Raj Uddhav Thackeray : महाराष्ट्र की राजनीति में आज देवेंद्र फडणवीस ने वो कर दिया जो बालासाहेब ठाकरे करना चाहते थे। राज्य में मराठी भाषा को बचाने के लिए दो बिछड़े भाई एक हो गए। पिछले हफ्ते राजनीतिक गलियारों में सबसे ज्यादा चर्चा इसी बात की थी कि क्या राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक साथ आएंगे? आज मनसे के नेता राज ठाकरे और शिवसेना यूबीटी के नेता उद्धव ठाकरे करीब 20 साल बाद एक ही मंच पर नजर आए। हालांकि अभी दोनों पार्टियों के सामने कई चुनौतियां हैं और इस साल के अंत में होने वाले स्थानीय चुनाव दोनों की एकता का टेस्ट साबित होंगे। फिलहाल दोनों भाई ने एलान किया है कि वो अब अलग नहीं होंगे और मराठी को बचाने के लिए गठबंधन के लिए भी तैयार है।
मराठी दिवस पर एक हो गए ठाकरे ब्रदर्स
बुधवार को मराठी विजय दिवस की रैली में दोनों भाई करीब 20 साल बाद एक मंच पर दिखे। राज ठाकरे ने 2006 में मतभेद के चलते अपनी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बनाई थी। उस वक्त वह महाराष्ट्र की राजनीति में खास सफलता नहीं पा सके। वहीं, शिवसेना यूबीटी भी बंटवारे के बाद कमजोर हो गई थी। इसलिए दोनों भाइयों ने मराठी गौरव के नाम पर साथ आने का फैसला किया। महाराष्ट्र सरकार के तीन भाषा के फार्मूले के खिलाफ हिंदी पढ़ाने का फैसला भी इस फैसले के पीछे कारण माना जा रहा है।
2005 में एक मंच में एक साथ दिखे थे दोनों भाई
आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछली बार दोनों भाई 2005 में एक मंच पर साथ दिखे थे। उस वक्त शिवसेना से नारायण राणे ने बगावत कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। राणे ने मालवण विधानसभा सीट का उपचुनाव लड़ा था और शिवसेना ने उनका मुकाबला करने के लिए प्रचार किया था। उस समय भी उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने मिलकर शिवसेना के उम्मीदवार का समर्थन किया, लेकिन वे सफल नहीं हो सके। राणे ने उस चुनाव में शिवसेना उम्मीदवार की जमानत जब्त करा दी थी।
राज ठाकरे ने उद्धव को दिया था साथ आने का संकेत
कुछ महीने पहले फिल्म निर्माता महेश मांजरेकर के पॉडकास्ट में राज ठाकरे ने उद्धव ठाकरे से फिर से हाथ मिलाने का संकेत दिया था। वहां उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र का अस्तित्व और लोगों का सम्मान हमारे मतभेदों से ऊपर है। इसलिए साथ आने में कोई बड़ी बात नहीं है, बस सही मंशा होनी चाहिए।” उनके इस बयान के बाद उद्धव ठाकरे ने भी तुरंत प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “मैं छोटे-मोटे झगड़ों को भूलकर महाराष्ट्र की भलाई के लिए एकजुट होने के लिए तैयार हूं। लेकिन भाजपा का समर्थन करना और फिर उसका विरोध करना, इससे काम नहीं चलेगा।”
महाराष्ट्र की सियासत में बदलाव की हलचल
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बयानों के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में दोनों भाई साथ आने की चर्चा तेज हो गई। हालांकि, कुछ नेताओं के बयानों ने भ्रम भी पैदा कर दिया। मनसे के नेता संदीप देशपांडे ने कहा, “राज ठाकरे तभी शिवसेना यूबीटी के साथ गठबंधन पर विचार करेंगे, जब उन्हें अच्छा प्रस्ताव मिलेगा।” उन्होंने यह भी कहा, “उनकी पार्टी ने पहले कई बार प्रस्ताव भेजे, लेकिन शिवसेना ने धोखा दिया। अब अगर गठबंधन करना है तो शिवसेना को प्रस्ताव भेजना चाहिए और राज ठाकरे उस पर फैसला लेंगे।”
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