40 साल बाद यूनियन कार्बाइड के 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को राजधानी भोपाल से हटाया गया, इस कचरे को भोपाल से 220 किलोमीटर दूर इंदौर संभाग के पीथमपुर में निस्तारण के लिए ले जाया गया. यहां के आम लोगों, नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया, ये लोग नहीं चाहते कि यूनियन कार्बाइड का विषैला कचरा पीथमपुर में जलाया जाएगा और इस क्षेत्र की आबोहवा में जहर घुल जाए ठीक वैसे ही जैसे दिसंबर 1984 भोपाल में हुआ था।
यहां यूनियन कार्बाइड के कचरे को जलाने की बात से लोग इतने डरे हुए हैं कि अपनी जान देने को भी तैयार हैं. पुलिस से भिड़ रहे हैं, लाठियां खा रहे हैं, खुद पर पैट्रोल डालकर खुद को जलाए दे रहे हैं लेकिन यूनियन कार्बाइड के कचरे को नहीं जलने दे रहे हैं. शुक्रवार को पीथमपुर में इस कचरे की वजह से एक बड़ी दुर्घटना होते होते रह गई। विरोध कर रहे आंदोलनकारी राजकुमार रघुवंशी और राजू पटेल ने अपने ऊपर पैट्रोल डालकर अत्मदाह की कोशिश की. इस घटना का दिल दहला देने वाला वीडियो सामने आया है. जिसमे दो व्यक्ति पहले खुद पर पैट्रोल डालते हैं उसके बाद उनके पूरे शरीर पर आग लग जाती है. दोनों प्रदर्शनकारी अपनी जान बचाने के लिए इधर उधर भागने लगते हैं, जमीन पर गिर जाते हैं. ये तो गनीमत थी कि उन्हें बचाने के लिए काफी लोग मौके पर मौजूद थे. लोगों ने तुरंत आग को बुझा दिया, दोनों गंभीर रूप से झुलसने से बच गए मगर घायल हो ही गए. दोनों को इंदौर के चोइथराम अस्पताल के बर्न यूनिट में भर्ती किया गया है।
दरअसल इस वीडियो को देखने के बाद ये तो स्पष्ट होता है कि खुद पर पैट्रोल डालने वाले प्रदर्शनकारियों ने खुद से आग नहीं लगाई, बल्कि किसी ने पीछे से माचिस या लाइटर जला दिया इसी वजह से आग लगी मगर ऐसा करने वाला कौन है इसका पता नहीं चल पाया है.
खैर पीथमपूर के लोग मरने – मारने के लिए तैयार हैं मगर यूनियन कार्बाइड के कचरे को जलने देने के लिए तैयार नहीं हैं. पीथमपुर में 7 जगहों पर विरोध प्रदर्शन हो रहा है. कहीं चक्का जाम है, तो कहीं महिलाऐं आंदोलन कर रहीं हैं, नेताओं को चूड़ियां भेजे जाने की बात की जा रही है, कोई सीएम यादव को बहस के लिए चुनौती दे रहा है, और ऐसा नहीं है कि इस प्रदर्शन में विपक्ष के लोग बस शामिल है, भाजपा के क्षेत्रीय नेता भी कचरे को पीथमपुर में जलाने का विरोध कर रहे हैं.
इस दौरान पीथमपुर से जाने – आने की कनक्टिविटी प्रभावित हुई है. हाइवे पर लंबा जाम लगा है. प्रशासनिक अधिकारी आंदोलनकारियों को धरना खत्म करने के लिए कह रहे हैं और न मानाने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दे रहे हैं लेकिन लोग डंटे हुए हैं।
इधर एमपी सीएम मोहन यादव का कहना है कि इस मुद्दे पर राजनीती नहीं होनी चाहिए, इस कचरे में 60 फीसदी मिटटी और 40 फीसदी केमिकल वेस्ट है जिसका प्रभाव 25 वर्षों में खत्म हो जाता है. उनका कहना है कि इस कचरे के निस्तारण का 3 बार ट्रायल हुआ है जिसमे इसका पर्यावरण पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पाया गया. खैर पीथमपूर में यूनियन कार्बाइड के खचरे को जलाने के लिए सरकार 126 करोड़ रुपए खर्च कर रही है. पीथमपुर के रामकी इनवायरो कैम्प्स में 337 मीट्रिक टन कचरे को 1200 डिग्री सेल्सियस तापमान में जलाया जाना है। लेकिन पीठमपुरवासी इस प्रक्रिया से घबराए हुए हैं और इस बात को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. बहरहाल ऐसा माना जा रहा है कि लोगों का प्रदर्शन काम नहीं आने वाला है। सरकार हर हाल में यूनियन कार्बाइड के कचरे का निष्पादन करके ही मानेगी। वैसे देखा जाए तो इस कचरे का कहीं न कहीं तो निष्पादन तो होना ही है. इसे जहां जाया जाएगा वहां विरोध होगा। वैसे इस घटनाक्रम पर आप क्या सोचते हैं हमें कमेंट में जरूर बताएं और एमपी से जुडी अहम घटनाओं के लिए शब्द सांची को फॉलो करते रहें।