बेमिसाल खूबसूरत अदाकारा और संगीत की मिठास भरी आवाज़ की मलिका सुलक्ष्णा पंडित ने हर किसी को बनाया दीवाना

Playback singer and actress Sulakshna Pandit

न्याजिया बेग़म

Playback singer and actress Sulakshna Pandit: सुलक्ष्णा पंडित फिल्म जगत का ऐसा नाम है जो किसी तार्रुफ का मोहताज नहीं है, उनके चाहने वाले न केवल बतौर अभिनेत्री उनको पसंद करते हैं बल्कि उनकी गायकी और आवाज़ के भी दीवाने हैं। विधाता ने मानों उन्हें अपनी नेमतों का खज़ाना दे दिया था। जिसमें खूबसूरत चेहरे में बड़ी बड़ी आंखें सबका मन मोह लेती। बेमिसाल अदाकारा होने के साथ साथ वो अज़ीम गुलूकारा भी रहीं। खूबसूरती और आवाज़ तो उन्हें कुदरती तौर पर मिली ही थी पर उसे और तराश दिया सुलक्ष्णा की मेहनत ने, जिससे अभिनय और गायकी दोनों में वो पारंगत हो गईं।

संगीत की मिठास बचपन से उनके कानों में घुली

हालंकि संगीत की मिठास उनके कानों में बचपन से घुली क्योंकि उनके पिता प्रताप नारायण पंडित एक निपुण शास्त्रीय गायक थे महान पंडित जसराज उनके चाचा थे। उनके तीन भाई (मंदीर, जतिन और ललित पंडित ) और तीन बहनें (स्वर्गीय माया एंडरसन, स्वर्गीय संध्या सिंह और विजयता पंडित ) हैं, उनके भतीजे यश पंडित एक भारतीय टेलीविजन अभिनेता हैं तो भतीजी श्रद्धा पंडित और श्वेता पंडित पार्श्व गायिका हैं तो वहीं पार्श्व गायिका हेमलता उनकी चचेरी बहन हैं । फिर फिल्मों और संगीत में दिलचस्पी होना तो लाज़मी था पर इतनी शिद्दत से उसे सीखना कि पहला गाना ही स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के साथ गाने मिल जाए ये अपनी मेहनत और लगन ही होती है। आपने फिल्मों में गाने की शुरुआत एक बाल गायिका के रूप में 1967 की फिल्म तकदीर में लता मंगेशकर के साथ लोकप्रिय गीत “सात समुंदर पार से” गाकर की थी । इसके बाद, उन्होंने किशोर कुमार और हेमंत कुमार जैसे प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ काम किया। उन्होंने हिन्दी, बंगाली, मराठी, उड़िया और गुजराती में भी गाने गाए ।1986 में, सुलक्षणा लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल में “भारतीय संगीत महोत्सव” समारोह में प्रशंसित संगीत निर्देशकों लक्ष्मीकांत प्यारेलाल और गायकों मनहर, शब्बीर कुमार, नितिन मुकेश और अनुराधा पौडवाल के साथ प्रदर्शन करने वाली गायिकाओं में से एक बनीं। फिल्मों में आपकी आवाज़ आखिरी बार फिल्म खामोशी द म्यूजिकल (1996) के गीत “सागर किनारे भी दो दिल” के अलाप में सुनी गई थी , जिसे उनके भाइयों जतिन और ललित ने संगीतबद्ध किया था।

अभिनय करियर की शुरुआत

अभिनय की बात करें तो उनके अभिनय करियर की शुरुआत 1975 में संजीव कुमार के साथ सस्पेंस थ्रिलर फिल्म उलझन से हुई थी फिर अनिल गांगुली की (1976)की फिल्म संकोच, जो परिणीता उपन्यास पर आधारित थी, में उन्होंने लोलिता का किरदार निभाया था। उनकी लोकप्रिय फिल्मों में हेरा फेरी , अपनापन , खानदान , चेहरे पे चेहरा , धर्म कांटा और वक्त की दीवार शामिल हैं । उन्होंने 1978 में बंगाली फिल्म ‘ बांडी’ में अभिनय किया , जिसमें उनके साथ उत्तम कुमार थे ।
संजीव कुमार को वो बेहद पसंद करती थीं उन्हें शादी का प्रस्ताव भी दिया था लेकिन वो राज़ी न हुए और इस ग़म में सुलक्ष्णा ने कभी शादी ही नहीं की, 80 के दशक तक उन्होंने अभिनय किया ,और आपको 1975 में संकल्प के गीत “तू ही सागर है तू ही किनारा” के लिए फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्वगायक पुरस्कार और मियाँ तानसेन पुरस्कार मिला।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *