Parliament Monsoon Session : गुरुवार को संसद का मानसून सत्र का आखिरी दिन काफी हंगामेदार रहा। लोकसभा में चर्चा के लिए 120 घंटे का समय तय था, लेकिन सिर्फ 37 घंटे ही चर्चा हो पाई। इसमें भी अधिकतर समय ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा में बीता। इसके बाद 130वें संशोधन विधेयक के सवाल को लेकर विपक्षी सांसदों का हंगामा बढ़ गया, जिसके कारण संसद की कार्यवाही नहीं हो सकी। वहीं आज सांसदों के हंगामे और विरोध के बीच राज्यसभा में ऑनलाइन गेमिंग बिल पास हो गया।
सदन में ऑनलाइन गेमिंग बिल पास
राज्यसभा में विपक्ष का हंगामा चलता रहा। हंगामे के दौरान खरगे फिर से एसआईआर के मुद्दे पर बोलने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन सभापति ने उन्हें रोक दिया। इसके बाद संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने खरगे पर नाराजगी जताई, जिससे दोनों के बीच बहस हुई। इस बीच केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ऑनलाइन गेमिंग की लत ड्रग्स जैसी समस्या बन चुकी है और इसमें बहुत से लोग अपनी पूरी कमाई गंवा चुके हैं।
तीन बिल के पेश होने के बाद से शुरू हुआ विरोध
लोकसभा में बुधवार को भ्रष्टाचार और अन्य गंभीर मामलों में जेल में बंद प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और केन्द्र व राज्य सरकारों के मंत्रियों को राष्ट्रपति, राज्यपाल तथा उपराज्यपाल द्वारा हटाए जाने से जुड़े तीन विधेयक पेश करने के दौरान हंगामा हुआ। गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में संविधान (एक सौ तीसवां संशोधन) विधेयक, 2025; केंद्रशासित प्रदेशों की सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025 और जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 तीन विधेयक विचार के लिए रखे थे। लेकिन विपक्ष ने जोरदार हंगामा शुरू कर दिया जो गुरुवार को संसद के मानसून सत्र के आखिरी दिन ही जरा रही, जिससे कार्रवाई को अनिश्चितकालीन तक के लिए स्थगित कर दिया।

सांसदों से लिया जाए सदन के खर्च का पैसा
इस बीच आज केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव के निर्दलीय सांसद उमेश पटेल ने सदन में बात करते हुए सांसदों के वेतन में कटौती की मांग की और संसद भवन के बाहर प्रदर्शन किया। उमेश पटेल ने कहा कि जब सदन ही नहीं चला, तो इस पर खर्च हुआ पैसा क्यों जनता से लिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि इस समय सांसदों का वेतन और लाभ भी न मिले, जब सदन नहीं चलता।
सदन में इस बार 37 घंटे ही काम हुआ
बता दें कि लोकसभा में चर्चा के लिए 120 घंटे का समय तय था, लेकिन सिर्फ 37 घंटे ही चर्चा हो सकी। तय समय का दो तिहाई हिस्सा हंगामे में ही खत्म हो गया। इस दौरान 14 बिल लाए गए, जिनमें से 12 पास हो गए। ज्यादातर विधेयक बिना चर्चा के ही पास कर दिए गए, कुछ को जांच के लिए भेजा गया।