Pitru Paksha 2025: भारतीय संस्कृति में पितृपक्ष को बेहद ही प्रभावशाली माना जाता है। यह पक्ष भाद्रपद की पूर्णिमा से अश्विन अमावस्या तक चलता है। इस पक्ष को पूर्वजों की आत्मा की शांति को समर्पित किया जाता है। हालांकि इस दौरान विभिन्न प्रकार के कर्मकांडों का विधान कहा गया है परंतु इस दौरान कुछ आहार संयम भी बताए गए हैं। शास्त्रों में स्पष्ट रूप से पितृपक्ष के दौरान आहार संयम का वर्णन किया गया है क्योंकि यह पक्ष श्रद्धा, सात्विकता और पवित्रता का प्रतीक होता है।

पितृपक्ष में पितरों को कैसे करें प्रसन्न
जैसा कि हमने बताया पितृपक्ष के दौरान विशेष आहार संयम का वर्णन किया जाता है। ऐसे में पितृपक्ष में अनुचित भोजन खाने से बचना चाहिए ताकि पितरों को मोक्ष प्राप्त हो और आपको पूर्वजों की कृपा और आशीर्वाद मिलता रहे। इसी वजह से पितृपक्ष के दौरान कुछ खाद्य पदार्थों को वर्जित बताया गया है और आज के इस लेख में हम आपको इसी के बारे में जानकारी उपलब्ध करवाएंगे ताकि आप भी पितृपक्ष के दौरान शास्त्र अनुसार आहार संयम बरतें।
मांसाहार और मादक पदार्थ: पितृपक्ष के दौरान मांस, मछली, अंडा, शराब इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि पितृपक्ष के दौरान मांसाहार का सेवन पितरों के मोक्ष मार्ग को अवरुद्ध करता है। इससे व्यक्ति को पितृ का आशीर्वाद नहीं मिलता और व्यक्ति का पूण्य कम हो जाता है। शास्त्रों में पितृपक्ष में मांसाहार और मादक पदार्थों के सेवन को पितृ अपमान तुल्य कहा गया है।
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प्याज और लहसुन: पितृ पक्ष में प्याज और लहसुन का सेवन भी वर्जित माना जाता है। यह तामसिक खाद्य पदार्थ में शामिल किए जाते हैं। कहा जाता है कि इसका सेवन आध्यात्मिक साधना को बाधा में डालता है। ऐसे में पितृपक्ष में जब हम पितरों को याद करते हैं तो सात्विक आहार ग्रहण करना जरूरी होता है इसीलिए प्याज और लहसुन का सेवन करना इस दौरान वर्जित माना जाता है।
मसूर की दाल: पितृ पक्ष में मसूर की दाल को भी वर्जित माना जाता है। कहा जाता है कि मसूर की दाल तामसिक होती है। इसे मांस के तुल्य माना जाता है। इसी वजह से पितृपक्ष में मसूर की दाल के सेवन हेतु मना किया जाता है। मसूर की दाल क्रोध आलसी और चिड़चिड़ापन बना बढाती है इसीलिए श्राद्ध कर्म में मसूर की दाल को वर्जित माना जाता है।
गाजर ,बैंगन और बीटरूट: पितृपक्ष में गाजर ,बैंगन बीटरूट, शलगम, लौकी जैसे सब्जियों को भी वर्जित माना जाता है। यह श्राद्ध कर्म की दृष्टि से अशुद्ध सब्जियां कही जाती है। खासकर ऐसी सब्जियां जो भूमि से प्राप्त होती है और कच्ची खाई जाती है उनमें शुद्धता का भाव नहीं होता। इसलिए पितृपक्ष के दौरान इन सब्जियों के सेवन की मनाही होती है। वही बैंगन को पितृपक्ष में अशुद्ध सब्जी मामा जाता है क्योंकि इसमें कीड़े लगने की संभावना अधिक होती है इसीलिए पितृपक्ष के दौरान बैंगन भी वर्जित माना जाता है।