राहुल ने किया यूएस प्रेसिडेंट का अपमान ! नहीं पढ़ा संविधान?

सोशल मीडिया में कांग्रेस लीडर और लीडर ऑफ़ ऑपोजिशन राहुल गांधी का एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है. इस वीडियो में राहुल गांधी देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की मेमोरी को लेकर प्रश्न खड़े कर रहे हैं . राहुल गांधी का मानना है कि पीएम मोदी का मेमोरी लॉस हो गया है यानी उन्हें भूलने की बीमारी हो गई है. और ऐसा कहने के पीछे राहुल गांधी ने जो वजह बताई तो किसी को समझ न आई. वैसे ऐसा राहुल गांधी के साथ अक्सर होता है कि वो जो कहते हैं लोगों को समझ में नहीं आता. खैर राहुल गांधी ने इस इस भाषण में ना सिर्फ पीएम मोदी की मेमोरी को लेकर बातें कहीं बल्कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के लिए अपमानजनक बातें भी कहीं और लोग इसी बात की निंदा भी कर रहे हैं. समझदार लोगों का मानना कि राहुल गांधी देश के प्रधान मंत्री को लेकर कुछ भी कहें, ये उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मामला है लेकिन किसी दूसरे देश के वो भी भारत के सबसे खास मित्र देश के सर्वोच्च पद पर बैठे राष्ट्रपति को लेकर ऐसी बेतुकी बातें नहीं कहनी चाहिए, वो भी एक लीडर ऑफ़ ऑपोजिशन जैसी गंभीर पोजीशन में रहने के बाद तो बिलकुल नहीं।

मजे की बात ये है कि राहुल गांधी को इतना तक नहीं पता है कि जो बाइडेन अमेरिका के राष्ट्रपति हैं, अभी भी हैं , उनका कार्यकाल बाकी है, सिर्फ चुनाव का परिणाम आया है, अभी डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति पद में नहीं हैं सिर्फ राष्ट्रपति का चुनाव जीता है. फिर भी मोदी की मेमोरी लॉस से तुलना करते वक़्त उन्होंने ये कहा कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति को भी मेमोरी लॉस है. अब समझ नहीं आ रहा है कि मेमोरी लॉस किसे है ? खैर पहले आप राहुल गांधी का वीडियो देखिये फिर आगे बात करते हैं.

राहुल गांधी जब ये भाषण दे रहे थे तब उनके हाथ में संविधान की किताब थी, आज कल राहुल गांधी संविधान की किताब साथ लेकर चलते हैं और अपनी यात्राओं में बांटते भी हैं वो बात अलग है कि उनकी रैली में बांटी गई किताबों के कागज कोरे रहते हैं. वैसे किताब कोई भी हो उसके अंदर का नॉलेज तबतक आपके काम नहीं आता जबतक की आप उसे पढ़ें न, साथ रखने बस से थोड़ा ज्ञान मिलता है. अगर राहुल गांधी उसी किताब को थोड़ा था पलटा के पढ़ लेते तो शायद उन्हें इस बात का पता चल जाता कि एक संवैधानिक पद में रहते हुए उन्हें किसी देश के मौजूदा राष्ट्रपति को लेकर ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए थी।

भारत के संविधान के आर्टिकल 19 ( 2 ) में यह लिखा हुआ है कि, अनुच्छेद 19 (1) आपको अभिव्यक्ति की आज़ादी तो देता है लेकिन उसकी भी कुछ सीमाएं हैं. जिनमे भारत की सम्प्रभुता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाले बयानों पर रोक है, विदेशी देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए, अंतराष्ट्रीय संबंधों को नुकसान पहुंचाने वाले भाषण पर भी रोक है और ये भी लिखा है कि बोलने की आजादी का मतलब दूसरों को बदनाम करने का अधिकार नहीं है.

राहुल गांधी ने अपने भाषण में पीएम मोदी पर जुबानी हमला करते करते न सिर्फ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को लेकर बेमतलब का बयान दिया बल्कि एक गंभीर बीमारी जिसे डिमेंशिया कहते हैं उससे पीड़ित लोगों का भी मजाक उड़ाया। अब वाइट हॉउस तक ये खबर पहुंच जाए कि एक चुनावी रैली में भारत के LOP ने अमेरिका के राष्ट्रपति के मानसिक स्वास्थ्य का मजाक उड़ाया है तो या अमेरिका इसका विरोध नहीं करेगा ? क्या वो माफ़ी की मांग नहीं रखेगा ? और क्या तब राहुल गांधी माफ़ी मागेंगे ? नहीं मांगेंगे क्योंकि ? इसी लिए भले ही गलती अपनी हो लेकिन माफ़ी नहीं। खैर राहुल गांधी ने अपने भाषण में डिमेंशिया और जो बाइडेन का जो मजाक उड़ाया उसे लेकर सुचना प्रसारण मंत्रालय के सलाहकार दिलीप मंडल ने ट्वीट किया है उन्होंने कहा कि – ये सब 10वीं क्लास में पढ़ाया जाता है, किसी के मानसिक स्वास्थ्य का मजाक उड़ाना गलत है , संविधान ऐसे वचनों को निषेध करता है जो मित्र देशों से रिश्तों को खराब करें, लाल किताब लेकर घूमना और संविधान का सम्मान करना अलग बात है.

तो कुलमिलाकर बात ये है कि जिस किताब को राहुल गांधी लेकर घूमते हैं उसमे ही लिखी बातों को नहीं मानते और जो बाइडेन की मेमोरी लॉस का मजाक उड़ाते हैं मगर उन्हें ही ये नहीं पता कि जो बाइडेन अभी भी अमेरिका के राष्ट्रपति हैं.

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