Rewa Pradhan Mantri Niwas News: प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत रीवा जिले में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। गरीबों और स्लम बस्तियों के लिए बनाए गए मकानों को बड़ी संख्या में किराए पर दे दिया गया है। नगर निगम की प्रारंभिक जांच में 126 मकानों में से 53 किराए पर चलते पाए गए।
इस सनसनीखेज खुलासे के बाद अब सभी प्रधानमंत्री आवासों का व्यापक सर्वे शुरू कर दिया गया है। सोमवार को नगर निगम की टीम बिछिया तोपखाना स्थित गोल क्वार्टर में बने आवासों का जायजा लेने पहुंची, जहां कई मकानों में ताले लटके मिले। स्थानीय लोगों ने बताया कि कुछ मकान पिछले दो साल से बंद पड़े हैं, जिससे योजना के दुरुपयोग की पुष्टि होती है।
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नगर निगम की सर्वे टीम वहां रहने वालों के नाम और जानकारी जुटा रही है, जिसे आवंटन सूची से मिलान किया जाएगा। लेकिन सर्वे की प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं। बताया जा रहा है कि अधिकारियों को मौके पर रहने वालों और आवंटन सूची के अभिलेखों का सत्यापन पहले ही करना था, लेकिन इस प्रक्रिया में लापरवाही बरती गई। इसने सर्वे की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर संदेह पैदा कर दिया है। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि बिना ठोस जांच के यह सर्वे महज औपचारिकता बनकर रह सकता है।
प्रधानमंत्री आवास योजना का मूल उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों और स्लम बस्तियों में रहने वालों को पक्का मकान उपलब्ध कराना था। लेकिन जांच में सामने आया कि कई आवासों में रहने वाले लोग न केवल आर्थिक रूप से सक्षम हैं, बल्कि उनके पास लग्जरी कारें और एयर कंडीशनर (एसी) जैसी सुविधाएं भी हैं। कई मकानों की पार्किंग में महंगी गाड़ियां खड़ी मिलीं, जिसने योजना के दुरुपयोग की आशंका को और गहरा कर दिया है। यह स्थिति सवाल उठाती है कि आखिर गरीबों के लिए बने मकानों का लाभ अमीर वर्ग कैसे उठा रहा है?
इस मामले ने स्थानीय स्तर पर बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। लोगों ने मांग की है कि नगर निगम और जिला प्रशासन इस घोटाले की गहन जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाए कि मकानों का आवंटन वास्तविक हकदारों को ही हो। नगर निगम ने दावा किया है कि सर्वे के आधार पर अनियमितताओं का खुलासा होने पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।