Aatm Manthan :क्यों लोग किसी का दर्द नहीं समझते हैं क्यों सब कहते हैं कि अपना दर्द अपने मन में ही छुपा कर रखना चाहिए यहाँ तक कि रहीम दास जी भी कहते हैं -“रहिमन निज मन की बिथा मन ही राखो गोय
सुनि अठिलैंहैं लोग सब बाँटी न लैहै कोय।” –
हमारे साथ बुरा हुआ तो इसके ज़िम्मेदार हम ही हैं क्या :-
अर्थात अपना दुख किसी से बताना नहीं चाहिए अपने दु:ख को अपने मन में ही रखना चाहिए क्योंकि दूसरा कोई हमारा दुःख सुनके उसे बाँटता नहीं है बल्कि हमारा मज़ाक़ ही उड़ाता है और लोग हममें ही हज़ार ऐब निकालते हैं कहते हैं कि ऐसा किया है तो ऐसा तो होना ही था मतलब हमें ही दोषी ठहराया जाता है।
किसी पर भरोसा करते समय भावनाओं में न बहें :-
पर ज़रा सोचिये क्या हर किसी को अपना मानना इतना ग़लत है और पूरी दुनिया को दुश्मन मानना सही है ! ऐसा तो नहीं है न ! और अगर ऐसा है भी तो ,सच में ग़लती हमारी है क्योंकि अच्छाई बुराई तो हर जगह होती है इसलिए व्यक्ति भी अपनी प्रकृति के अनुसार इसे ग्रहण करते हुए अच्छा या बुरा हो जाता है और अपना साथी बनाते वक़्त इन्सान की इसी फितरत को भाँपना हमारा काम है। भावुक होकर अगर हम सबसे अपना दुःख साझा करेंगे तो मज़ाक़ तो बनेगा ही।
अपना पराए की परख होनी चाहिए :-
हर किसी को अपना मान लेने से ही हमारा मज़ाक़ बनता है क्योंकि ग़ैर लोग ही हमारा मज़ाक़ बनाते हैं अपने नहीं, ये अपनों की निशानी भी होती है, कोई जब सच्चे दिल से हमारा अपना होता है तो वो हमारा भला चाहता है हमारा मज़ाक़ उड़ाकर हमें और दुःख नहीं पहुँचाता इस लिए अपने-पराए की पहचान हमें होनी ही चाहिए।
हमने दुनिया से अच्छाई ली है तो हम उसे बुरा नहीं मान सकते :-
जहाँ तक रही दुनिया को दुश्मन मानने की बात तो अगर हमने अच्छाई को ग्रहण किया है तो हम किसी को अपना दुश्मन नहीं मान सकते इसलिए कोशिश करनी चाहिए कि हम सबको सही रास्ता दिखा सकें और अगर किसी को सुधार न पाएँ तो कम से कम उससे दूर रहें, दुश्मन मान के नहीं बस इसलिए कि वो हमारा बुरा न करदे या मज़ाक़ न बना दे , इसी में सबकी भलाई है। अच्छाई-बुराई तो हर इन्सान में होती है लेकिन इंसानियत के नाते भी अगर हम किसी को सहारा दे सकें या उसके बुरा होने की वजह को समझ सकें, उसके हालत को बुरा कहें उसको नहीं तो ये भी बड़ी बात है इससे किसी और का जीवन तो सुधरेगा ही हमारा भी जीवन सफल हो जाएगा। ग़ौर ज़रूर करियेगा इस बारे में फिर मिलेंगे आत्म-मंथन की अगली कड़ी में ,धन्यवाद।
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