एक ऐसी रानी जो दुनिया की सबसे खूबसूरत महिला थी,शेर का शिकार करती,पोलो खेलती,उसी पोलो मैदान में प्रेम कर बैठी,प्रेम हुआ,प्रेम विवाह हुआ तो नयी दुनिया से सरोकार हुआ,दुनिया और उसके औरतों के लिए बनाए गए सलीकों से वास्ता हुआ.यहाँ से इनकी औरतों के हक़ के लिए आवाज़ बुलंद हुई और जब चुनाव मैदान में उतरीं तो जीत के आंकड़ों ने गिनीज़ बुक में नाम दर्ज करवा दिया.क्यों जब विपक्ष की कुर्सी पर बैठीं तो दौर के प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गाँधी से अनबन रहीं और क्या कारण था कि इंदिरा गाँधी ज़िन्दगी भर इनसे नफरत करती रहीं? खूबसूरती,राजशाही,इश्क़ और बगावत की यही कहानी सुनाने जा रहे हैं हम आपको..
1962 के इंडिया चाइना वॉर के बाद संसद में गहमागहमी का माहौल था.नेहरू स्पीच दे रहे थे. विपक्ष की कुर्सी में बैठी हुई गायत्री देवी ने जब जवाहरलाल नेहरू कहा अगर आपको कुछ पता ही होता तो आज हमे इन समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता।इस पर जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि मैं औरतों से ज़बान नहीं लड़ाता।राजसी ठाट बाट,तेज़ दिमाग और खूबसूरती ऐसी थी कि इंदिरा गाँधी से बर्दाश्त ही नहीं हुआ.वो जब तक रहीं नफरत की आग में सुलगती रहीं।और अपनी हर कोशिश में उन्हें नीचे दिखाने के प्रयास करती रहीं।आज ही के दिन यानि 23 मई साल 1919 को कूच बिहार के राजघराने में जन्म हुआ था गायत्री देवी का,जो आज का पश्चिम बंगाल है.पिता थे कूच बिहार के और और माँ थी मराठा राजकुमारी इंदिरा राजे।इंदिरा राजे के किस्से भी काफी दिलचस्स्प हैं.भारत में शिफॉन की साड़ियों का ट्रेंड इन्होने ही सेट किया था.मिजाज़ से बगावती थीं.इनके घर जन्म हुआ आइशा का.इस नाम के पीछे का किस्सा भी काफी दिलचस्प है.उसके लिए थोड़ा और पीछे जाना होगा।साल 1887 में एक बुक पब्लिश हुई थी SHE:A history of adventure.राइटर थे H.Rider Haggard.किताब में साम्राज्य है और साम्रज्य की रानी है आयेशा।जिसके पास कुछ जादुई ताकतें हैं.इन्ही के नाम पर इंदिरा राजे ने अपनी बेटी का नाम रखा आयेशा।आयेशा महज़ 3 साल की थीं जब इनके पिता की मौत हो गयी.पालन पोषण माँ के सान्निध्य में हुआ और माँ से विरासत में इन्हे बोल्डनेस,ब्यूटी और बगावत तीनो चीज़ें मिली थीं.आयेशा एक बेहतरीन हॉर्स राइडर और पोलो प्लेयर थीं .महंगी गाड़ियों से लेकर फ्रांस के सबसे महंगे परफ्यूम तक कई तरह के शौक थे.भारत में पहली Mercedes यही लेकर आयी थीं.इनकी ग्रेस और ब्यूटी के किस्से सिर्फ भारत नहीं दुनिया में भी काफी प्रसिद्द थे.वोग मैगज़ीन ने इन्हे दुनिया की टॉप 10 खूबसूरत महिलाओं की लिस्ट में शामिल किया था.किस्सा तो ये भी प्रसिद्द है कि अमिताभ बच्चन इनकी खूबसूरती के इतने कायल थे कि छुप छुप कर पोलो ग्राउंड में इनकी एक झलक का इंतज़ार करते थे.खास बात ये है कि इनके आयेशा से गायत्री देवी बनने का किस्सा भी इसी पोलो ग्राउंड से जुड़ा हुआ है.
यहाँ इनकी मुलाकात हुई जयपुर राजघराने के राजा सवाई मान सिंह से.उस वक्त आयेशा की उम्र थी 12 साल और मान सिंह 21 साल के थे.दोनों को एक दुसरे से प्यार हो गया ।साल 1940 में दोनों ने शादी कर ली और आयेशा बन गयीं गायत्री देवी।लेकिन ये जीवन का एक पड़ाव था.शाही रुतबे और शानो शौकत के साथ अब हिस्से आये रीती रिवाज़ और रूढ़ियाँ।.राजस्थान का शाही परिवार पर्दा प्रथा जैसी रूढ़ियों को मानता था। राजस्थान में आज भी ये परंपरा है.गायत्री देवी प्रोग्रेसिव विचारों की थीं. उन्होंने इस प्रथा को मानने से मना कर दिया और उन्होंने फैसला लिया कि महिलाओं के लिए काम करेंगी।वो भी अपने सामाजिक दायित्यों को निभाते हुए।उन्होंने जयपुर में लड़कियों की पढ़ाई के लिए तीन स्कूल बनवाए और अब गायत्री देवी खूबसूरती के साथ राजनीतिक और सामाजिक संघषों की ओर बढ़ रहीं थी.
