Parenting Tips: बच्चे पालना और उन्हें संभालना बहुत ही कठिन कार्य होता है। इस कार्य को करने के दौरान कई बार माता-पिता और अभिभावक अपना आपा भी खो देते हैं जिसकी वजह से कुछ ऐसी बातें या शब्द कह देते हैं(baccho ko kya nahi kehna chahiye) जो बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर भी डाल सकते हैं। जी हां, कई बार गुस्से या निराशा की वजह से हम कुछ ऐसी बातें बच्चों को बोल देते हैं जिससे बच्चों का आत्मविश्वास टूट जाता है और बच्चों में नकारात्मक भावनाएं घर करने लगती हैं। आज के इस लेख में हम आपको इसी के बारे में बताएंगे।

इन वाक्यों से हो जाता है बच्चों का आत्मविश्वास कमज़ोर never say these words to your tooddler)
जी हां, आज हम आपको कुछ ऐसे व्यवहार और शब्दों के बारे में बताने वाले हैं जिन्हें भूल कर भी बच्चों के सामने कभी नहीं कहना चाहिए क्योंकि यह बातें बच्चों पर गहरा असर डालती है और उन्हें आंतरिक तौर पर कमजोर बना देती हैं(parenting of adolescent) आईए जानते हैं कुछ ऐसे वाक्यों के बारे में जिन्हें बच्चों से कभी नहीं कहना चाहिए
तुम रहने दो तुमसे नहीं होगा: आमतौर पर माता-पिता बच्चों को यह वाक्य काफी आसानी से कह देते हैं परंतु यह वाक्य सुनने के बाद बच्चे धीरे-धीरे खुद को अयोग्य समझने लगते हैं और जिंदगी में प्रयास करना ही छोड़ देते हैं क्योंकि उन्हें बार-बार यही सुनाया जाता है कि तुम रहने दो तुमसे नकारात्मक बन जाती है और वह जीवन के प्रति हतोत्साहित हो जाते हैं इसीलिए कभी भी बच्चों को यह वाक्य नहीं बोलना चाहिए।
तुम चुप रहो तुम्हें कुछ नहीं पता: माता-पिता या अभिभावक बच्चों को कई बार गुस्से में शांत करने के लिए यह वाक्य कह देते हैं जिससे बच्चों को धीरे-धीरे यह लगने लगता है कि उनकी बात की कोई अहमियत नहीं है और वह अपनी राय रखना भी बंद कर देते हैं। साथ ही बच्चे खुद को हर मुद्दे से दूर करने लग जाते हैं ऐसे में बच्चों का आत्मविश्वास धीरे-धीरे कम हो जाता है और वह इंट्रोवर्ट बन जाते हैं।
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तुम कोई काम ठीक से नहीं करते: बच्चों की छोटी-मोटी गलती पर उन्हें समझाने की बजाय कई बार माता-पिता बच्चों के कामों में गलतियां निकलने लगते हैं और उन्हें यह गलत वाक्य कह देते हैं जिसकी वजह से बच्चों का आत्मविश्वास डगमगाने लगता है। उन्हें लगता है कि वह यदि कोई भी काम करेंगे तो वह हमेशा गलत ही होगा जिसकी वजह से भी कोई भी जिम्मेदारी लेने के लिए सामने नहीं आते और असफलता के डर से काम से दूर भागते हैं।
माता-पिता और अभिभावक को चाहिए कि बच्चों से बात करते समय शब्दों को नापतोल कर कहें और ऐसी कोई बात ना कहें जिससे बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़े।