OBC 27 Percent Reservation: संगठन ने स्पष्ट किया कि वह मध्यप्रदेश हाईकोर्ट द्वारा ओबीसी आरक्षण पर लगाई गई अंतरिम रोक को हटाने के लिए राज्य सरकार की सुप्रीम कोर्ट याचिका का विरोध करेगा। इस रोक को हटाने के लिए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई 5 अगस्त को होगी।
OBC 27 Percent Reservation: मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। कांग्रेस और बीजेपी के बीच 27% ओबीसी आरक्षण को लेकर चल रही सियासी खींचतान के बीच परशुराम सेवा संगठन ने मोर्चा खोल दिया है। संगठन ने स्पष्ट किया कि वह मध्यप्रदेश हाईकोर्ट द्वारा ओबीसी आरक्षण पर लगाई गई अंतरिम रोक को हटाने के लिए राज्य सरकार की सुप्रीम कोर्ट याचिका का विरोध करेगा।
परशुराम सेवा संगठन के प्रदेश अध्यक्ष सुनील पांडे ने शनिवार को कहा कि 4 मई 2022 को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर ने ओबीसी आरक्षण बढ़ाने पर अंतरिम रोक लगाई थी। इस रोक को हटाने के लिए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई 5 अगस्त को होगी। संगठन सुप्रीम कोर्ट से मांग करेगा कि आरक्षण की विसंगतियों को दूर कर सभी वर्गों के लिए समान न्याय सुनिश्चित किया जाए।
आरोप: EWS आरक्षण को 50% सीमा में नहीं जोड़ा गया
पांडे ने बताया कि वर्तमान में मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति (एससी) को 16%, अनुसूचित जनजाति (एसटी) को 20%, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 14%, और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को 10% आरक्षण मिलता है। उन्होंने आरोप लगाया कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण को 50% की अधिकतम सीमा में शामिल नहीं किया गया, जबकि ओबीसी आरक्षण को 27% करने का प्रयास संविधान पीठ द्वारा तय 50% सीमा का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि 50% से अधिक आरक्षण के लिए राज्य सरकार को असाधारण परिस्थितियों के समर्थन में ठोस डेटा प्रस्तुत करना होगा, जो अब तक नहीं हुआ। इसलिए हाईकोर्ट की रोक बरकरार रहनी चाहिए।
समानता की मांग, सियासी खेल पर सवाल
परशुराम सेवा संगठन का कहना है कि वह किसी भी वर्ग के आरक्षण का विरोध नहीं करता, बल्कि सभी वर्गों के लिए समान अधिकार और न्याय चाहता है। संगठन ने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की है कि एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस के बीच आरक्षण में व्याप्त असमानताओं को खत्म किया जाए। संगठन ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और बीजेपी ओबीसी आरक्षण को लेकर सियासी लाभ लेने की होड़ में हैं, जिससे सामाजिक न्याय का उद्देश्य पीछे छूट रहा है और वोट बैंक की राजनीति हावी हो रही है। पांडे ने कहा कि जब तक आरक्षण नीति में सभी वर्गों के लिए समानता नहीं आती, संगठन संवैधानिक और सामाजिक स्तर पर इसका विरोध जारी रखेगा।