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कैसे बनते हैं शंकराचार्य?

charon mathon ke shankaracharya

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How does Shankaracharya become: 22 जनवरी को राममंदिर उद्घाटन के लिए कयास लगाया जा रहा है कि कौन आ रहा है कौन नहीं। लेकिन इससे ज्यादा ध्यान इस बात पर दिया जा रहा है कि क्या चारों मठों के शंकराचार्य आएंगे? हम जानेंगे कि कैसे बनते हैं शंकराचार्य? कौन होते हैं ये? कौन हैं सबसे पहले शंकराचार्य? चारों मठों के शंकराचार्य कौन हैं? इनका क्या काम होता है सनातन धर्म में?

आने वाली 22 जनवरी की तारीख को अयोध्या में राममंदिर का उद्घाटन होने वाला है. इस समारोह में देश के प्रधानमंत्री से लेकर कई बड़ी हस्तियां शामिल होंगी। दूसरी तरफ इस बात की बहस छिड़ी हुई है कि क्या चारों मठों के शंकराचार्य आएंगे? वहीं कांग्रेस भी इस मुद्दा उठा रही है कि जब शंकराचार्य ही नहीं जा रहे हैं हम कैसे जाएंगे? लेकिन इन सबसे बड़ी बात ये है कि आखिर शंकराचार्य का क्या महत्व है इस समारोह में? क्यों इनके ना आने से देशभर में एक लंबी बहस छिड़ी हुई है?

कौन हैं शंकराचार्य?

Who is Shankaracharya: शंकराचार्य सनातन धर्म में सर्वोच्च गुरु का पद होता है. जिस प्रकार सिख धर्म में अकाल तख्त, ईसाई में पॉप और बौद्ध धर्म में दलाई लामा सर्वोच्च होते हैं ठीक इसी प्रकार सनातन में शंराचार्य सर्वोच्च होते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आदि शंकराचार्य ने मठों की शुरुआत की थी. वह दार्शनिक और धर्मगुरु थे, इन्हें जगद्गुरु के नाम से भी जाना जाता है. आदिगुरु ने अपने चार शिष्यों को देश के चार दिशाओं में स्थापित किए गए मठों जिम्मेदारी दी. इन मठों के प्रमुख को भी शंकराचार्य नाम दिया गया. यही प्रक्रिया उसी समय से चलती आ रही है?

शंकराचार्य बनने की योग्यता

Qualification to become Shankaracharya: शंकराचार्य बनने के लिए ब्राह्मण होना अनिवार्य है. इसके अलावा इस पद को प्राप्त करने के लिए त्यागी, संस्कृत, चतुर्वेद, वेदांत, ब्रम्हचारी, संन्यासी और पुराणों का ज्ञान होना आवश्यक होता है. साथ ही उंन्हे अपने गृहस्थ जीवन, मुंडन, पिंडदान और रुद्राक्ष धारण करना काफी अहम माना जाता है.

शंकराचार्य बनने की प्रक्रिया

Process of becoming Shankaracharya: समस्त नियमों को धारण करने वाले संन्यासी को वेदांत के विद्वानों के साथ शास्त्रार्थ करना पड़ता है. इसके बाद सनातन धर्म के 13 अखाड़ों के प्रमुख, आचार्य महामंडलेश्वर और संतों की सभा शंकराचार्य के नाम पर सहमति जताती है, जिस पर काशी विद्वत परिषद की मुहर लगाई जाती है. इस प्रकार संन्यासी शंकराचार्य बन जाता है. इसके बाद शंकराचार्य दसनामी संप्रदाय में से किसी एक संप्रदाय पद्धति की साधना करता है.

मठ क्या होता है?

What is a monastery: मठ सनातन धर्म में धर्म-आध्यात्म की शिक्षा के सबसे बड़े संस्थान कहे जाते हैं. इसमें गुरु शिष्य परंपरा का निर्वहन होता है और शिक्षा भी इसी परंपरा से दी जाती है. इसके अलावा मठों द्वारा विभिन्न सामाजिक कार्य किए जाते हैं.

क्या नाम है चारों मठों का?

What are the names of the four monasteries: श्रृंगेरी मठ– दक्षिण भारत के चिकमंगलूरु स्थित श्रृंगेरी मठ के अंतर्गत दीक्षित होने वाले संन्यासियों के नाम के बाद सरस्वती, भारती और पुरी विशेषक लगाए जाते हैं. श्रृंगेरी मठ का महावाक्य अहं ब्रम्हास्मि है. इस मठ के अंतर्गत यजुर्वेद को रखा गया है. मठ के पहले मठाधीस आचार्य सुरेश्वराचार्य थे.

गोवर्धन मठ– भारत के पूर्व दिशा गोवर्धन मठ है जो ओडिसा के पुरी जगन्नाथ में है. इस मठ के अंतर्गत दीक्षित होने वाले संन्यासियों के नाम के बाद वन और आरण्य विशेषण लगाए जाते हैं. मठ का महावाक्य प्रज्ञानं ब्रह्म है और ऋग्वेद को इसके अंतर्गत रखा गया है. गोवर्धन मठ के पहले मठाधीश आदि शंकराचार्य के पहले शिष्य पद्मपाद चार्य थे.

शारदा मठ- गुजरात के द्वारका में शारदा मठ स्थित है. इसके अंतर्गत दीक्षा ग्रहण करने वाले संन्यासियों के नाम के बाद तीर्थ और आश्रम विशेषण लगाए जाते हैं. इस मठ का महावाक्य तत्त्वमसि है और सामवेद को इसके अंतर्गत रखा गया है. शारदा मठ के पहले मठाधीश आदिगुरु शंकराचार्य के शिष्य हस्तामलक थे. उनका नाम ‘पृथ्वीधर’ भी था.

ज्योतिर्मठ- उत्तराखंड में बद्रीनाथ स्थित ज्योतिर्मठ के अंतर्गत दीक्षा ग्रहण करने वाले संन्यासियों के नाम के बाद ‘गिरि’ ‘पर्वत’ और ‘सागर’ संप्रदाय नाम का विशेषण लगाया जाता है. ज्योतिर्मठ का महावाक्य ‘अयमात्मा ब्रह्म’ है. इस मठ के पहले मठाधीश त्रोटकाचार्य थे. इस मठ के अंतर्गत ‘अथर्ववेद’ को रखा गया है.

शंकराचार्य कौन थे?

Who was Shankaracharya: आदिगुरु शंकराचार्य का जन्म केरल के कालड़ी गांव में 788 ई. में हुआ था और उनकी मृत्यु 820 ई.में हुआ था. हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार इनको भगवान शंकर का अवतार माना जाता है. इन्होने लगभग संपूर्ण भारत की यात्रा की. इनके जीवन का अधिकांश भाग उत्तरा भारत में बीता। आदिगुरु ने कई ग्रंथों की स्थापना की. उन्हें अद्वैत परंपरा का प्रवर्तक माना जाता है.

चारों मठों के वर्तमान शंकराचार्य

ज्योतिर्मठ- अविमुक्तेश्वरानंद महाराज

श्रृंगेरीमठ- स्वामी जगद्गुरु भारती

गोवर्धन मठ- निश्चलानंद सरस्वती

शारदा मठ- सदानंद सरस्वती

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