पुरानी संसद में पीएम मोदी का आखिरी भाषण, पूर्व प्रधानमंत्रियों को याद कर भावुक हुए

Pm modi Last Speech At Old Parliament

प्रधान मंत्री मोदी ने पुरानी संसद में 50 मिनट की आखिरी स्पीच दी, उन्होंने नहरू, इंदिरा, अटल बिहारी बाजपेयी जैसे प्रधान मंत्रियों को याद किया, सदन की करवाई को कवर करने वाले पत्रकारों की तारीफ की.

पुरानी संसद में पीएम मोदी की आखिरी स्पीच: सोमवार 18 सितंबर को विशेष सत्र की शुरुआत हुई. विशेष सत्र का पहला दिन पुराने संसद भवन में आयोजित हुआ, यह पुराने सदन की आखिर कार्रवाई है. 19 सितंबर से नए संसद भवन में सदन का कामकाज होगा. पुरानी संसद में कार्रवाई के आखिरी दिन पीएम मोदी ने 50 मिनट की स्पीच दी, पुराने संसद भवन में यह उनकी आखिरी स्पीच थी, इसी लिए PM Modi भाषण के दौरान भावुक हो गए.

पुराने संसद भवन में पीएम मोदी का आखिरी भाषण

पीएम मोदी ने कहा

‘देश 75 वर्षों की संसदीय यात्रा का एक बार फिर से संस्मरण कराने के लिए नए सदन में जानें के लिए उन प्रेरक पलों को, इतिहास की अहम घड़ी को स्मरण करते हुए आगे बढ़ने का ये अवसर है. हम सब इस ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैं.

आजादी के बाद इस भवन को संसद भवन के रूप में पहचान मिली। इस इमारत का निर्माण करने का फैसला विदेशी शासकों का था. हम गर्व से कह सकते हैं कि इस भवन के निर्माण में पसीना और परिश्रम मेरे देशवासियों का लगा था. पैसा भी मेरे देशवासियों का लगा था.

पीएम मोदी ने कहा :- इस सदन से विदाई लेना एक बेहद भावुक पल है. परिवार भी अगर पुराना घर छोड़कर नए घर जाता है तो बहुत सारी यादें उसे कुछ पल के लिए झकझोर देती हैं. हम इस सदन को छोड़कर जा रहे हैं, तो हमारा मस्तिष्क भी उन भावनाओं से भरा हुआ है और अनेक यादों से भरा हुआ है. उत्स्व, उमंग, खट्टे-मीठे पल, नोक-झोंक इन यादों के साथ जुड़ा है.

पहली बार एक सांसद के रूप में इस भवन में मैंने प्रवेश किया तो सहज रूप से मैंने संसद भवन की चौखट पर अपना शीश झुका दिया। इस लोकतंत्र के मंदिर को श्रद्धाभाव से नमन करते हुए मैंने पैर रखा था। वह पल मेरे लिए भावनाओं से भरा हुआ था। मैं कल्पना नहीं कर सकता, लेकिन भारत के लोकतंत्र की ताकत है, कि रेलवे प्‍लेटफॉर्म पर गुजारा करने वाला एक बच्चा पार्लियामेंट पहुंचता है। मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि देश मुझे इतना सम्मान देगा।’

नहरू-इंदिरा को याद करते हुए क्या कहा?

  • पीएम मोदी ने देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों को याद करते हुए कहा- ये सदन दर्द से भर गया जब देश को अपने तीन प्रधान मंत्रियों को उनके कार्यकाल में खोने के नौबत आई. नहरू जी, इंदिरा जी और शास्त्री जी, तब ये सदन आंसू से भरी आंखों से उन्हें विदाई दे रहा था.
  • नहरू जी के योगदान का जिक्र जब इस संसद में होता है, तो कौन सा सदस्य है जिसका मन ताली ना बजाने का करता होगा। पंडित नहरू को कई बातों के लिए याद किया जाएगा। इसी सदन में पंडित नहरू के ‘एट द स्ट्रोक ऑफ़ द मिडनाइट’ की गूंज हम सबको प्रेरित करती रहेगी। और इसी सदन में अटल जी ने कहा था, वो शब्द आज इस सदन में गूँज रहे हैं. ‘सरकारें आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेगीं-बिगड़ेंगी, लेकिन ये देश रहना चाहिए।
  • पीएम मोदी ने इस दौरान बाबासाहेब आंबेडकर, लालबहादुर शास्त्री, इंदिरा गाँधी, चरण सिंह, वीपी सिंह, चंद्रशेखर, नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह को याद किया।
  • पीएम मोदी ने बताया कि करीब साढ़े सात हजार से अधिक जनप्रतिनिधि अबतक दोनों संदनों में अपना योगदान दे चुके हैं. इस दौरान करीब 600 महिला सांसदों ने दोनों सदनों की गरिमा को बढ़ाया है.

पत्रकारों की तारीफ की

पीएम मोदी ने कहा- “आज जब हम इस सदन को छोड़ रहे हैं, तब मैं उन पत्रकार मित्रों को भी याद करना चाहता हूं, जिन्होंने पूरा जीवन संसद के काम को रिपोर्ट करने में लगा दिया. एक प्रकार से वे जीवंत साक्षी रहे हैं. उन्होंने पल-पल की जानकारी देश तक पहुंचाईं. ऐसे पत्रकार जिन्होंने संसद को कवर किया, शायद उनके नाम जाने नहीं जाते होंगे लेकिन उनको कोई भूल नहीं सकता है.”

पीएम ने आगे कहा कि पत्रकारों ने सिर्फ खबरों के लिए ही नहीं, भारत की इस विकास यात्रा को संसद भवन से समझने के लिए अपनी शक्ति खपा दी. एक प्रकार से जैसी ताकत यहां की दीवारों की रही है, वैसा ही दर्पण उनकी कलम में रहा है और उस कलम ने देश के अंदर संसद के प्रति, संसद के सदस्यों के प्रति एक अहोभाव जगाया है.

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