Site icon SHABD SANCHI

दुष्कर्मियों को नपुंसक बनाने की सज़ा! क्या बोला SC ?

कानून के दो प्रमुख काम होते हैं, अपराध करने वालों को सज़ा देना और अपराध न हो इसके लिए सख्ती से कानून को लागू करना। देखा जाए तो अपराध ही न हो ऐसा कानून होना चाहिए। ऐसे कई देश हैं जहां लोगों में कानून का इतना खौफ है कि लोग किसी तरह का जुर्म करने की हिम्मत ही नहीं करते। भारत में भी कहने को कानून सख्त है लेकिन यहां अपराधों का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है. यहां अपराध करने वालों को सज़ा तो होती है लेकिन अपराध ही न हो इसके लिए कुछ नहीं किया जाता।

देश में बढ़ते बलात्कार के मामलों को ही देख लीजिये। NCRB का डाटा कहता है कि 2022 में देश के अलग अलग राज्यों में बलात्कार के 48 हजार 755 मामले दर्ज हुए. जो 2021 के तुलना में 4 % अधिक है. जब 2012 में राजधानी दिल्ली शर्मशार हुई थी, दरिंदों को हिरासत में लिया गया था, तब भी उन्हें ऐसी सख्त सज़ा देने की मांग उठाई गई थी जो एक मिसाल बने, अदालत ने 7 लोगों को फांसी की सज़ा सुनाई जिन्हे 7 साल बाद जाकर सूली पर लटकाया गया. लेकिन क्या इन 7 सालों में दरिंदगी की घटनाओं में कमी आई ? या उन्हें फांसी देने के बाद क्राइम अगेंस्ट वीमेन की संख्या कम हुई ? पोक्सो के तहत भी फांसी की सज़ा का प्रावधान है, हाईकोर्ट फांसी की सज़ा सुनाते हैं और सुप्रीम कोर्ट एव्री सिनर हेज अ फ्यूचर बोलकर सजा कम कर देता है. सवाल ये है कि अब किया क्या जाए? ऐसा कौन सा कानून बना दिया जाए कि किसी भी महिला के साथ दुष्कर्म करने की कोई हिम्मत ही न करे ? आखिर मौत से बड़ी क्या सज़ा हो सकती है?

16 दिसंबर महिला वकीलों के संगठन ‘सुप्रीम कोर्ट वुमेन लायर्स असोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाते हुए महिलाओं की सुरक्षा पर गाइडलाइंस बनाने और कानूनों को सुधारने के लिए 20 मांगे की हैं. कुछ मांगे ऐसी हैं कि जिन्हे सुप्रीम कोर्ट ने सुनकर बर्बर कह दिया। महिला वकीलों के संगठन ने पब्लिक प्लेसेस में CCTV लगाने और OTT से अश्लील कंटेंट हटाने की मांग की, पोर्न कंटेंट को हटाने की बात कही. इसी के साथ एक ऐसी भी मांग उठाई जिसे सुनकर बेंच हैरान रह गया, संगठन ने महिलाओं और बच्चों से रेप करने वाले दोषियों को नपुंसक बनाने की मांग उठाई, जस्टिस सूर्यकान्त और जस्टिस भुयान की बेंच ने इस याचिका को स्वीकार भी कर लिया मगर कहा – ये मांग बेहद क्रूर हैं. और इसी के साथ कोर्ट ने सरकार के अलग अलग मंत्रालयों और विभागों को याचिका पर नोटिस जारी करके जवाब मांगने के लिए कह दिया।

महिला वकीलों के संगठन ने मांग उठाई है कि रेप के दोषियों को नपुंसक बना दिया जाए या फांसी की सज़ा दी जाए. याचिकाकर्ता को लगता है कि ऐसा कानून बनने से दुष्कर्म की वारदातों में कमी आ सकती है. देखा जाए कुछ हद तक ये बात सही भी है. दुनिया में ऐसे 8 देश हैं जहां बलात्कार के दोषियों को नपुंसक बना दिया जाता है. इनमे रूस, पोलैंड, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया , तुर्की और अमेरिका के कुछ राज्य शामिल हैं. इन देशों में बलात्कारियों को सज़ा ए मौत भी होती है, कुछ में सरेआम होती है और कुछ मामलों में दोषियों को नपुंसक बना दिया जाता है. पाकिस्तान को छोड़ दें तो, इन सभी देशों में होने वाली दुष्कर्म की घटनाएं भारत से बेहद कम हैं. सऊदी अरब और UAE में तो रेप के मामले न के बराबर हैं. सुप्रीम कोर्ट ने महिला वकीलों के द्वारा लगाई गई याचिका को स्वीकार तो कर लिया है, मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2025 में होगी। जहां तक है कि सुप्रीम कोर्ट किसी रेप के दोषी को नपुंसक करने की सज़ा नहीं सुना सकता, क्योंकी सज़ा देने की ये प्रक्रिया अभी भारतीय न्याय संहिता में नहीं है. कानून में बदलाव की प्रक्रिया संसद से शुरू होती है. वैसे आपको क्या लगता है ? अगर रूस और साऊथ कोरिया की तरह भारत में भी रेप के दोषियों को नपुंसक करने की सज़ा दी जाए तो क्या महिलाओं के प्रति होने वाले यौन अपराधों में कमी आ सकती है ? हमें अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर दें

Exit mobile version