क़तर की जेल में सजा काट रहे भारत के पूर्व नौसैनिकों को रिहा कर दिया गया है.भारत सरकार ने इस फैसले का स्वागत किया है.इसी के साथ इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है.इस मामले में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का पर्सनल इन्वॉल्वमेंट भी था जिसको लेकर रिहा हुए पूर्व नौसैनिकों ने कहा कि इसके बिना रिहाई मुश्किल थी.
क्या है पूरा मामला?
अक्टूबर 2023 को मध्य पूर्व के देश क़तर ने भारत के 8 पूर्व नौसैनिकों को कैपिटल पनिशमेंट यानि मौत की सजा सुनाई थी.कारण,दरअसल ये पूर्व नौसैनिक क़तर की एक प्राइवेट कंपनी अल दहुआ ग्लोबल टेक्नोलॉजीस में काम करते थे जिसके अंदर इनका काम था क़तर की आर्म्ड फोर्सेज और सिक्योरिटी एजेंसीज को ट्रेनिंग और अन्य सर्विसेज देना।
पूर्व नौसैनिकों को सुनाई थी मौत की सज़ा!
इनपर क़तर के सबमरीन प्रोग्राम की जासूसी करने का आरोप था,और अगस्त 2022 में इन्हे गिरफ्तार किया गया था.आरोप सिद्ध भी हो गया जिसके बाद इन्हे मौत की सजा सुनाई गयी हालाँकि ये सार्वजनिक नहीं किया गया कि अदालत ने किसके लिए इन्हे अपराधी सिद्ध किया है.
18 महीनों तक क़ैद में रहे पूर्व नौसैनिक
इसके बाद भारत ने इसे पूरी तरीके से हैरानी भरा फैसला बताया था और इसके खिलाफ उन्होंने कानूनी सहारा लेने की बात भी सामने रखी थी.भारत सरकार की इन्वॉल्वमेंट और लगातार मुश्तैदी का असर ये हुआ कि क़तर की सरकार ने मौत की सजा को बदलकर इसे कैद की सजा तक सीमित कर दिया जिसमे इन पूर्व सैनिकों को 3 साल से लेकर 25 साल तक की सजा सुनाई गयी।इनमे से कुछ कैप्टन और कमांडर रह चुके हैं इनके नाम कुछ इस तरह से हैं नवतेज गिल,सौरभ वशिष्ठ ये दोनों कप्तान थे,कमांडर पुर्णेन्दु तिवारी,अमित नागपाल,एस.के गुप्ता, बी. के वर्मा और सुगुणाकर पकाला और सेलर रागेश। इन आठों में से सात लोगों की भारत वापसी हो चुकी है.इन्होने प्रधानमंत्री और भारत सरकार को इसके लिए धन्यवाद किया है और साथ ही में क़तर के अमीर को भी शुक्रिया अदा किया है.इन्होने कहा कि 18 महीनों से उन्होंने इस दिन का इंतज़ार किया था.
भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘हम इन नागरिकों की रिहाई और घर वापसी सुनिश्चित करवाने के लिए कतर के अमीर के फैसले की सराहना करते हैं.’
अगर भारत और क़तर के डिप्लोमेटिक रिलेशन की बात करें तो बीते समय में ये काफी घनिष्ठ होते रहे हैं.भारत और क़तर के बीच 15 बिलियन डॉलर का Bilateral Trade है जिसमे सबसे ज्यादा LPG और LNG क़तर भारत को एक्सपोर्ट करता है .साल 2021 में क़तर के एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन में भारत टॉप 4 में था वहीँ क़तर के इम्पोर्ट में भारत टॉप 3 में था.
मनमोहन सिंह के साथ 2008 में साइन हुआ था Defence Cooperation Agreement
साल 2008 में पहली बार मनमोहन सिंह पहले भारतीय प्रधानमंत्री थे जो क़तर गए थे और वहीँ भारत और क़तर के बीच डिफेन्स कोऑपरेशन एग्रीमेंट साइन हुआ था जो दोनों देशों के रिश्तों में एक एहम तत्त्व है. साल 2015 में अमीर ऑफ़ क़तर भारत आये थे। 2016 में नरेंद्र मोदी का क़तर दौरा हुआ था.साल 2018 में तब की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने क़तर का दौरा किया था.वहीँ भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर(S.Jaishankar) कई बार क़तर जा चुके हैं.