Pahalgam Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले की जांच में कई अहम जानकारियां सामने आई हैं। जांच एजेंसियों के मुताबिक, हमलावर बेहद आधुनिक तकनीक और खतरनाक हथियारों से लैस थे। उन्होंने हेलमेट पहना हुआ था, जिनमें कैमरे लगे हुए थे। इन कैमरों के जरिए हमले की पूरी घटना की वीडियोग्राफी की जा रही थी। इससे यह स्पष्ट होता है कि यह हमला सिर्फ एक हिंसक घटना नहीं, बल्कि एक सुनियोजित ऑपरेशन था।
हथियार और रणनीति
सूत्रों के अनुसार, आतंकियों ने अमेरिकी एम4 कार्बाइन राइफल और एके-47 से हमला किया। पहले उन्होंने पर्यटकों को बंदूक की नोक पर बंधक बनाया, फिर महिलाओं और बच्चों को अलग किया और पुरुषों को पहचानकर उन पर हमला किया गया। यह हमला करीब 20 से 25 मिनट तक चला। कुछ आतंकियों ने स्नाइपर की तरह दूरी से लोगों को निशाना बनाया और गोली इस तरह मारी कि खून अधिक बहकर उनकी मौत हो गई। यह हमले की निर्ममता को दर्शाता है।
हमले की जगह — बैसरन घाटी — पहलगाम का एक ऐसा इलाका है, जहां वाहन नहीं जा सकते। वहां केवल घोड़ों या पैदल रास्तों से ही पहुंचा जा सकता है। इसका मतलब यह है कि आतंकियों ने इलाके की रेकी पहले से की थी और पूरी प्लानिंग के साथ ऐसी जगह को चुना जहाँ सुरक्षाबलों की प्रतिक्रिया में देरी हो सके।
पाकिस्तानी कनेक्शन और लोकल समर्थन का संकेत
हमले में शामिल आतंकवादियों में से दो आपस में पश्तो भाषा में बात कर रहे थे, जिससे उनके पाकिस्तानी होने का संदेह है। वहीं दो आतंकी स्थानीय प्रतीत हो रहे थे। इससे साफ है कि हमले में विदेशी और स्थानीय आतंकियों का गठजोड़ था।
एनआईए को सौंपी जा सकती है जांच
सरकार इस मामले को जम्मू-कश्मीर पुलिस से हटाकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपने की योजना बना रही है। NIA पहले ही कुछ चश्मदीदों के बयान दर्ज कर चुकी है और घटनास्थल से 50 से 70 गोलियों के खोखे बरामद हुए हैं। इससे साफ है कि आतंकियों ने हमले के दौरान भारी मात्रा में गोलियां चलाईं।
खुफिया अलर्ट था, पर जानकारी अधूरी थी
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, खुफिया एजेंसियों ने कुछ दिन पहले एक अलर्ट भेजा था, जिसमें कहा गया था कि एक आतंकी समूह ‘गैर-स्थानीय लोगों’ को निशाना बना सकता है और IED हमले की संभावना है। हालांकि, इस अलर्ट में स्थान, समय और हमले के पैटर्न की स्पष्ट जानकारी नहीं थी, जिससे सुरक्षा एजेंसियों को हमले को रोकने में मुश्किल हुई।