हिंदी मेरे कानों में आती है तो मुझे परेशानी होती है: राज ठाकरे

RAJ THAKRE

राज ठाकरे ने एक बार फिर मराठी कार्ड खेला है. उन्होंने कहा है कि जब महाराष्ट्र के शहरों में मराठी छोड़ कर मेरे कानों में आती है तो परेशानी शुरू हो जाती है. हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है.

नवी मुंबई के सिडको प्रदर्शनी केंद्र में आयोजित विश्व मराठी सम्मेलन में मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने बड़ा बयान दिया है. यहां राज ठाकरे ने एक बार फिर मराठी कार्ड खेला है. यहां उन्होंने कहा कि मैं आज तक मराठी के विषय में जेल भी गया हूं. मैं कड़वा मराठी हूं. मेरे लिए संस्कार ऐसे ही बन गए हैं. हमें सबसे पहले महाराष्ट्र पर ध्यान देने की जरूरत है. मराठी मानुष पूरी दुनिया में गया है. इसके लिए उन्हें बधाई।

राज ठाकरे ने कहा कि लेकिन जब महाराष्ट्र के शहरों में मराठी छोड़कर हिंदी मेरे कानों में आती है तो परेशानी शुरू हो जाती है. भाषा का कोई विरोध नहीं है. लेकिन हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है. अन्य भाषाओं की तरह हिंदी भी एक भाषा है. देश में कभी भी राष्ट्रभाषा का फैसला नहीं किया गया.

इस आयोजन में राज ठाकरे ने अनुरोध किया कि महाराष्ट्र सरकार को राज्य के सभी स्कूलों में पहली से दसवीं कक्षा तक मराठी भाषा अनिवार्य करनी चाहिए। साथ ही उन्होने ने दर्शकों से अपील की कि वे अपने सामने आने वाले हर व्यक्ति से मराठी में बात करें।

हम हिंदी फिल्मों से संस्कारित हुए

राज ठाकरे ने आगे कहा कि हम हिंदी फिल्मों से संस्कारित हुए. मराठी लोग बोलचाल में हिंदी का प्रयोग क्यों करते हैं. मराठी बहुत महान भाषा है. मुझे नहीं लगता कि किसी अन्य भाषा में वैसा हास्य है जो मराठी भाषा में है. लेकिन आज इस भाषा को किनारे करने की राजनीतिक कोशिश की जा रही है.यह देखकर मेरे सिर में आग लग जाती है. राज ठाकरे ने मंच पर मौजूद स्कूल शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर से मांग की कि महाराष्ट्र के सभी स्कूलों में कक्षा एक से दसवीं तक मराठी भाषा को अनिवार्य किया जाना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *