Pitra Paksha 2025 : पितृपक्ष में खरीदारी वर्जित क्यों ? धार्मिक मान्यता और वैज्ञानिक कारण

Pitra Paksha 2025 – हिंदू धर्म में पितृ पक्ष एक ऐसा पवित्र समय माना जाता है जो सिर्फ हमारे पूर्वजों (पितरों) को समर्पित होता है। यह अवधि साल में एक बार आती है और सामान्यत: 15 दिन तक चलती है। इस दौरान लोग तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध और ब्राह्मण भोज कर अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है और यह केवल कर्मकांड का समय नहीं बल्कि एक संयम, स्मरण और आत्मचिंतन का पर्व है। इस समय नए वस्त्र, आभूषण, घर-गाड़ी जैसी वस्तुओं की खरीदारी वर्जित मानी जाती है। लेकिन यह मान्यता क्यों है? इसका धार्मिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक आधार क्या है? आइए विस्तार से समझते हैं।

पितृ पक्ष और संयम का महत्व – पितृ पक्ष का वास्तविक भाव है,सांसारिक सुख-सुविधाओं को कुछ समय के लिए त्यागकर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति पर ध्यान लगाना। यह हमें याद दिलाता है कि जीवन क्षणभंगुर है। यह समय दिखावे और भौतिक आकर्षण से दूर रहकर आंतरिक शांति की खोज करने का है। यह अवधि हमें श्रद्धा और स्मरण का पाठ पढ़ाती है।

पितृपक्ष में वर्जित खरीदारी : क्या-क्या न खरीदें
नए कपड़े और आभूषण – पितृ पक्ष शोक और संयम का समय है। जैसे किसी प्रियजन के निधन के बाद हम नए वस्त्र नहीं पहनते, वैसे ही इस अवधि में नए कपड़े और सोने-चांदी के आभूषण खरीदना वर्जित माना जाता है।
धार्मिक कारण – यह हमारे पितरों के प्रति शोक और सम्मान का प्रतीक है।
व्यावहारिक कारण – यह हमें अनावश्यक खर्च और दिखावे से रोकता है।

वाहन, मकान और ज़मीन
नए घर, दुकान, या वाहन जैसी संपत्ति की खरीदारी भी टालने की सलाह दी जाती है।
धार्मिक कारण – यह सांसारिक स्थायित्व और भौतिक समृद्धि का प्रतीक है, जबकि पितृ पक्ष आत्मा और मोक्ष के चिंतन का समय है।
व्यवहारिक कारण – इस अवधि में किए गए ऐसे कार्य अशुभ माने जाते हैं क्योंकि ये सांसारिक मोह को बढ़ाते हैं।

लोहे और तांबे की वस्तुएं
शास्त्रों के अनुसार लोहा तमोगुणी होता है, तमोगुण अज्ञान और नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है – इसलिए लोहे के औजार, बर्तन, ताले आदि इस समय नहीं खरीदे जाते। तांबे के सामान की भी खरीदारी वर्जित है।

अन्य घरेलू और सजावटी सामान
टीवी, फ्रिज, फर्नीचर, पर्दे, डेकोर आइटम, नई बेडशीट, पेंटिंग आदि की खरीदारी से बचना चाहिए।
धार्मिक कारण – यह समय सादगी अपनाने का है।
व्यवहारिक कारण – सजावट, विलासिता और वैभव पर ध्यान देना पितृ पक्ष की भावना के विपरीत है।

झाड़ू, तेल और नमक
पितृ पक्ष में झाड़ू, सरसों का तेल और नमक खरीदने पर विशेष रूप से रोक है।
शास्त्रों के अनुसार – झाड़ू लक्ष्मी का प्रतीक है, इसे खरीदने से लक्ष्मी का अपमान माना जाता है,सरसों का तेल शनि का कारक है। इस समय इसे खरीदने से अशुभ फल मिलता है, नमक जीवन में स्थायित्व और स्वाद का प्रतीक है, पितृ पक्ष में इसे खरीदने से स्थायित्व में बाधा आ सकती है।

खरीदारी से बचने के धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

धार्मिक कारण – यह समय भौतिक सुख छोड़कर आध्यात्मिक शांति का है,हमारे पूर्वजों को तर्पण और श्राद्ध से तृप्त करने का समय है, न कि सांसारिक वैभव का प्रदर्शन करने का।

मनोवैज्ञानिक कारण – जब हम नई चीजें खरीदते हैं, तो हमारा मन प्रसन्न और उत्साहित हो जाता है। पितृ पक्ष में यह प्रसन्नता शोक की भावना को कम कर सकती है, इसलिए संयम रखा जाता है।

सामाजिक कारण – यह परंपरा हमें याद दिलाती है कि जीवन केवल उपभोग के लिए नहीं है। यह समाज में एक अनुशासन और संतुलन बनाए रखती है।

क्या खरीद सकते हैं पितृ पक्ष में ?
यदि कोई वस्तु अत्यंत आवश्यक हो (जैसे टूटे बर्तन का रिप्लेसमेंट या जरूरत का अनाज), तो खरीदी जा सकती है। शास्त्र कहते हैं कि यदि ऐसी खरीद पूर्वजों की कृपा से हो रही है तो वह शुभ मानी जाती है।
विशेष शुभ योग – जैसे सर्वार्थ सिद्धि योग, गुरु पुष्य योग में की गई खरीदारी का विशेष महत्व है।

आधुनिक संदर्भ में प्रासंगिकता – आज के समय में जब जीवन तेज़ गति से चल रहा है,पितृ पक्ष हमें रोककर सोचने का अवसर देता है, यह हमें हमारे पूर्वजों के संघर्ष याद दिलाता है। यह हमें भोगवाद से विरत होकर आत्मनिरीक्षण करने का अवसर देता है। यह परिवार में एकता और सामूहिक स्मृति का समय है।

विशेष – Conclusion -पितृ पक्ष सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह संयम, स्मरण और कृतज्ञता का उत्सव है। नए कपड़े, गहने, वाहन, मकान, लोहे के सामान या सजावटी वस्तुएं खरीदने से बचना हमें सांसारिक मोह से ऊपर उठने का अवसर देता है। इस अवधि का सही महत्व समझें, अपने पितरों को श्रद्धांजलि दें, जरूरतमंदों की मदद करें और अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाएं। याद रहे कि पितृ पक्ष का सच्चा उद्देश्य पितरों को तृप्त करना ही नहीं, बल्कि स्वयं को भी आत्मिक रूप से शुद्ध करना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *