Pitra Paksha Rules : आज (7 सितंबर) से पितृ पक्ष की शुरुआत हो रही है। पितृ पक्ष 15 दिनों तक मानें जाते हैं। इन दिनों पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए और उन्हें याद करने के लिए श्राद्ध किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष में पितरों को जल चढ़ाया जाता है। ताकि पितरों का आशीर्वाद मिल सके। अगर आप भी पितरों को पानी देते हैं तो क्या आप पितृ पक्ष से जुड़े इन नियमों के बारे में जानते हैं? अगर नहीं तो आइए जानते हैं कि श्राद्ध करने के नियम क्या हैं…
पितृ पक्ष में मृत्यु होना शुभ होता है
हिंदू धर्म के अनुसार, पितृ पक्ष में मृत्यु होना अच्छा माना जाता है और ऐसे व्यक्ति को मोक्ष मिल सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस समय स्वर्ग के द्वार खुले होते हैं और आत्माएँ पितृलोक में अपने परिवार के लोगों से जुड़ जाती हैं, जिससे उनका सफर आसान हो जाता है। लेकिन, यदि किसी की अचानक मृत्यु हो जाती है, तो घर पर तर्पण नहीं करना चाहिए, बल्कि किसी जानकार पंडित से गया में पिंड दान करवाना चाहिए।

पितृ पक्ष में करणी चाहिए भगवान की पूजा
पितृ पक्ष में भी आपको रोज़ भगवान की पूजा करनी चाहिए। पितरों की पूजा जरूरी है, लेकिन इससे देवी-देवताओं की पूजा बंद नहीं करनी चाहिए। ईश्वर सबसे ऊपर हैं, और रोज़ की पूजा में कोई रुकावट नहीं आएगी। आप अपने आराध्य की पूजा करते रहिए, बस पितरों के लिए अलग से तर्पण और पिंड दान करें।
पितृ पक्ष में बच्चे जा जन्म लेना शुभ
पितृ पक्ष में बच्चे का जन्म बहुत शुभ माना जाता है। जो पितृ पक्ष में जन्म लेते हैं, ऐसे बच्चे भाग्यशाली होते हैं, परिवार में खुशहाली लाते हैं, पितरों का आशीर्वाद पाते हैं और जीवन में अच्छा नाम और तरक्की पाते हैं। ये बच्चे अपने पूर्वजों का ही रूप होते हैं और परिवार के लिए जिम्मेदार और समर्पित होते हैं।
पितृ पक्ष में क्या नहीं करना चाहिए
- पितृ पक्ष में तामसिक भोजन, विशेष रूप से मांस और शराब का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
- पितृ पक्ष में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, और नए व्यवसाय की शुरुआत जैसे कोई भी शुभ काम नहीं करना चाहिए।
- कुछ मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष के 15 दिनों में बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए।
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