सर्दी का मौसम शुरू होते ही जुकाम और खांसी से जुड़ी बीमारियों के बढ़ने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं। आमतौर पर जुकाम और खांसी से ही कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जो सर्दी में अपना प्रकोप ज्यादा दिखाती हैं। उन्हीं में से एक नाम है निमोनिया संक्रमण। निमोनिया एक ऐसी बीमारी है जो ज्यादातर बच्चोंं में होती है। हालांकि व्यस्क और वृद्धजनों को भी निमोनिया हो सकता है। निमोनिया होने का ज्यादा खतरा 65 वर्ष से ज्यादा की उम्र वालों और 5 साल से कम उम्र के बच्चों में ज्यादा रहता है।
ज्यादातर मामलों में ये होता है की सर्दी जुकाम निमोनिया का रूप कब ले लेता है लोग समझ ही नहीं पाते है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसकी समय पर पहचान और उपचार नहीं हो तो यह जानलेवा भी हो सकती है वो भी ज्यादातर बच्चों को। इसके आंकड़े भी डराने वाले है।
WHO की रिपोर्ट के मुताबिक 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की कुल मौतों में से 14% का कारण निमोनिया है, 2019 में इससे 740,180 बच्चों की मौत हुई। WHO का कहना है की निमोनिया दुनिया भर में बच्चों की मौत का सबसे बड़ा संक्रामक कारण है। और यूनिसेफ के मुताबिक निमोनिया की वजह से प्रति 40 सेकंड में 1 बच्चे की मौत होती है।
इसी से इसकी गंभीरता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। ऐसे में हमारे लिए इस बीमारी के बारे में जानना ज़रूरी है ताकि हम इसके लक्षणों की पहचान कर सके और समय पर उपचार भी ले सकें। इसी लिए इस जानलेवा बीमारी के लिए वर्ड निमोनिया डे पर हम आपके लिए ये स्पेशल जानकारी लेकर आये हैं। जिसमें हम सबसे पहले इस दिन की हिस्ट्री जान लेते है।
वर्ड निमोनिया डे का इतिहास :
विश्व निमोनिया दिवस पहली बार 12 नवंबर 2009 को मनाया गया था, यह दिन बाल निमोनिया के खिलाफ वैश्विक गठबंधन द्वारा “न्यूमोनिया रोकें” पहल के तहत मनाया गया था, जो श्वसन संक्रमण की वजह से होने वाली बच्चों की मृत्यु दर से लड़ने के लिए कई संस्थाओं का एक गठबंधन है। इस पहल को वैश्विक स्तर पर पहचान मिली और कई संगठनों और देशों की सरकारों ने इस पहल की तारीफ की और अपने देश में भी ऐसा ही कुछ शुरू करने के बारे में सोचा। इसके बाद यह दिन वैश्विक स्तर पर मनाया जाने लगा।
इस साल यानि की 2024 विश्व निमोनिया दिवस का थीम है “Every Breath Counts, Stop Pneumonia in Its Tracks” ये थीम हर सांस की importance को बताती है, और शुरूआती पहचान, उपचार और रोकथाम से निमोनिया को रोकने की urgency पर ज़ोर देती है।
चलिए अब जानते हैं इस सक्रमण के बारे में अच्छे से – रोगाणुओं की वजह से निमोनिया संक्रामक होता हैं। वायरल और बैक्टीरियल निमोनिया दोनों ही छींकने या खांसने से हवा में मौजूद बूंदों को अंदर लेने या दूषित सतहों को छूने से फैल सकते हैं। जिसको निमोनिया हो जाता है उसमें ये लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं
निमोनिया के लक्षण :
जैसे की हरा, पीला लाल बलगम आना, बुखार, पसीना आना, और ठंड लगना, सांस लेने मे तकलीफ, सीने में तेज दर्द जो गहरी सांस लेने या खांसने से बढ़ जाता है, कम ऊर्जा और थकान का महसूस होना। इसके अलावा इसके कुछ खास लक्षण बदन में तेज़ दर्द, लगातार खासी, बच्चों की पसली तेज़ चलने लगती है , बच्चों के होठ नीले पड़ने लगते हैं, उन्हें साँस लेने मेने दिक्कत होने लगती है, अब जानकारी की इस कड़ी में आगे चलते हुए हम जानते हैं
निमोनिया से बचाव के क्या उपाय हैं?–
- निमोनिया को रोकने के लिए सबसे पहले धूम्रपान से बचना चाहिए क्योंकि इसकी दिक्कत फेफड़ों में होती है।
- इसके अलावा सर्दी खासी जुकाम जैसे लक्षणों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। थोड़े लक्षण की शुरुआत होते ही सबसे पहले डॉक्टर से समपर्क करना चाहिए।
- यदि किसी में थोड़े बहुत लक्षण दिख रहे हैं तो उससे थोड़ा दूरी बनाकर रखें।
- सर्दी के समय में सर्दी जुकाम होने पर घरेलु नुस्खों या देसी इलाज से इसे जल्द ही ठीक करें अगर जल्दी ठीक नहीं होता तो डॉक्टर से परामर्श ज़रूर लें।
- टीके से निमोनिया को रोकने में मदद मिल सकती है। कभी-कभी जब ऐसा व्यक्ति जिसे टीका नहीं लगा हो, किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आता है, जो ऐसे वायरस से संक्रमित है, जिसकी वजह से निमोनिया हो सकता है, तो डॉक्टर संक्रमण और निमोनिया को रोकने की कोशिश करने के लिए टीका ज़रूर लगवाएं।