Pradhan Mantri Matsya Kisan Samriddhi Sahayojana: प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के अंतर्गत केंद्रीय स्तर की उप-योजना प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धी सह-योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) का गत दिनों अनुमोदन किया गया। जिसमें प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धी सह-योजना के अंतर्गत वित्त वर्ष 2023-24 से 2026-27 तक चार वर्ष में सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में सूक्ष्म और लघु उद्योगों के लिए 6000 करोड़ रुपए का निवेश कर मत्स्यपालन क्षेत्र को सुव्यवस्थित बनाने और मत्स्य उत्पादन इकाइयों को सहायता प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है
इस योजना का उद्देश्य उन्नत सेवाएं प्रदान करने के लिए नेशनल फिशरीज डिजिटल प्लेटफॉर्म (एनएफडीपी) के माध्यम से मछुआरों, मत्स्य पालक किसानों, विक्रेताओ, प्रसंस्करणकर्ताओं और मत्स्यपालन क्षेत्र से जुड़े अन्य व्यावसायियों को कार्य आधारित पहचान देकर मत्स्योत्पादन के असंगठित क्षेत्र का क्रमिक सुव्यवस्थीकरण करना है। मत्स्यपालन क्षेत्र के सक्रिय सूक्ष्म और लघु उद्यमों को संस्थागत आर्थिक सहायता प्राप्त करने की प्रक्रिया को सुगम बनाने, जल कृषि बीमा की खरीदी पर मत्स्योत्पादन के एक चक्र की पूर्ति पर ‘एक बार प्रोत्साहन राशि’ प्रदान करने, मत्स्यपालन क्षेत्र में मूल्य श्रृंखला की प्रभावशीलता में सुधार के लिए रोजगार के अवसरों का सृजन करने तथा उन्हें बनाए रखने के लिए जलीय कृषि में सक्रिय सूक्ष्म और लघु उद्यमों को निष्पादन आधारित अनुदान के माध्यम से प्रोत्साहन करने तथा रोजगार के अवसरों का सृजन एवं उन्हें बनाए रखने के साथ ही मत्स्य एवं मालियकी आधारित उत्पादों की सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चिती प्रणालियों की स्वीकार्यता एवं विस्तार के लिए सूक्ष्म और लघु उद्यमों को निष्पादन आधारित अनुदानों के माध्यम से प्रोत्साहित करना है।
योजनान्तर्गत वह लाभार्थी लाभ ले सकेंगे जो मछुआरे , मत्स्य किसान, मत्स्यपालक श्रमिक, मत्स्य विक्रेता अथवा ऐसे अन्य लोग, जो सीधे मत्स्यपालन व्यवसाय की मूल्य श्रृंखला में सक्रीय हो। मत्स्य पालन से संबद्ध एकल स्वामित्व, साझेदारी की इकाइयों और भारत में पंजीकृत कंपनियाँ, समितियाँ, सीमित देयता साझेदारी (एत्तएलपी) की इकाइयाँ, सहकारी समितियों, विभिन्न संघ, स्वस्व सहायता समूह (एसएचजी) जैसे ग्राम स्तरीय सगंठन, मत्स्योत्पादक, किसान उत्पादक संगठन (एफएफपीओ) और मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि मूल्य श्रृंखला में सक्रिय नव उद्यम तथा मत्स्य कृषि उत्पादक संघों के साथ किसान उत्पादक संघ (एफपीओएस एवं मत्स्य पालन विभाग, भारत सरकार द्वारा लक्षित लाभार्थियों के रूप में शामिल किए जाने वाले अन्य लाभार्थी हो। प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धी सह-योजना (पीएमएमएसवाई) में मत्स्यकी क्षेत्र का सुव्यवस्थीकरण और क्षेत्र के सूक्ष्म उद्यमों की भारत सरकार के कार्यशील पूंजी आर्थिक सहायता कार्यक्रमों तक पहुँच की प्रक्रिया का सरलीकरण, मात्स्यिकी मूल्य श्रृंखला में सक्रिय भूमिका निभाने वाले मछुआरों, मत्स्य पालन किसानों, मालियकी श्रमिकों, विक्रेताओं, सूक्ष्म और लघु उद्यमों के श्रमिकों सहित प्रसंकरणकर्ताओं आदि का पंजीकरण अथवा कार्य-आधारित पहचान बनाकर मत्स्यपालन क्षेत्र का क्रमिक रूप से सुव्यवस्थीकरण करना है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए, नेशनल फिशरीज डिजीटल प्लेटफार्म (एनएफडीपी) का सूजन किया जाएगा, जिससे सभी हितधारकों को इस पर अपना पंजीकरण करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। पंजीकरण के अलावा, एनएफडीपी के माध्यम से विभिन्न कार्यों की भी पूर्ति की जाएगी, जिनमें ऋण और बीमा आवेदन सुविधा, वित्तीय प्रोत्साहनों का वितरण आदि शामिल है। इसके अतिरिक्त, मात्स्यिकी क्षेत्र संबंधी ज्ञान में सुधार, आर्थिक लेन-देन की बेहतर समझ के लिए प्रशिक्षण, संस्थागत ऋण के लिए दस्तावेजों को तैयार करने में सहायता एवं घटक के अंतर्गत शामिल क्षेत्रों की प्रतिपूर्ति जसै गतिविधियों इसमें शामिल हैं। इसके अलावा मत्स्य सहकारी समितियों को व्यवसाय योजना बनाने, आवश्यकता आधारित जरूरतों और सलाह आदि के लिए प्रति सहकारी 2 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
