
Pitra Paksha 2025 : पितृपक्ष में तुलसी के समक्ष तर्पण का महत्व, विधि- नियम और लाभ – हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। यह वह समय होता है जब हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं, उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और दान-पुण्य करते हैं। मान्यता है कि इस अवधि में पितरों की आत्माएं धरती पर आती हैं और अपने वंशजों के कर्मों को स्वीकार करती हैं। यदि श्राद्ध विधिपूर्वक किया जाए तो पितरों की कृपा से परिवार में सुख-समृद्धि और शांति आती है। इन्हीं कर्मकांडों में एक महत्वपूर्ण कर्म है तुलसी दल से जल तर्पण। तुलसी का पौधा हिंदू संस्कृति में केवल एक औषधीय पौधा ही नहीं बल्कि पवित्रता और भक्ति का प्रतीक माना गया है। तुलसी को “माता लक्ष्मी का स्वरूप” तथा “भगवान विष्णु को अर्पित प्रिय पत्र” माना गया है। पितृ पक्ष में तुलसी दल से तर्पण करना विशेष फलदायी माना जाता है, लेकिन इसके लिए कुछ विशेष नियम और विधियाँ होती हैं जिनका पालन अनिवार्य है।
पितृ पक्ष क्या है और इसका महत्व – पितृ पक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन मास की अमावस्या तक चलता है। इस अवधि में लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि जो व्यक्ति इस समय अपने पितरों का स्मरण कर उनके लिए जल, भोजन और दान अर्पित करता है, उसके पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं,इसे महालय भी कहा जाता है और इसे 16 श्राद्ध पक्ष भी कहते हैं।
तुलसी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
पवित्रता का प्रतीक – तुलसी को सभी ग्रंथों में शुद्ध और पवित्र माना गया है।
भगवान विष्णु की प्रिय – विष्णु पूजा में तुलसी का प्रयोग आवश्यक है।
नकारात्मक ऊर्जा का नाश – तुलसी का पौधा वातावरण को शुद्ध करता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
पितृ तर्पण में महत्व – तुलसी दल से किया गया तर्पण पितरों तक शीघ्र पहुंचता है और उन्हें संतुष्टि प्रदान करता है।
पितृ पक्ष में तुलसी दल से जल तर्पण करने की विधि – तुलसी के पास कटोरी रखें ,श्राद्ध या तर्पण के दिन तुलसी के पौधे के पास एक साफ और पवित्र कटोरी रखें। यद् रहे यह स्थान बिल्कुल साफ सुथरा स्वच्छ होना चाहिए।
जल अर्पित करें – कटोरी में गंगाजल या शुद्ध जल रखें,दाएं हाथ के अंगूठे और अनामिका से जल अर्पित करें,यह जल तुलसी की जड़ के समीप रखें।
पितरों का स्मरण करें – जल अर्पण करते समय अपने पितरों के नाम लें,सच्चे मन से उन्हें याद करें और उनके लिए प्रार्थना करें।
घर में जल का छिड़काव – कटोरी में अर्पित किया गया जल पूरे घर में छिड़कें,ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
तुलसी पौधे में जल डालें – कटोरी में जो जल बच जाए, उसे तुलसी के पौधे की जड़ों में डाल दें,इससे वातावरण शुद्ध होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
पितृ पक्ष में तुलसी दल तर्पण के नियम –
तुलसी की पत्तियां न तोड़ें – पितृ पक्ष के दौरान तुलसी की पत्तियां तोड़ना वर्जित है, इससे पितर नाराज़ हो सकते हैं।
श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को तुलसी पूजा से बचना चाहिए ,क्योंकि जो व्यक्ति श्राद्ध कर रहा हो, उसे तुलसी की पूजा नहीं करनी चाहिए, केवल जल अर्पण और तर्पण ही पर्याप्त है।
सात्विक आचरण रखें – पितृ पक्ष में शराब, मांसाहार, प्याज-लहसुन का सेवन वर्जित है, झूठ, क्रोध और हिंसा से बचना चाहिए।
साफ-सफाई का ध्यान रखें – तुलसी के पास हमेशा स्वच्छता रखें। तर्पण के समय शुद्ध वस्त्र पहनें।
तुलसी दल से तर्पण करने के लाभ – पितरों की आत्मा को शांति,तुलसी दल से किया गया तर्पण पितरों को तुरंत संतुष्टि देता है।
मां लक्ष्मी का आशीर्वाद – तुलसी दल अर्पित करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में समृद्धि आती है।
नकारात्मक ऊर्जा का नाश – तुलसी जल का छिड़काव घर से नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है।
वंश वृद्धि और उन्नति – पितरों की कृपा से संतान सुख और परिवार में उन्नति होती है।
स्वास्थ्य लाभ – तुलसी का वातावरण स्वास्थ्यवर्धक होता है, जिससे परिवार में रोग कम होते हैं।
पितृ पक्ष में तुलसी से जुड़े धार्मिक संदर्भ – गरुड़ पुराण में तुलसी का महत्व विस्तार से बताया गया है,पद्म पुराण के अनुसार तुलसी दल से पितरों को तर्पण करने से वे शीघ्र तृप्त होते हैं,महाभारत में भी वर्णन है कि तुलसी दल अर्पित करने से श्राद्ध कर्म का फल कई गुना बढ़ जाता है।
तुलसी और पितृ पक्ष से जुड़े निषेध – पितृपक्ष में तुलसी दल भूलकर भी नहीं छोड़ना चाहिए,श्राद्धकर्म करने वाले सदस्य को तुलसी पूजा नहीं करनी चाहिए। अशुद्ध अवस्था में तुलसी के पास न जाएं और कभी भी शाम के बाद तुलसी को जल न चढ़ाएं।
पितृ पक्ष हमारे पूर्वजों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए समर्पित है। इस दौरान तुलसी दल से तर्पण करना विशेष फलदायी और पवित्र माना गया है। तुलसी के पास रखी कटोरी में गंगाजल अर्पित करके पितरों को स्मरण करना, उस जल को घर में छिड़कना और अंत में तुलसी में डाल देना,यह प्रक्रिया सरल होते हुए भी गहन आध्यात्मिक महत्व रखती है। श्राद्धकर्म में तुलसी दल का प्रयोग पितरों को संतोष देने के साथ-साथ घर-परिवार में शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य भी लाता है। बस ध्यान रहे कि इस दौरान तुलसी दल तोड़ने और तुलसी पूजा करने से बचें। इसलिए, यदि आप चाहते हैं कि आपके पितर प्रसन्न रहें और उनका आशीर्वाद आपके परिवार पर बना रहे, तो पितृ पक्ष में तुलसी दल से जल तर्पण अवश्य करें।