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बच्चे अलग हैं तो तुलना क्यों ? पैरेंट्स का तुलनात्मक रवैया बच्चों के आत्मविश्वास को कैसे करता है कमजोर

Parenting Tips In Hindi

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Parenting Tips In Hindi: हर बच्चा अपने आप में खास होता है उनकी सोच, समझ, सीखने की रफ्तार और रुचियां अलग होती हैं। लेकिन अक्सर माता-पिता अनजाने में अपने बच्चों की तुलना उनके भाई-बहनों, रिश्तेदारों या पड़ोसियों के बच्चों से करते हैं।

यह तुलना बच्चों के मनोविज्ञान पर गहरा प्रभाव डालती है, जो आगे चलकर उनके आत्मविश्वास, व्यवहार और भावनात्मक संतुलन को प्रभावित कर सकती है। देखा जाए तो बच्चों के लिए तुलनात्मक दृष्टि कोण अभिभावकों की कमी है न कि बच्चों की लेकिन इसपर काम करना जरूरी है ताकि आपके बच्चे किसी दुर्भावना का शिकार न हों।

तुलना से हो सकता है ये नुकसान ?

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पैरेंट्स पहचाने बच्चों की स्वयं की क्षमता

तुलना की जगह सहयोग और संवाद जरूरी

अच्छे पैरेंट्स की पहचान

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विशेष :- पैरेंट्स को इस बात को कंठस्थ कर लेना चाहिए कि तुलनात्मक रवैया बच्चों को तोड़ता है, बनाता नहीं है। यदि माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा आत्मविश्वासी, मजबूत और खुशहाल बने, तो सबसे पहले उन्हें उसकी तुलना किसी और से बंद करनी होगी। वो जैसा है,जो कहता है उसे समझें, अपनाएं और उसकी खुद की पहचान को उभरने दें बल्कि उभारने में मदद करें यही अच्छे अभिभावक की असली पहचान है।

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