उज्जैन की जमीन का मामला उठाने वाले भाजपा विधायक मालवीय पर विधानसभा में गरमाई राजनीति, विपक्ष ने…

भोपाल। एमपी विधानसभा का सोमवार को आखिरी दिन है। विधानसभा में भाजपा विधायक चिंतामणि मालवीय को लेकर कांग्रेस विधायक लगातार सरकार को घेरने का प्रयास कर रहे है। कांग्रेस ने विधानसभा में चिंतामणि के मुर्द्रदे पर चर्चा कराने की मांग उठाई है। कांग्रेस विधायक सोहनलाल बाल्मीक ने विधानसभा में बीजेपी विधायक चिंतामणि के मामले को विधानसभा में उठाया है। ज्ञात हो कि विधायक चिंतामणि मालवीय ने विधानसभा में 18 मार्च को उज्जैन सिंहस्थ क्षेत्र में जमीनों के स्थायी अधिग्रहण पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था- किसानों को आशंका है कि यह कॉलोनाइजर्स और भू-माफिया का षड्यंत्र हो सकता है। कोई व्यक्ति दस या बीस हजार करोड़ कमा सकता है, लेकिन याद रखे कि कफन में जेब नहीं होती। विधायक के द्वारा उठाए गए सवाल का मामला केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचा है। बीजेपी ने विधायक मालवीय को कारण बताओ नोटिस देकर 7 दिन में जवाब मागा है।

कांग्रेस नेता ने कहा सरकार केन्द्र की पर्ची में चल रही

इस मामले में कांग्रेस नेता अजय सिंह राहुल का बयान सामने आया है। मीडिया से चर्चा करते हुए उन्होने कहा कि मध्यप्रदेश के मोहन यादव महज मुख्यमंत्री है, सरकार केंद्र के टास्क पर चल रही है। कांगेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी भी इस मामले में मुखर हो गए है। बीजेपी विधायक चिंतामणि मालवीय को नोटिस देने के मामले में जीतू पटवारी ने कहा कि मोहन सरकार पर भू माफिया का कब्जा है। हर तरह का माफिया सर चढ़कर तांडव मचा रहा है। चिंतामणि मालवीय ने जन प्रतिनिधि होने के नाते अपनी बात सदन मे रखी, लेकिन उनको नोटिस दे दिया। उन्होने कहा कि नोटिस देना था तो प्रहलाद पटेल को देते, उन्होंने जनता को भिखारी कहा था। उन्होने कहा कि भष्टाचार में डूबे सरकार के मंत्रीयों को नोटिस दिया जाना चाहिए था। जीतू पटवारी ने कहा कि पूरी बीजेपी के अंदर यह मैसेज है की जो आवाज उठायेगा उस दवा दिया जायेगा।

बीजेपी विधायक ने कहा मैं अपने सवाल पर अडिग हूं

भाजपा विधायक चिंतामणि मालवीय ने कहा कि मैं भारतीय जनता पार्टी का कर्मठ कार्यकर्ता हूैं, चूकि पार्टी ने मुझे नोटिस दिया है, लेकिन वह नोटिस मुझे प्राप्त नहीं हुआ है, जैसे ही मुझे प्राप्त होगा वैसे तथ्यात्मक रूप से इसका जवाब दूंगा। उन्होने कहा कि मैं आज भी अपने उस सवाल पर अडिग हूं, क्योंकि उज्जैन में 13 ही आखाड़ो ने यह मना किया है कि हमको जमीन की आवश्यकता नहीं है। हमारे पास जमीन है।

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