Horror Story: बारिश, खंडहर और अपर्णा की चीख!

DAHSHAT

Horror Story In Hindi: आज मै अपर्णा के साथ उसकी बेटी को छोड़ने स्कूल तक गई थी, वो सब बच्चों के साथ पिकनिक पे जा रही थी ,अपर्णा उसका बैग भी पैक करके ले गई थी , तो बस हम कुछ देर उसके साथ रुके फिर बैग दिया और बाय करके चल दिए पर थोड़ी ही दूर पहुंचे ही थे कि हमारी स्कूटी बंद हो गई जाने क्यों पर स्टार्ट ही नहीं हो रही थी दिन ढलने चला था,

आंधी तूफान के साथ मौसम भी ख़राब हो रहा था और सड़क भी खाली होने लगी थी, सब जल्दी में थे , हम किसी से मदद मांगते इससे पहले रोड खाली हो गई और ज़ोर से बारिश होने लगी, अपर्णा ने स्कूटी खड़ी करदी और हम दोनों पास के एक खंडहर से पड़े मकान में बारिश से बचने के लिए खड़े हो गए पर बाहर वरामदे की छत टूटी हुई थी तो हम थोड़ा अंदर चले गए ,अपर्णा तो घर का नक्शा ही देख के खुश होने लगी और अंदर के कमरे में चली गयी मै ज़रा वहीं रुक कर मां को मैसेज करने लगी कि देर हो जाएगी..,

इतने में अपर्णा की चीख़ सुनाई दी और मै दौड़ी तो देखा अपर्णा घुटनों के बल चल रही है वो चाहते हुए भी ज़ोर से मेरी तरफ दौड़ के नहीं आ पा रही है और मानों उस कमरे की दहलीज़ पार करते ही मेरे भी पैर नहीं काम कर रहे हों, मै जितना जल्दी से अपर्णा के पास पहुंच कर उसे थामना चाहती थी उस तरह से नहीं पहुंच पा रही थी पर मैंने बहोत ज़ोर लगाते हुए अपने क़दमों को बढ़ाया और अपर्णा का हाँथ थाम कर उसे उठाया फिर अपने साथ बाहर की तरफ लाने लगी पर उसका रोना और चीखना नहीं बंद हो रहा था और मेरे पैरों का जकड़न सा दर्द मुझे बेजान, पत्थर सा महसूस करा रहा था ,किसी तरह मै अपर्णा को बाहर लेकर आई जैसे ही उस कमरे के बाहर पैर रखे, पैरों की जकड़न कम सी लगी और मै अपर्णा को पूरी ताक़त से रोड तक ले आई सड़क एकदम ख़ाली और सूनसान थी पानी भी बरस रहा था, हम पूरी तरह भीग चुके थे पर मैंने रुकना ठीक नहीं समझा और भीगते हुए भी आगे बढ़ने लगी अपर्णा से पूछा?

यह भी पढ़ें: History of the British Empire In Hindi: भारत सहित इन देशों पर भी था ब्रिटिश शासन

“अपर्णा क्या हुआ क्यों रो रही हो” लेकिन वो कुछ बोल नहीं पा रही थी मैंने सोचा कोई बात नहीं थोड़ी देर में ठीक हो जाएगी और मै आगे बढ़ती गई ,लेकिन अपर्णा से मेरे सहारे भी नहीं चला जा रहा था इसलिए मै उसे लेकर सड़क किनारे ही थोड़ा रुक गई अपर्णा का रो रो कर बुरा हाल था ,मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अब मै क्या करुँ ,इतने में एक ट्रक का हॉर्न सुनाई दिया और उसकी रौशनी दिखते ही मै लिफ्ट लेने के लिए अपर्णा को छोड़कर आगे दौड़ पड़ी पर ट्रक नहीं रुका और तेज़ी से निकल गया और मै पीछे आ गई जब पीछे मुड़कर अपर्णा को देखा तो वो फिर ज़मीन में गिर गई थी तब मुझे समझ आया कि वो मेरे सहारे के बग़ैर खड़ी भी नहीं हो रही है मैंने दौड़ कर उसे उठाया और फिर उसे चुप कराने लगी बार बार पूछती भी रही कि “अपर्णा क्या हुआ बताओ तो क्यों रो रही हो” पर वो कुछ नहीं बोल पाई,

मैं उसे गले से लगा कर छोटे बच्चे की तरह दुलारती रही और धीरे धीरे उसके आँसू बारिश में छुप गए और चीख़-पुकार ,हल्की सिसकियों में बदल गयी टाइम देखा तो रात के 12 बज रहे थे फिर किसी गाड़ी की लाइट सड़क पर पड़ी और मै इस बार अपर्णा को साथ लेकर आगे बढ़ी लिफ्ट लेने के लिए हाँथ दिया तो गाड़ी रुक गई और मैंने उनको एड्रेस बताया तो वो हमें लिफ्ट देने के लिए तैयार हो गए और हम दोनों गाड़ी में बैठ गए ,उन भले मानस ने मुझसे कुछ ज़्यादा नहीं पूछा और हमें कॉलोनी तक छोड़ दिया मै अपर्णा को सँभालते हुए उसके घर लेकर आई , वो किसी अंगारे सी तप रही थी मुझे लगा इतनी देर तक पानी में भीगने से उसे बुखार आ गया है इसलिए जल्दी से कपड़े बदले ,

यह भी पढ़ें: करोड़ों वाहन मालिकों के लिए बड़ी खबर! HSRP Number Plate नहीं लगाया तो लगेगा ₹1000

उसे बहलाते हुए किसी तरह चाय बनाई और बिस्किट के साथ चाय के दो घूँट पिलाए फिर दवा दी पर वो बिलकुल बच्चों की तरह मुझसे चिपकी रही और जाने कब सो गई ,मुझे लगा चलो अच्छा हुआ सो गई अब जब उठेगी तो कुछ अच्छा महसूस करेगी मै भी थोड़ा बेफिक्री से सो गई अभी आँख लगी ही थी कि फिर अपर्णा की सिसकिया मेरे कानों में पड़ी और मै जजग उठी सामने देखा तो अपर्णा ज़मीन पर बैठी थी रोते हुए मैंने पूछा “क्या हुआ अपर्णा “तो वो रोते हुए बोली “मधु मै चल नहीं पा रही हूँ ,सुनों तुम कभी मत जाना वहां नहीं तो तुम भी नहीं चल पाओगी “और फिर रोने लग गई मैंने उसे फिर सहारे से ऊपर बिठाया और अपने गले से लगा लिया ,इसी तरह रात बीत गई और सुबह हो गई लेकिन न दिल से दहशत जा रही थी न रात का मंज़र ख़ैर अपर्णा के घर के नंबर से मैंने मां को फोन लगाया, गाड़ी मकैनिक को दिलवाई और उसे ही कहा कि देख लेना वहीं कहीं शायद मेरा फोन पड़ा होगा।

इस बात को आज एक हफ्ता हो चुका है लेकिन अपर्णा की हालत वैसी की वैसी है, डॉक्टर भी कुछ नहीं समझ पा रहे हैं और मै भी कि आख़िर ऐसा क्या देख लिया अपर्णा ने जो वो बता नहीं पा रही है और मैंने अपने पैरों में जो जकड़न महसूस की, वो क्या था ? अब ये दहशत कभी जाएगी या नहीं अपर्णा कभी ठीक हो पायेगी या नहीं ? मै उसकी हंसती खेलती बेटी को क्या जवाब दूंगी ? हसबेंड तो उसको कबका छोड़ गया पर अब मैं क्या उसका ख्याल रख पाऊंगी?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *