युवाओं की वोट डालने की उम्र को 21 से घटाकर 18 कर दिया। जिसके बाद देशभर के करोड़ों युवा पंच से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक चुनावों में अपना मतदान कर सकते थे। यह बहुत ही क्रांतिकारी कदम था।

नवोदय विद्यालय का प्रारंभ

राजीव गांधी ने ग्रामीण क्षेत्र के मेधावी विद्यार्थियों को ध्यान में रखते हुए जवाहर नवोदय विद्यालय का प्रारंभ किया। नवोदय विद्यालय कक्षा 6 से लेकर 12 तक के आवासीय विद्यालय होते थे, जिनमें प्रवेश परीक्षा में पास हो जाने के बाद ही विद्यार्थियों का दाखिला हुआ करता था। नवोदय विद्यालय की स्थापना शहरों और जिला मुख्यालय की जगह कस्बों में हुआ था। राजीव गांधी द्वारा लाई गई 1986 नई शिक्षा नीति अत्यंत प्रभावी थी। जिसने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बहुत ही ज्यादा परिवर्तन लाए।

पंचायती राज व्यवस्था

देश में पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत बनाने और गावों तक लोकतंत्र पहुँचाने के विचार से ही राजीव गांधी ने, पंचायती राज व्यवस्था का पूरा प्रस्ताव अपने कार्यकाल में 64 वें संविधान संशोधन विधेयक के तौर पर तैयार करवाया। हालांकि बाद में 1989 के चुनावों में हार और 1991 में हत्या के बाद नरसिम्हाराव सरकार ने संविधान के 73वें और 74वें संशोधन के बाद देश त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की नींव डाली।

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