ज़िंदगी की पहेली

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Aatm Manthan :क्या ज़िंदगी एक पहेली है और क्या वाक़ई इसको सुलझाना इतना मुश्किल है शायद नहीं क्योंकि कहते हैं इसे समझना हो तो हमेशा पीछे देखना चाहिए और अगर इसका आनंद लेना हो तो सिर्फ आगे देखना चाहिए ,पर कश्मकश ये है हम कौनसा रास्ता चुनें जिससे हमें सुख मिल जाए क्योंकि रास्ता कोई भी हो,जीवन में आनंद किसे नहीं चाहिए ।

पर क्या पीछे देखने से पछतावा नहीं होगा :-

अब सवाल ये है कि अगर हमें ज़िंदगी को समझ के चलना हो तो पीछे देखना पड़ेगा पर हम बार-बार पीछे देखेंगे तो आगे ठीक से देख पाएंगे क्या ? पीछे देखकर हम अपनी उन ग़लतियों पे अब ज़्यादा नहीं पछताएंगे ,जिनके बारे में सोचकर कल तक हमें अपनी ग़लती समझ नहीं आती थी पर आज आती है और अब हमें अफसोस है कि हमने ऐसा क्यों नहीं किया या वैसा क्यों नहीं किया, ऐसा कर लेते तो हमें ये परेशानी नहीं होती।
फिर ये भी बात है कि हम क्यों पीछे देखें आख़िर कौन पीछे देखते हुए आगे चलता है ,कभी खुश या दुखी होता है,और बीते हुए कल के बारे में सोचते रहेंगे तो लोग हमें बेवकूफ़ नहीं कहेंगे ? ये नहीं कहेंगे कि ये तो बीते हुए कल में जीता है ,अरे भाई जो हुआ सो हुआ अब आगे क्यों नहीं देखते।

ज़िंदगी कैसे ख़ुशी देगी :-

पर सोचने वाली बात है कि क्या पीछे देखते हुए आगे बढ़ा जा सकता है , विचार करके देखेंगे तो समझ आएगा कि हां बढ़ा जा सकता है और इतने अच्छे तरीके से बढ़ा जा सकता है कि आगे हम उतना नहीं पछताएंगे जितना पीछे पछता चुके हैं मतलब वही ग़लतियां न दोहराएंगे जिनकी वजह से हम पछता चुके हैं क्योंकि अब हम उन ग़लतियों से सबक़ लेकर आगे बढेंगे और रास्ते के उन काँटों से भी अनभिज्ञ नहीं बल्कि सावधान होकर चलेंगे ,जो पहले हमारे पाँव ज़ख्मी कर चुके हैं । तो ज़ाहिर है कि फिर हमें , ज़िंदगी ख़ुशी देगी ही और जीवन पथ पर चलते हुए हमें आनंद का अनुभव होगा।

ग़लतियाँ नकामियाबी ही नहीं सबक़ भी देती हैं:-

हमारी ग़लतियाँ या फिर सही निर्णय केवल हमारी हार-जीत का फैसला ही नहीं करते हैं , ये हमें वो अनुभव या सबक़ भी देते हैं ,जिनसे हम क़ाबिल बनते हैं ,उस काम को भी करने के लायक बनते हैं जो कभी हम नहीं कर पाते थे बशर्ते हम खुद वो काम करना न छोड़ दें यानी हार न मान जाएं और बार – बार अपनी ग़लतियों से सबक़ लेकर वो काम करते रहें ,कोशिश करते रहें। तो हमारी जीत पक्की है फिर चाहे वो जीवन का कोई भी पड़ाव हो, रास्ता हो हम अपनी मंज़िल तक ज़रूर पहुंचेंगे और वो भी ज़िंदगी की पहेली को सुलझा कर इसके गूढ़ रहस्यों को अतीत की तहो से उजागर करते हुए ,आनंद के साथ। ग़ौर ज़रूर करियेगा इस बात पर फिर मिलेंगे आत्म मंथन की अगली कड़ी में धन्यवाद।

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