Narendra Modi Rally at Jhabua: विधानसभा चुनाव 2023 में आए परिणाम के अनुसार आदिवासी सीट धार-झाबुआ, रतलाम व खरगौन में विधानसभा सीट के हिसाब से धार व खरगौन में कांग्रेस आगे है तो वहीं रतलाम-झाबुआ सीट पर BJP आगे है.
Madhya Pradesh Political News: भारतीय जनता पार्टी का लोकसभा चुनाव में इस बार मिशन 400 सीट पार है. इस मिशन को पाने के लिए मध्य प्रदेश की सभी 29 की 29 सीट निशाने पर है. इसकी शुरुआत 11 फरवरी को आदिवासी अंचल झाबुआ से हो रही है. इस क्षेत्र में तीन आदिवासी सीट धार, रतलाम-झाबुआ और खरगोन है. वहीं गुजरात और राजस्थान के बॉर्डर भी हैं जो आदिवासी खासकर भील बाहुल्य है. PM Narendra Modi अपने अभियान 400 पार में विधानसभा चुनाव की तरह ही आदिवासी अंचल पर पूरी तरह फोकस किए हुए हैं. पूरे प्रदेश में बीजेपी के लिए ये अंचल दुखती रग है जो विधानसभा चुनाव के दौरान भी सामने आई थी.
आदिवासी बाहुल्य सीट धार झाबुआ-रतलाम व खरगौन की बात करें तो विधानसभा सीट के हिसाब से धार व खरगौन में कांग्रेस आगे है, हालांकि रतलाम-झाबुआ सीट से भाजपा आगे है. वहीं अगर लोकसभा सीट की बात करें यह तीनो सीट बीजेपी (BJP) के खाते में है.
धार लोकसभा क्षेत्र- धार लोकसभा सीट अंतर्गत आठ विधानसभा सीट आती हैं. जिसमें से पांच सीट सरदारपुर, गंधवानी, कुक्षी, मनावर, बदनावर कांग्रेस के पास है. तो वहीं बची तीन सीटें महू, धरमपुरी और धार बीजेपी (BJP) के पास है.
खरगौन लोकसभा क्षेत्र- इस लोकसभा सीट की आठ विधानसभा सीटों में पांच कसरावद, भगवानपुरा, सेंधवा, राजपुर बड़वानी कांग्रेस के पास है, वहीं महेश्वर, पानसेमल और खरगौन बीजेपी के पास गईं हैं.
रतलाम-झाबुआ लोकसभा क्षेत्र– यहां की आठ विधानसभा सीटों में से चार सीट अलीराजपुर, पेटलावद, रतलाम ग्रामीण और रतलाम सिटी बीजेपी के खाते में है तो वहीं तीन सीट जोबट, झाबुआ और थांदला कांग्रेस के पास है और एक सीट बाप पार्टी के कमलेश्वर डोडियार के पास है।
ये है मोदी का मिशन
पीएम नरेंद्र मोदी संसद में कह चुके हैं कि बीजेपी चुनाव में 370 सीट और एनडीए के अन्य सहयोगी दल 30 सीट इस तरह से कुलमिलाकर 400 सीटें जीतेंगे। हमारा तीसरा कार्यकाल बड़े फैसलों वाला होगा। यह एक नया नारा था जो पंच बन गया है, जो बीजेपी पर जोश भर रहा है. अब हमें 50 फीसदी वोट के नारे से भी आगे बढ़ना है,अब हमारा निशाना 60 फीसदी से ज्यादा वोट प्रतिशत पाने पर है. यानि कांग्रेस का पूरी तरह से सूपड़ा साफ करना है.
उधर कांग्रेस असमंजस की स्तिथि में है, बड़े नेता चुनाव लड़ने से इंकार कर रहे हैं. किस तरह से चुनाव लड़ेंगे और क्या नीति होगी अभी तक कुछ भी स्पष्ट नहीं हो पाया है. कांग्रेस के साथ एक और समस्या यह भी है की उसके जीते हुए और पुराने खाटी नेता कांग्रेस छोड़ भगवा रंग में रंग रहे हैं. खासकर 22 जनवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद माहौल पूरी तरह से बीजेपी के पक्ष में जा चूका है और कांग्रेस इस मामले में अपनी नीति के कारण ही निशाने में आ गई है. खासतौर पर कांग्रेस के हिन्दू नेताओं को यह बात चुभने लगी है और वो मौका पाते ही पलटी मार रहे हैं.