Pitru Paksha Amavasya: पितृपक्ष जिसे हम श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जानते हैं यह हिंदू धर्म का अत्यंत पवित्र काल होता है। इस पक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और उपाय किए जाते हैं। पितृपक्ष भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होता है और 16 दिनों तक चलता है। इसकी समाप्ति पितृपक्ष अमावस्या के साथ होती है। यह तिथि सबसे बड़ी और पवित्र मानी जाती है। कहा जाता है कि इस तिथि में किये गए सभी पुण्य कर्म और तर्पण पितरों को सीधा मोक्ष प्रदान करते हैं और आज के इस लेख में हम इसी का संपूर्ण विवरण आपको उपलब्ध करवाएंगे।

पितृपक्ष अमावस्या की तिथि और मुहूर्त
पितृपक्ष अमावस्या को महालय अमावस्या भी कहा जाता है। 2025 में यह अमावस्या 21 सितंबर 2025 रविवार के दिन पड़ रही है। अमावस्या की तिथि 20 सितंबर 2025 अर्धरात्रि 12:05 से शुरू हो रही है इसलिए 21 सितंबर 2025 को यह अमावस्या मान्य मानी जाएगी। अमावस्या के दिन प्रमुख मुहूर्त इस प्रकार है-
- सुबह 11:45 से 12: 37 तक
- दोपहर 12: 50 से 1:39 तक
- और दोपहर 1:39 से 4:09 तक
इस दौरान आप श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान इत्यादि कर सकते हैं।
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पितृपक्ष अमावस्या पूजा विधि
- पितृपक्ष अमावस्या के दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी के जल से स्नान करें और घर और पूजा स्थल को स्वच्छ करें ।
- इसके बाद पूजा स्थल पर साफ आसान बिछाए और पूर्वजों की तस्वीर रखें ।
- इसके पश्चात दीपक जलाएं।
- तत्पश्चात जल में कुशा डालकर अपने पूर्वजों का नाम उच्चारण करते हुए तर्पण करें।
- इस दौरान आप पितृ शांति मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
- पूजा होने के पश्चात भोजन दान करें ।
- यदि आप ब्राह्मण को भोजन करवा रहे हैं तो गेहूं, चावल, दाल, घी,शक्कर और नमक से बने विशेष भोज ब्राह्मण को खिलाएं।
- आप चाहे तो इस समय तिल चावल वस्त्र जल और अनुदान भी कर सकते हैं।
पितृ पक्ष की अमावस्या पर किए जाने वाली विशेष उपाय
पितृपक्ष अमावस्या में पूर्वजों की शांति के लिए आप कुछ विशेष उपाय भी कर सकते हैं
दान करना: पितृपक्ष की अमावस्या के दिन तिल का तेल, काला चना दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
गाय को भोजन: पितृपक्ष अमावस्या के दिन गाय को हरा चारा खिलाने से भी पितरों को तृप्ति मिलती है और उन्हें मोक्ष प्राप्ति होती है।
पीने के पानी की व्यवस्था: पितरों के नाम पर यदि किसी जरूरत की जगह पर पानी की व्यवस्था की गई तो इससे भी पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है।