जलीय कृषि बीमा सुविधा के उद्देश्य से मत्स्योत्पादन में नुकसान की किसी भी तरह के रिस्क को कम करने के लिए, मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार द्वारा बीमा कंपनियों को समुचित जलीय कृषि बीमा उत्पादों का सूजन करने और परियोजना की अवधि के दौरान कम से कम एक लाख हेक्टेपर जलीय कृषि क्षेत्रों को सुरक्षा प्रदान का लक्ष्य रखा गया है। जलीय कृषि बीमा उत्पादों का लाभ उठाने के बारे में प्रोत्साहित करने के अंतर्गत इच्छुक किसानों को 4 हेक्टेयर और उससे कम जल विस्तार क्षेत्र का बीमा कराने पर मत्स्य उत्पादन के एक चक्र के लिए ‘एकमुश्त प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी। मत्स्य उत्पादन के लिए उपयोग में लाये जा रहे जल विस्तार क्षेत्र को प्रति हेक्टेयर 25,000 रुपए तक की निर्धारित सीमा तक प्रीमियम राशि की लागत का 40 प्रतिशत प्रदान किया जाएगा। एक किसान को अधिकतम 4 हेक्टेयर क्षेत्र तक देय प्रोत्साहन राशि एक लाख रुपए रहेगी। जलीय कृषि से अधिकतम प्रोत्साहन बीमा प्रीमियम का 40 प्रतिशत रहेगा। जो केज कल्चर मलय पालन, रीसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम, बायोफ्लॉक मत्स्य कृषि, रेसवे मछली पालन आदि पद्धतियों के लिए देय होगा। इसके अंतर्गत अधिकतम देय प्रोत्साहन राशि एक लाख रुपए होगी और प्रोत्साहन के लिए इकाई का अधिकतम आकार 1800 क्यूबिक मीटर स्वीकार्य होगा। एकमुश्त प्रोत्साहन का उपरोक्त लाभ केवल मतस्योत्पादन के एक फसल चक्र के लिए खरीदे गए जलकृषि बीमा के लिए प्रदान किया जाएगा। अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और महिला लाभार्थियों को सामान्य श्रेणी के लाभार्थियों को दी जाने वाती प्रोत्साहन राशि की तुलना में 10 प्रतिशत अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी।
निष्पादन अनुदान और निष्पादन अनदान उपलब्ध करने के मापदण्ड निर्धारित किये गये हैं जिसके अनुरूप सूक्ष्म, उद्यमों के लिए कार्य निष्पादन अनुदान के अंतर्गत सामान्य श्रेणी को कुल निवेश का अधिकतम 25 प्रतिशत अथवा 35 लाख रुपए, जो भी कम हो, दिया जाएगा। जबकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति और महिला स्वामित्व वाले सूक्ष्म उद्यमों को कुल निवेश का अधिकतम 35 प्रतिशत अथवा 45 लाख रुपए, जो भी कम हो, प्रदान किया जाएगा। ग्राम स्तरीय सगंठनों और स्वयं सहायता समूहों, मात्स्यिकी किसान उत्पादक संघों और सहकारी समितियों के संघों को कार्य निष्पादन अनद्वान कुल निवेश का अधिकतम 35 प्रतिशत अधवा 200 लाख रुपए, जो भी कम हो, दिया जाएगा। इसी प्रकार सृजित अवसर और बनाए रखे गए वैतनिक रोजगार के अवसरों की सख्याः महिलाओं के लिए सृजित और बनाए रखे गए प्रत्येक वैतनिक रोज़गार अवसर के लिए प्रति वर्ष 15,000 रुपए की राशि का भगुतान किया जाएगा। इसी प्रकार पुरुषों के लिए सृजित और बनाए रखे गए वैतनिक रोज़गार के प्रत्येक अवसर के लिए प्रति वर्ष 10,000 रुपए की राशि का भुगतान किया जाएगा, जो कुल पात्र अनुदान के 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक नहीं होगा। इस संबंध में विस्तृत जानकारी राष्ट्रीय मत्सकी विकास बोर्ड के टोल फ्री नंबर 1800-425-1660 पर सोमवार से शुक्रवार प्रात: 9.30 बजे से शाम 6 बजे तक प्राप्त की जा सकती है।