Paush Putrada Ekadashi 2025 : संतान सुख-समृद्धि हेतु भगवान विष्णु व्रत-पुत्रदा एकादशी

Paush Putrada Ekadashi 2025 : संतान सुख-समृद्धि हेतु भगवान विष्णु व्रत-पुत्रदा एकादशी-हिंदू धर्म में एकादशी व्रतों का विशेष महत्व माना गया है, जिनमें पुत्रदा एकादशी को अत्यंत पुण्यदायी और फलदायी व्रत कहा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से उन दंपतियों के लिए महत्वपूर्ण होता है जो संतान प्राप्ति की कामना रखते हैं या जिनकी संतान किसी प्रकार के कष्ट से गुजर रही हो। पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा कर व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा और विधि-विधान से किया गया व्रत संतान सुख, परिवार की समृद्धि और पापों से मुक्ति प्रदान करता है। पुत्रदा एकादशी व्रत संतान प्राप्ति, संतान कष्ट निवारण और पाप मुक्ति के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। जानें इसका महत्व, व्रत विधि और लाभ। पुत्रदा एकादशी का अर्थ-पुत्रदा शब्द का अर्थ है पुत्र प्रदान करने वाली,यही कारण है कि यह एकादशी संतान प्राप्ति और संतान की लंबी आयु के लिए विशेष रूप से जानी जाती है।

पुत्रदा एकादशी कब मनाई जाती है – पुत्रदा एकादशी वर्ष में दो बार आती है

पौष पुत्रदा एकादशी – दिसंबर से जनवरी के बीच
श्रावण पुत्रदा एकादशी – जुलाई से अगस्त के बीच – इन दोनों ही एकादशी शुक्ल पक्ष की 11वीं तिथि को मनाई जाती हैं।

विष्णु देव और माता लक्ष्मी

इस दिन मुख्य रूप से पूजा की जाती है-भगवान विष्णु (नारायण) और विशेष रूप से माता लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है भगवान विष्णु जहां संपूर्ण कल्याण करते हैं वहीं माता लक्ष्मी संतान के लिए सदा सहाय रहती हैं।

पुत्रदा एकादशी का महत्व

संतान प्राप्ति की कामना पूर्ण होती है,संतान से जुड़े कष्ट और बाधाएं दूर होती हैं। परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है
पापों का नाश होता है,दांपत्य जीवन में मधुरता बढ़ती है।

पुत्रदा एकादशी व्रत विधि (संक्षेप में)

प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। घर के मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें और तुलसी पत्र, पीले फूल, फल और धूप-दीप से पूजा करें। इस दिन विष्णु सहस्रनाम या विष्णु मंत्रों का जाप करें।
पुत्रदा एकादशी व्रत कथा का श्रवण करें। रात्रि जागरण कर भजन-कीर्तन करना विशेष फलदायी माना जाता है इस व्रत के अगले दिन द्वादशी तिथि में तुलसी और गंगाजल के साथ पारण करें।

व्रत के लाभ

संतान सुख की प्राप्ति
संतान का स्वास्थ्य और दीर्घायु
घर में धन-धान्य और खुशहाली
आध्यात्मिक शांति और पुण्य की प्राप्ति

निष्कर्ष (Conclusion)-पुत्रदा एकादशी केवल एक व्रत नहीं, बल्कि संतान सुख और पारिवारिक कल्याण की गहरी आस्था से जुड़ा पावन पर्व है। श्रद्धा, नियम और भक्ति भाव से किया गया यह व्रत भगवान विष्णु की विशेष कृपा दिलाता है। जो दंपति संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं या अपनी संतान के सुखमय भविष्य की कामना करते हैं, उनके लिए पुत्रदा एकादशी का व्रत अत्यंत लाभकारी और कल्याणकारी माना गया है।

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