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Fahmi Badayuni Death : सुपुर्द-ए-खाक हुए शायर फहमी बदायूंनी, लोगों ने नम आंखों से दी आखिरी विदाई

Fahmi Badayuni Death : मशहूर शायर पुत्तन खां फहमी बदायूंनी का पार्थिव शरीर सोमवार को बदायूं के बिसौली कस्बे के कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। साहित्यकारों ने उनके निधन पर दुख जताया। फहमी बदायूंनी 72 वर्ष के थे। वह पिछले एक माह से बीमार चल रहे थे। रविवार शाम उनका निधन हो गया। सोमवार को ईदगाह रोड पर नमाज-ए-जनाजा अदा की गई। दोपहर करीब दो बजे उन्हें ईदगाह रोड के पास स्थित कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। उनके जनाजे में कई शायर और साहित्यकार शामिल हुए। बेटे जावेद ने पिता की कब्र को सुपुर्द-ए-खाक किया। दूसरा बेटा नवेद विदेश से नहीं आ सका। वह रूस में है।

फहमी बदायूंनी का जन्म बदायूं के बिसौली कस्बे में हुआ था। Fahmi Badayuni Death

फहमी बदायूंनी का जन्म वर्ष 1952 में बिसौली कस्बे के मोहल्ला पठान टोला में हुआ था फहमी का पूरा नाम पुत्तन खां फहमी था उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद लेखपाल की नौकरी की लेकिन उन्हें नौकरी रास नहीं आई। इसके बाद 80 के दशक में उन्होंने शायरी में कदम रखा। उन्होंने सबसे पहले बिसौली और आसपास के इलाकों में होने वाले मुशायरों में हिस्सा लिया। एक मुशायरे में उन्होंने पढ़ा- प्यासे बच्चे पूछ रहे हैं, मछली में कितना पानी है, छत का हाल बता रहा है, नालियों से बह रहा पानी। उनका यह दोहा काफी मशहूर हुआ था। प्यासे बच्चे पूछ रहे हैं… दोहे के बाद फहमी बदायूंनी प्रदेश और फिर देशभर के मुशायरों में जाने लगे। एक के बाद एक उनके कई दोहे काफी मशहूर हुए।

फहमी बदायूंनी को सादगी पसंद थी। Fahmi Badayuni Death

आपको बता दें कि फहमी ने देश विदेश में में करीब 250 से अधिक मुशायरों कवि सम्मेलनों में हिस्सा लिया। इंस्टाग्राम पर उनके चाहने वालों की संख्या लाखों में है। उनके दो बेटे और पत्नी हैं। उन्होंने अपना आखिरी मुशायरा लखनऊ में किया था। फहमी बदायूंनी ने तीन किताबें भी लिखीं। इनमें शेरी मजमूए, पांचवीं संगत और दस्तकें निगाहों की शामिल हैं। इसमें पांचवीं संगत को लोगों ने काफी पसंद किया। फहमी बदायूंनी सादगी पसंद थे, वह दुनिया की चकाचौंध से कोसों दूर रहते थे। आज भी उनका घर काफी पुराना है।

फहमी के निधन के बाद उनका यह शेर सबसे ज्यादा वायरल हुआ।

शायरी की दुनिया में फहमी बदायूंनी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। आज एक पैबंद की जरूरत है, न जोड़ने की यही सजा है, तुझसे जुदा होना पड़ेगा, तेरी याद आना है… फहमी साहब के ये दोहे इंस्टाग्राम और सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे हैं। बिसौली कस्बे के डॉक्टर अमरुद्दीन ने बताया कि फहमी साहब कई घंटे उनके क्लीनिक पर बैठकर शायरी पढ़ाया करते थे। उनके निधन से दुनिया भर में उनके श्रोताओं में शोक है। शायर अभिक्ष पाठक बताते हैं कि वह शायरी की दुनिया में फहमी बदायुनी के साथ पिछले 20 सालों से जुड़े हुए थे। उनसे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला।

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