Varanasi Loksabha PM Modi : उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट (Varanasi Loksabha Election) से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नामांकन करने के बाद से उनके चार प्रस्तावकों की चर्चा हो रही है। बताया जा रहा है कि वाराणसी से पीएम मोदी की जीत का श्रेय इन प्रस्तावकों को ही जाता है। ऐसे में यह चर्चा भी आज शुरू हो गई है कि इस बार चुनाव में पीएम मोदी के चार प्रस्तावक कौन हैं। इन चार प्रस्तावकों में एक ब्राह्मण, दलित और दो पिछड़े वर्ग के लोग शामिल हैं। इनमें से एक का संबंध अयोध्या के श्री राम मंदिर से भी है।
खास हैं PM Modi के 4 प्रस्तावक
वाराणसी लोकसभा से नामांकन करने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चार प्रस्तावक भी तैयार हैं। पीएम मोदी के ये चार प्रस्तावक ब्राह्मण वर्ग से पंडित गणेश्वर शास्त्री, ओबीसी से बैजनाथ पटेल, ओबीसी से लालचंद कुशवाहा और दलित वर्ग से संजय सोनकर हैं। पंडित गणेश्वर शास्त्री से हर कोई परिचित होगा, क्योंकि अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त इन्होंने ही निकाला था। इनमें बैजनाथ पटेल आरएसएस संघ से जुड़े हैं।
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4 प्रस्तावक हैं PM Modi की जीत का मंत्र
दरअसल, पीएम मोदी के यह चार प्रस्तावक ही वाराणसी लोकसभा का चुनावी समीकरण है। यहां ब्राह्मण, पिछड़ा वर्ग और दलित वोटर्स की संख्या अधिक है। वाराणसी लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 3 लाख से अधिक ब्राह्मण हैं। जबकि करीब 2.5 लाख से लोग अधिक पिछड़े वर्ग से आते हैं और 2 लाख वोटर्स कुर्मी समाज के हैं। इसी सियासी समीकरण को भाजपा यहां साधने का प्रयास कर रही है।
प्रस्तावक कौन होते हैं ?
चुनाव कोई भी हो प्रस्तावक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। वास्तव में यह लोग निर्वाचन क्षेत्र के स्थानीय मतदाता होते हैं। ये लोग किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। चुनाव आयोग के अनुसार, नामांकन करने के लिए लोकप्रिय उम्मीदवार को पांच प्रस्तावक की आवश्यकता होती है। जबकि एक आम उम्मीदवार को 10 प्रस्तावकों की आवश्यकता पड़ती है। यह प्रस्तावक चुनाव आयोग को उनके उम्मीदवार का प्रस्ताव देते हैं। निर्वाचन क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर इन प्रस्तावकों के हस्ताक्षर लेकर उनकी उम्मीदवारी को सत्यापित करते हैं। बिना प्रस्तावकों के किसी भी डाल के उम्मीदवार का नामांकन अधूरा माना जाता है। यह एक चुनावी प्रक्रिया है।
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प्रस्तावक के कारण रद्द भी होता है नामांकन
नामांकन के समय चुनाव निर्वाचन क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर उम्मीदवार की ओर से प्रस्ताव देने वाले मतदाता का हस्ताक्षर सत्यापित करते हैं। पूछताछ के दौरान अगर प्रस्तावक की पहचान और हस्ताक्षर सही नहीं पाए जाते हैं तो इसका खामियाजा उम्मीदवार को भुगतना पड़ता है। प्रस्तावक की पहचान सत्यापित ना होने पर उम्मीदवार का नामांकन रद्द कर दिया जाता है।