LAC India Nyoma Airstrip : LAC पर सबसे दुनिया ऊंचा एयरबेस बनाने की तैयारी, इससे क्या लाभ होगा?

LAC India Nyoma Airstrip : वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर राष्ट्रीय सुरक्षा और कनेक्टिविटी को मज़बूत करने के लिए पूर्वी लद्दाख में दुनिया का सबसे ऊँचा एयरबेस इसी साल अक्टूबर में बनकर तैयार होने जा रहा है। चीन सीमा के पास स्थित न्योमा हवाई पट्टी भारत को एलएसी पर रणनीतिक बढ़त दिलाएगी। भारत ने हिमालय की बर्फ से ढकी पहाड़ियों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगभग 23 किलोमीटर दूर, 13,700 फीट की ऊँचाई पर दुनिया के सबसे ऊँचे एयरफ़ील्ड का काम लगभग पूरा कर लिया है। लद्दाख के न्योमा एयरबेस पर 2.7 किलोमीटर लंबे रनवे का निर्माण अक्टूबर 2025 तक पूरा हो जाएगा। इस एयरबेस की मदद से भारतीय वायुसेना चीन और पाकिस्तान पर एक साथ नज़र रख सकेगी। लगभग 13,700 फीट की ऊँचाई पर बनी यह हवाई पट्टी इसी साल अक्टूबर तक चालू हो जाएगी। फ़िलहाल इसकी तैयारियाँ अंतिम चरण में हैं।

सीमा पर सामरिक क्षमताएँ बढ़ेंगी। LAC India Nyoma Airstrip

न्योमा एयरबेस के पूरा होने से भारतीय वायुसेना की चीन सीमा तक पहुँच मज़बूत होगी। यह हवाई पट्टी लड़ाकू विमानों, परिवहन विमानों और ड्रोन अभियानों के लिए बेहद अहम मानी जाती है। न्योमा, वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) का सबसे नज़दीकी एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड (ALG) है। नया हवाई अड्डा चीन से लगी सीमा पर सामरिक क्षमताओं को बढ़ाएगा। इससे भारतीय वायुसेना के लिए 11,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित बेस से अपने कुछ लड़ाकू विमानों का संचालन करने का एक मंच तैयार होगा, जो LAC के बेहद क़रीब है।

रक्षा बलों की त्वरित आवाजाही सुनिश्चित करेगा।

नया हवाई अड्डा रक्षा बलों की त्वरित आवाजाही सुनिश्चित करेगा और क्षेत्र में सामरिक क्षमताओं को बढ़ाएगा। इसमें आपातकालीन अभियानों में सहायता के लिए डिज़ाइन किया गया एक नवनिर्मित 3 किलोमीटर का रनवे भी शामिल है। 2021 में स्वीकृत इस परियोजना का बजट लगभग 214 करोड़ रुपये था। न्योमा की ऊँचाई और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से निकटता इसे एक सामरिक संपत्ति बनाती है। यह भारत की उत्तरी सीमाओं पर, विशेष रूप से दूरदराज और पहाड़ी क्षेत्रों में, जहाँ जमीनी परिवहन मुश्किल है, संसाधनों की तेज़ी से तैनाती को संभव बनाता है।

यह एयरबेस LAC से 30 किलोमीटर की दूरी पर बनाया जाएगा।

यह एयरबेस वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से मात्र 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और समुद्र तल से लगभग 13,700 फीट की ऊँचाई पर है, जहाँ सर्दियों में तापमान -20 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। ऐसे में यहाँ पूरा निर्माण कार्य अत्यधिक ठंडे मौसम के अनुसार किया जा रहा है। न्योमा एयरबेस से विमानों के उड़ान भरने और उतरने के साथ-साथ छोटे-मोटे मरम्मत कार्य भी किए जा सकेंगे। इसके अलावा, यहाँ भारतीय वायुसेना के जवानों के लिए रडार स्टेशन और आवास की सुविधा भी बनाई जा रही है।

भारतीय वायुसेना का चौथा सक्रिय बेस। LAC India Nyoma Airstrip

इस एयरबेस के सक्रिय होने के बाद, यह लद्दाख में भारतीय वायुसेना का चौथा सक्रिय बेस होगा। वर्तमान में, लेह, कारगिल और सियाचिन का बेस बन चुके थोईस में पूरी हवाई पट्टियाँ हैं, जबकि दौलत बेग ओल्डी जैसे इलाकों में केवल विशेष अभियानों के लिए सीमित सुविधाएँ हैं।

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