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Prayagraj’s Natheshwar Mahadev Temple : शिव का एक ऐसा मंदिर जहां ताले लगाकर लोग मांगते हैं मन्नतें

Prayagraj’s Natheshwar Mahadev Temple : भारत में ऐसे तो भगवान शिव के बहुत से चमत्कारी मंदिर हैं लेकिन प्रयागराज की पावन धरती पर बोले का एक ऐसा भी मंदिर है जिसने अपनी अनूठी परंपरा और मान्यता के कारण भक्तों के बीच आस्था का केंद्र बना हुआ है। जी हां मैं बात कर रहा हूं नाथेश्वर महादेव मंदिर की आपको बता दें कि यह मंदिर शिव भक्तों के लिए न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि आस्था, भक्ति और विश्वास का अद्भुत उदाहरण भी प्रस्तुत करता है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहाँ भक्त ताला लगाकर मनोकामना करते हैं।

क्या है नाथेश्वर महादेव मंदिर का महत्व? Prayagraj’s Natheshwar Mahadev Temple

इस मंदिर की अनूठी परंपरा ऐसे देखी जा सकती है, आमतौर पर मंदिरों में भक्त फूल, फल, मिठाई या जल चढ़ाकर अपनी मनोकामनाएँ मांगते हैं, लेकिन नाथेश्वर महादेव मंदिर में यह दृश्य बिल्कुल अलग होता है। यहाँ भक्त मंदिर परिसर में, शिवलिंग के चारों ओर या दीवारों पर अलग-अलग आकार के ताले लगाते हैं। मान्यता है कि जब तक यह ताला लगा रहता है, भक्त की मनोकामना भगवान शिव के पास सुरक्षित रहती है और उसके पूर्ण होने की संभावना बढ़ जाती है। मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त वापस आकर श्रद्धापूर्वक उस ताले को खोलकर या नया ताला लगाकर भगवान का धन्यवाद करते हैं।

कैसे पड़ी ताले लगाने की परंपरा? Prayagraj’s Natheshwar Mahadev Temple

स्थानीय लोगों और मंदिर से जुड़े पुजारियों के अनुसार, यह सदियों पुरानी प्रथा है। यह सिर्फ़ अंधविश्वास नहीं, बल्कि भक्तों की अटूट आस्था और विश्वास का प्रतीक बन गया है। विवाह की इच्छा रखने वाले युवक-युवतियाँ, नौकरी की तलाश में भटकते लोग, संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्ति और यहाँ तक कि गंभीर रोगों से ग्रस्त मरीज़ भी यहाँ अपनी मनोकामनाएँ लेकर आते हैं और द्वार बंद करके अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं।

सावन में भक्तों का मेला लगता है।

सावन का माह साल का सबसे पवित्र माह माना जाता है लाखों शिवभक्त इस महीने में कांवड़ लाते हैं। आपको बता दें कि सावन के माह में भगवान शिव की आराधना का विशेष काल होता है। इस समय में हर शिवालय पर बम बम के नारों का साथ शिवभक्त देखने को मिल जाते है इसी तरह नाथेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। कांवड़ लेकर आने वाले शिव भक्त यहाँ जलाभिषेक करते हैं और द्वार बंद करके अपनी मनोकामनाएँ भगवान को सौंपते हैं।

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