Modi की China और Putin कि India ट्रिप सुनकर ट्रंप माथा पकड़ लेंगे

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) अगस्त 2025 के अंत में भारत यात्रा (Vladimir Putin India Visit Date) पर आ सकते हैं। यह जानकारी भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल (Ajit Doval) के मॉस्को दौरे के दौरान सामने आई। यह यात्रा ऐसे समय में प्रस्तावित है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने भारत के रूसी तेल खरीद (Russian Oil Purchase) को लेकर 50% टैरिफ (Tariff) लगाने की घोषणा की है। ट्रंप की इस कार्रवाई ने भारत-अमेरिका संबंधों (India-US Relations) में तनाव पैदा कर दिया है। दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की 28 अगस्त को प्रस्तावित चीन यात्रा (PM Modi China Visit) और शंघाई सहयोग संगठन (PM Modi SCO Summit) में भागीदारी ने वैश्विक कूटनीति में नए समीकरणों को जन्म दिया है।

ट्रंप की नाराजगी और भारत की रणनीति

ट्रंप ने भारत पर रूसी तेल खरीद के जरिए यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) को वित्तीय मदद देने का आरोप लगाया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर कहा, “भारत भारी मात्रा में रूसी तेल खरीद रहा है और इसे खुले बाजार में मुनाफे के लिए बेच रहा है।” इसके जवाब में भारत ने ट्रंप के दावों को “अनुचित और अतार्किक” बताया, यह कहते हुए कि रूसी तेल खरीद वैश्विक ऊर्जा बाजार की स्थिरता (Energy Market Stability) के लिए जरूरी थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल (Randhir Jaiswal) ने कहा, “हमारे द्विपक्षीय संबंध अपनी मेरिट पर आधारित हैं और इन्हें तीसरे देश के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।

मोदी की चीन यात्रा: नया कूटनीतिक मोड़ (

Modi’s China Visit: मोदी की 28 अगस्त को होने वाली चीन यात्रा, जहां वे शंघाई सहयोग संगठन समिट में हिस्सा लेंगे, भारत-चीन संबंधों (India-China Relations) में नरमी के संकेत दे रही है। यह यात्रा भारत की गैर-संरेखित नीति को और मजबूत करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की आक्रामक नीतियों ने भारत को रूस और चीन के साथ रणनीतिक गठजोड़ की ओर धकेला है। ट्रंप के टैरिफ और भारत पर दबाव ने ब्राजील जैसे अन्य देशों को भी भारत और चीन के साथ सहयोग की ओर प्रेरित किया है। ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा (Lula da Silva) ने कहा, “मैं ट्रंप को फोन नहीं करूंगा, बल्कि मोदी और शी जिनपिंग से बात करूंगा।”

पुतिन की भारत यात्रा का महत्व

Putin’s India Visit: पुतिन की प्रस्तावित यात्रा भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन (India-Russia Summit) का हिस्सा होगी, जो दोनों देशों के बीच रक्षा और ऊर्जा सहयोग को और गहरा करेगी। भारत और रूस का द्विपक्षीय व्यापार 2024 में 60 बिलियन डॉलर को पार कर चुका है, जिसमें रूसी तेल की खरीद महत्वपूर्ण है। यह यात्रा ट्रंप की धमकियों के बीच भारत की स्वतंत्र विदेश नीति को रेखांकित करती है। मॉस्को में डोभाल की मुलाकात और विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S Jaishankar) की आगामी रूस यात्रा से संकेत मिलता है कि भारत रूस के साथ अपने “विशेष और समय-परीक्षित” रिश्ते को और मजबूत करना चाहता है.

ट्रंप की टैरिफ नीति और भारत-रूस संबंधों पर उनकी आलोचना ने भारत को रूस और चीन के साथ त्रिपक्षीय सहयोग (Russia-India-China Troika) की ओर झुकने के लिए प्रेरित किया है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Sergey Lavrov) ने भी इस त्रिपक्षीय गठजोड़ की वकालत की है। दूसरी ओर, भारत ने यूक्रेन युद्ध पर तटस्थ रुख बनाए रखा है और शांति वार्ता में मध्यस्थता की पेशकश की है। मोदी ने पिछले साल मॉस्को और कीव की अपनी यात्राओं में दोनों पक्षों से बातचीत का आह्वान किया था।

पुतिन की भारत यात्रा और मोदी की चीन यात्रा वैश्विक मंच पर भारत की रणनीतिक स्वायत्तता (Strategic Autonomy) को दर्शाती है। ट्रंप की टैरिफ धमकियों के बावजूद, भारत ने रूसी तेल खरीद और रूस-चीन के साथ संबंधों को प्राथमिकता दी है। यह कदम न केवल भारत की ऊर्जा सुरक्षा (Energy Security) को मजबूत करता है, बल्कि वैश्विक कूटनीति में भारत की स्थिति को और सशक्त बनाता है।

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