राजशाही से राजनीति की ओर… साल 1962 में स्वतंत्र पार्टी से इन्होने चुनाव लड़ा.पार्टी के फाउंडर थे C.Rajagopalchari.ये पार्टी उस वक्त देश की रूलिंग पार्टी कांग्रेस की सबसे बड़ी अपोनेंट थी.चुनाव हुए और गायत्री देवी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की.कुल 78 फ़ीसदी वोट इनके हिस्से आये थे और गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में इनका नाम शामिल हुआ था.यहीं से अब नाम आएगा इंदिरा गाँधी का.हमे इंदिरा गाँधी के बारे में हमेशा बताया गया कि वो एक बोल्ड लेडी थीं.एक पावरफुल लीडर थीं.लेकिन इतिहास के पन्नों को लिखते लिखते कई बार कई किस्से हम तक पहुचंते नहीं या यूँ कहें कि पहुंचाए जाते नहीं।ऐसा ही मामला है इंदिरा गाँधी और गायत्री देवी का और इस किस्से की नीव दोनों के बचपन से पड़ती है.
दोनों की शिक्षा शांतिनिकेतन से हुई थी.यहीं से इंदिरा गाँधी के मन में गायत्री देवी को लेकर कॉम्प्लेक्स था.उनकी खूबसूरती,इंटेलिजेंस से उन्हें ईर्ष्या थी और जब वो राजनीती में आयीं तो ये सब कुछ बेहद पर्सनल हो गया.फेमस राइटर और जर्नलिस्ट खुशवंत सिंह ने लिखा था कि इंदिरा गाँधी अपने से ज्यादा खूबसूरत किसी महिला को बर्दाश्त नहीं कर सकती थीं.उन्होंने पार्लियामेंट में सरेआम गायत्री देवी और बिच और ग्लास डॉल कहा था.लोग गायत्री देवी से प्यार करते थे.साल 1965 में लाल बहादुर शास्त्री ने उन्हें कांग्रेस में शामिल होने का ऑफर भी दिया था लेकिन उन्होंने इससे साफ़ मना कर दिया था.वो इंदिरा गाँधी के तानाशाही रवैये पर खुल कर बोलती थीं.और फिर आया साल 1975.भारत के लोकतंत्र को कुचलने की विभत्तस कोशिश.आपातकाल
आपातकाल,इंदिरा और गायत्री देवी।.. इंदिरा गाँधी ने इमरजेंसी का भरपूर फायदा उठाया। जो भी उनके खिलाफ बोलता उसे जेल में डाल दिया जाता।इन सब के बीच गायत्री देवी एक मेडिकल लीव पर थीं.वो जब लौट कर आयीं तो विपक्ष की सारी सीटें खाली थीं,क्योंकि विपक्ष के सारे लीडर्स जेल में बंद थे.इन सब के बीच गायत्री देवी के सभी रेसिडेंट्स में आईटी डिपार्टमेंट की छापेमारी पड़ने लगी और इंदिरा गाँधी ने गायत्री देवी को 6 महीनो के लिए तिहार जेल में बंद कर दिया।इलज़ाम था कथित अघोषित संपत्ति और सोना रखने का.उस वक्त जुवेनाइल जेल भी तिहार के अंदर थी.वहां स्लैट्स की व्यवस्था करके गायत्री देवी बच्चों को पढ़ाती थी.उन्होंने बच्चों के खेलने के लिए बैडमिंटन कोर्ट भी बनवाया।उस वक्त उनकी उम्र 55 साल की थी.धीरे धीरे वो बीमार रहने लगीं।कहते हैं उन्हें मुँह का अलसर हो गया था लेकिन उन्हें इलाज के लिए परमिशन नहीं दी गयी थी.6 महीने बाद कुछ रेस्ट्रिक्शन्स के साथ परोल पर इन्हे छोड़ा गया और जब तक इंदिरा गाँधी की सरकार थी ये रेस्ट्रिक्शन्स लगे रहे.इसके बाद इन्होने अपनी एक autobiography लिखी A Princess Remembers: The Memoirs of the Maharani of Jaipur और इसके बाद इन्होने राजनीति में कभी वापस कदम नहीं रखा.साल 2009 में लंग इन्फेक्शन और paralytic leous के चलते गायत्री देवी की मौत हो गयी.