Hamidia Hospital Name Change News: नगर निगम की बैठक में अस्पताल के साथ स्कूल और कॉलेज के नाम बदलने का प्रस्ताव भी पास हो चुका है। इसे लेकर बीजेपी और कांग्रेस के पार्षद आमने-सामने आ चुके हैं। नौबत हाथापाई तक आ गई। प्रस्ताव अब प्रदेश सरकार को भेजा जाएगा। निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी भी सीएम डॉ. मोहन यादव को पत्र लिख चुके हैं।
Hamidia Hospital Name Change News: भोपाल रियासत के नवाब हमीदुल्ला के नाम से बने मध्यप्रदेश के सबसे बड़े सरकारी हमीदिया हॉस्पिटल के नाम बदलने को लेकर सियासत गरमा गई है। नगर निगम की बैठक में अस्पताल के साथ स्कूल और कॉलेज के नाम बदलने का प्रस्ताव भी पास हो चुका है। इसे लेकर बीजेपी और कांग्रेस के पार्षद आमने-सामने आ चुके हैं। नौबत हाथापाई तक आ गई। प्रस्ताव अब प्रदेश सरकार को भेजा जाएगा। निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी भी सीएम डॉ. मोहन यादव को पत्र लिख चुके हैं। साथ ही व्यक्तिगत रूप से भी मिलने वाले हैं। नाम बदलने के मुद्दे पर मीडिया ने निगम अध्यक्ष सूर्यवंशी से बात की और जाना कि आखिर उन्होंने यह मांग क्यों उठाई? वहीं, अब निगम में प्रस्ताव पास होने पर आगे क्या होगा?
सूर्यवंशी बोले- पाकिस्तान का वजीर बनने का सपना था
अध्यक्ष सूर्यवंशी ने कहा, नवाब हमीदुल्ला गद्दार थे, यह मैं ही नहीं, पूरे भोपाल के देशभक्त मानते हैं। सबको पता है कि भोपाल की रियासत को नवाब हमीदुल्ला ने 2 साल तक भारत में विलय नहीं होने दिया, बल्कि वे पाकिस्तान में शामिल कराना चाहते थे। वे पाकिस्तान का वजीर बनना चाहते थे। ये मेरे शब्द नहीं, बल्कि इतिहास है। इसके लिए देशभक्तों को विलिनीकरण आंदोलन चलाना पड़ा। हमीदुल्ला ने यह नौबत पैदा कर दी थी। आंदोलन करने वाले राष्ट्रभक्तों पर नवाब ने गोलियां चलवाई। क्या ये देशभक्ति की श्रेणी में आता है? वह देश का गद्दार था। ये प्रमाण है। कांग्रेसी साथ देते हैं, ये भी सामने आ चुका है। जब बीजेपी के पार्षद देवेंद्र भार्गव प्रस्ताव को रख रहे थे, तो कांग्रेसी पार्षदों को भारत माता की जय बोलना था, लेकिन वे राष्ट्रभक्तों को गोली से भुनने और तिरंगे का अपमान करने वालों के साथ थे।
अब सरकार के पाले में गेंद
निगम अध्यक्ष सूर्यवंशी ने बताया कि निगम ने प्रस्ताव पास कर दिया है, जो सरकार को भेजा जाएगा। सरकार की मंजूरी मिलते ही स्कूल, उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के पास प्रस्ताव पहुंचेगा, जो इसकी आगे की प्रक्रिया करेंगे।
पत्र भी लिख चुके अध्यक्ष
निगम अध्यक्ष सूर्यवंशी ने जून में भी सीएम को लिखे पत्र में नवाब हमीदुल्ला के नाम से भोपाल में संचालित हमीदिया अस्पताल, कॉलेज और स्कूल का नाम बदलकर राष्ट्रभक्तों के नाम से किए जाने की मांग की थी। पत्र में लिखा कि निगम को सड़कों और चौराहों के नामकरण करने का अधिकार है। इसलिए सितंबर-23 में हमीदिया रोड का नाम बदलकर गुरुनानक मार्ग कर दिया गया है। चूंकि स्कूल, कॉलेज और अस्पताल समेत अन्य संस्थाओं के नाम परिवर्तन करने का अधिकार भोपाल निगम को नहीं है, इसलिए मुख्यमंत्री डॉ. यादव इन्हें बदलें। इस संबंध में जल्द ही सीएम डॉ. यादव से व्यक्तिगत रूप से भी मिलूंगा। चूंकि स्कूल, कॉलेज और अस्पताल समेत अन्य संस्थाओं के नाम परिवर्तन करने का अधिकार भोपाल निगम को नहीं है, इसलिए मुख्यमंत्री डॉ. यादव इन्हें बदलें। इस संबंध में जल्द ही सीएम डॉ. यादव से व्यक्तिगत रूप से भी मिलूंगा।
पार्षद बोले- मुझे सदन के बाहर देख लेने की धमकी दी
निगम बैठक में प्रस्ताव रखने वाले बीजेपी के पार्षद देवेंद्र भार्गव ने बताया कि हमीदिया अस्पताल, स्कूल और कॉलेज, ये तीन नाम ऐसे हैं, जो पूर्व नवाब हमीदुल्ला के नाम पर हैं। इसे बदलने के लिए मैंने प्रस्ताव रखा। ये मेरा अधिकार है। देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था, लेकिन भोपाल 2 साल बाद हुआ। यहां पर पोस्ट मास्टर ने जब तिरंगा फहराया, तो लाठियां बरसाई गईं। दो साल बाद भोपाल आजाद हो सका। भारत सरकार ने नवाब की संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित कर रखा है। यह मैंने तो किया नहीं। ऐसे में मैं नवाब को महामहिम तो कह नहीं सकता। विपक्ष ने सदन की परंपरा को तोड़ा है और मुझे सदन के बाहर देख लेने की धमकी भी दी है।
कांग्रेस विधायक बोले- नवाब को गद्दार कहना गलत
नाम बदलने की सियासत भी गर्म है। इसे लेकर कांग्रेस ने विरोध जताया है। सदन में कांग्रेस पार्षदों ने आपत्ति ली और हंगामा किया, तो बाहर मध्य विधायक आरिफ मसूद ने ऐतराज जताया। विधायक मसूद ने कहा कि सबसे पहले, उन्होंने भोपाल के नवाब को “गद्दार” कहकर संबोधित किया, जो सरासर गलत है। यह जानना जरूरी है कि देश की 526 रियासतों में से केवल भोपाल रियासत ही थी, जिसने 1929 में महात्मा गांधी को सरकारी मेहमान के रूप में आमंत्रित किया था और तीन दिनों तक उनका आतिथ्य किया था।
दूसरा, परिषद में हमीदिया अस्पताल, कॉलेज और स्कूल के नाम बदलने का प्रस्ताव पारित किया गया, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और एहसान फरामोशी जैसा प्रतीत होता है। इतिहास गवाह है कि नवाब हमीदुल्ला खान ने इन संस्थानों की स्थापना के लिए अपनी निजी संपत्ति दान में दी थी। नाम इस तरह बदले जा रहे हैं, जैसे ये इनकी संपत्ति हो।