Punishment for attacking the Chief Justice: CJI गवई पर हमला करने वाले वकील को क्या सजा मिलेगी?

चीफ जस्टिस पर हमला करने की सजा/Punishment for attacking the Chief Justice: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) भूषण रामकृष्ण गवई (BR Gavai) पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील राकेश किशोर (Rakesh Kishor) को सजा का सामना करना पड़ सकता है। यह हमला (Shoe Attack Attempt) असफल रहा और प्राणघातक नहीं था सिर्फ जूता फेंकने की कोशिश की गई, जिसमें सुनवाई में विघ्न डाला गया। कांटेम्प्ट ऑफ कोर्ट एक्ट 1971 (Contempt of Courts Act 1971) और इंडियन पीनल कोड (IPC) के तहत यह अपराध गंभीर है, लेकिन सजा की सीमा 6 महीने जेल या ₹2000 जुर्माना तक है। विशेषज्ञों का मानना है कि माफी मांगने पर सजा माफ हो सकती है, लेकिन बार काउंसिल ऑफ इंडिया (Bar Council of India) से वकालत लाइसेंस रद्द का खतरा भी है।

चीफ जस्टिस पर जूता किसने फेंका

Who threw a shoe at the Chief Justice: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट नंबर 1 में CJI गवई की बेंच सुनवाई कर रही थी, जब 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने अचानक डेस्क के पास पहुंचकर जूता उतार लिया। यह कृत्य 16 सितंबर को खजुराहो के वामन मंदिर (Khajuraho Vaman Temple) में विष्णु मूर्ति बहाली याचिका पर CJI के बयान – “भगवान से कहो कि वे खुद कर दें” – को ‘सनातन धर्म का अपमान’ (CJI Sanatan Dharma Insult) मानकर बदला लेने का प्रयास था। सुरक्षाकर्मी ने तुरंत हस्तक्षेप कर जूता फेंकने से रोक दिया, और किशोर को हिरासत में ले लिया। जाते-जाते उन्होंने नारा लगाया, “सनातन का अपमान नहीं सहेंगे!” CJI गवई ने शांतिपूर्ण तरीके से कहा, “ये चीजें मुझे प्रभावित नहीं करतीं। बहस जारी रखें।” ।

चीफ जस्टिस पर हमला करने वाले वकील को क्या सजा मिलेगी?

What punishment will the lawyer who attacked the Chief Justice get: यह घटना मुख्य रूप से क्रिमिनल कांटेम्प्ट (Criminal Contempt) के दायरे में आती है, क्योंकि इससे न्यायिक कार्यवाही में बाधा डाली गई। कांटेम्प्ट ऑफ कोर्ट एक्ट 1971 की धारा 2(c) के तहत, यह “कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंचाना या कार्यवाही में हस्तक्षेप” माना जाता है। साथ ही, IPC की धाराओं के तहत यह अपमानजनक हमला है।

कानूनी धारा विवरण सजा
कांटेम्प्ट ऑफ कोर्ट एक्ट 1971, धारा 12 (Section 12 Contempt Act)सुनवाई में विघ्न डालना या कोर्ट का अपमान (Disruption and Scandalizing Court)6 महीने जेल, ₹2000 जुर्माना, या दोनों। माफी (Apology) पर सजा माफ संभव।
IPC धारा 228 (IPC 228)न्यायिक कार्यवाही में सार्वजनिक सेवक (जज) का अपमान या बाधा (Intentional Insult to Judge)6 महीने जेल, ₹1000 जुर्माना, या दोनों।
IPC धारा 355 (IPC 355)अपमान करने के इरादे से आपराधिक बल प्रयोग (Criminal Force to Dishonour) – जूता फेंकना अपमान का प्रतीक2 साल जेल, जुर्माना, या दोनों। लेकिन असफल प्रयास पर नरमी।
IPC धारा 353 (IPC 353)ड्यूटी निभाने से रोकने के लिए हमला (Assault on Public Servant on Duty)2 साल जेल, जुर्माना, या दोनों। प्राणघातक न होने पर कम सजा।
IPC धारा 352 (IPC 352)सामान्य हमला (General Assault) – अगर कोई गंभीर चोट न हो3 महीने जेल, ₹500 जुर्माना, या दोनों।

सजा कोर्ट की मर्जी पर निर्भर करेगी। चूंकि हमला असफल रहा और प्राणघातक नहीं था, सजा हल्की हो सकती है – जैसे जुर्माना या चेतावनी। लेकिन बार काउंसिल रूल्स 1975 के तहत वकील का लाइसेंस सस्पेंड या रद्द हो सकता है। पूर्व मामलों में, जैसे 2017 राजस्थान कोर्ट में जज पर जूता फेंकने वाले वकील को IPC 332/353 के तहत केस दर्ज हुआ, और सजा में 1-2 साल की सलाखें लगीं।

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