Radium Discovery | रेडियम की खोज करने वाली मैरी क्यूरी

About Radium Discovery In Hindi: 20 अप्रैल 1902 को मैडम क्यूरी ने अपने पति पियरे क्यूरी के साथ मिलकर, रेडियोधर्मी पदार्थ रेडियम और पोलोनियम को पिचब्लेंड नाम के खनिज से अलग किया था। उनकी इस खोज ने विज्ञान के क्षेत्र मे क्रांति ला दी थी। उनकी इस खोज ने 1903 में उन्हें भौतिक क्षेत्र का नोबल पुरस्कार दिलवाया था। 1911 में उन्होंने रेडियम का शोधन किया था, जिसके बाद उन्हें रसायन के क्षेत्र का नोबल पुरस्कार प्राप्त हुआ था।

Radium Discovery

कौन थीं मैडम क्यूरी | Radium Discovery

मैडम क्यूरी के नाम से विख्यात मैरी क्यूरी का पूरा नाम मैरी स्कलाडोवका क्यूरी था। उनका जन्म 7 नवंबर 1867 को पोलैंड के वारसा शहर में हुआ था। उन्हें बचपन में मान्या कहा जाता था। जब वह महज 4 वर्ष की थीं, तभी उनकी माँ का तपेदिक के वजह से निधन हो गया था। पोलैंड में तब महिलाओं के शिक्षा के सीमित साधन थे, इसीलिए अपनी बड़ी बहन के मदद से वह फ्रांस की राजधानी पेरिस चली गईं थीं। फ्रांस में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने वाली वह पहली महिला थीं और पेरिस विश्व विद्यालय में प्रोफेसर बनने वाली भी वह पहली महिला थीं।

डॉ पियरे क्यूरी सी किया विवाह | Radium Discovery

पेरिस विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान ही उनकी मुलाकात डॉ पियरे क्यूरी से हुई, जो विश्वविद्यालय में भौतिकशास्त्र के प्रोफेसर थे। डॉ पियरे ने मैरी को अपनी लैब में शोध करने का मौका दिया, आगे चलकर 26 जुलाई 1895 को उन्होंने डॉ पियरे क्यूरी से विवाह कर लिया और पति-पत्नी दोनों मिलकर ही वैज्ञानिक शोध करने लगे। हालांकि 19 अप्रैल 1906 को दुर्घटनावश पियरे क्यूरी का देहांत हो गया। लेकिन मैडम क्यूरी की रिसर्च चलती ही रही।

पोलोनियम और रेडियम की खोज | Radium Discovery

अपने पति के साथ ही मिलकर उन्होंने 1898 में पिचब्लेंड से एक धातु की खोज की जिसका नाम अपने देश पोलैंड के नाम पर पोलोनियम रखा। 1902 में 20 अप्रैल को पिचब्लेंड नाम के खनिज का शोधन करके रेडियोधर्मी पदार्थ रेडियम की खोज की। उन्होंने रेडियम की खोज से पहले ही उसका नाम रख दिया था। लगभग साढ़े तीन वर्षों की खोज और संघर्ष, बड़ी मेहनत के बाद उन्होंने रेडियम की खोज की थी। इस खोज ने विश्वभर में हलचल मचा दी थी, क्योंकि यह यूरेनियम से लाख गुना ज्यादा ताकतवर था। 1911 में उन्होंने रेडियम का शोधन भी किया था, और लिक्विड से ठोस रूप में परिवर्तित किया था।

दो बार नोबल पुरस्कार प्राप्त करने वाली इकलौती महिला | Radium Discovery

पहली बार उन्हें 1903 भौतिक का नोबल पुरस्कार रेडियम की खोज के लिए मिला। यह पुरस्कार उन्हें अपने पति के साथ संयुक्त रूप से मिला था। जबकि दूसरी बार उन्हें नोबल पुरस्कार 1912 में रेडियोधर्मी पदार्थ रेडियम के शोधन के लिए प्राप्त हुआ था। दो बार नोबल पुरस्कार प्राप्त करने वाली वह इकलौती महिला थीं।

रेडियम का पेंटेट करवाने से इंकार | Radium Discovery

वैज्ञानिक क्षेत्र में रेडियम की खोज ने क्रांति ला दी थी, अमेरिका और ब्रिटेन में इसके प्रयोग के लिए पियरे दंपत्ति से इसके प्रयोग की अनुमति मांगी जाने लगी। उन्होंने कहा यह हमारी घरेलू संपत्ति नहीं है, इसका आविष्कार जनकल्याण के लिए हुआ है, हमें कोई मुनाफा नहीं कमाना है और उन्होंने उसके निर्माण की विधि अखबार में छपवाकर प्रकाशित करवा दिया। पूरी दुनिया में उसी ढंग से रेडियम का खोज और अविष्कार होने लगा।

रेडियम के मेडिकल फील्ड में प्रयोग | Radium Discovery

मेडिकल क्षेत्र में इसका उपयोग 19 वीं शताब्दी से ही होने लगा था। रेडियम से निकलने वाली गामा किरणें, कैंसर के इलाज में काम आती हैं। रेडियम और ब्रोमीन के कंपाउंड रेडियम ब्रोमाइड को भी मेडिकल फील्ड में प्रयोग किया जाता है। रेडियम से निकलने वाले रेडान का प्रयोग रेडिएशन थेरेपी के लिए किया जाता है।

बेटी को भी मिला नोबल पुरस्कार | Radium Discovery

मैडम क्यूरी की दो बेटियाँ थीं, आइरिन क्यूरी और ईव क्यूरी। आइरिन माँ और पिता तरह ही वैज्ञानिक थी। उन्हें 1935 में रसायन के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार प्राप्त हुआ था। जबकि उनकी छोटी बेटी ईव पत्रकार और लेखक हैं।

उनका शोध ही बना मृत्यु की वजह | Radium Discovery

मैडम क्यूरी की मौत की वजह, उनका रिसर्च ही बना। दरसल उनकी मृत्यु रेडिएशन की वजह से हुए ल्यूकोमिया की वजह से हुई थी। वह 1890 के दशक से ही विकिरण के प्रभाव में थी। उनकी कई चीजों पर विकिरण का प्रभाव था। उनकी बड़ी बेटी की मृत्यु का कारण भी रेडिएशन था।

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