Panchatantra stories : पंचतंत्र जानवरों वाली कहानियों में छुपा जीवन का नैतिक ज्ञान

Panchatantra stories : पंचतंत्र जानवरों वाली कहानियों में छुपा जीवन का नैतिक ज्ञान-भारतीय साहित्य का एक अमर रत्न है, जहाँ जानवरों की मनोरंजक कहानियों के माध्यम से जीवन के गूढ़ नैतिक और व्यावहारिक सबक सिखाए जाते हैं। इन कहानियों का सृजन लगभग 2000 वर्ष पूर्व आचार्य विष्णु शर्मा द्वारा किया गया था, जिन्होंने संस्कृत भाषा में इन्हें लिपिबद्ध किया। मूल रूप से राजकुमारों को शासन कला और जीवन प्रबंधन की शिक्षा देने के उद्देश्य से रचा गया यह ग्रंथ, आज भी बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी के लिए प्रासंगिक बना हुआ है। पंचतंत्र की सुंदरता इसके ‘दिखने में सरल, अर्थ में गहन’ कथानक में निहित है। पंचतंत्र की रोचक कहानियाँ (जैसे नीला सियार, मूर्ख कछुआ) और उनकी जीवनभर की शिक्षाएँ जानें। आचार्य विष्णु शर्मा द्वारा रचित यह संग्रह बच्चों और बड़ों के लिए समान रूप से उपयोगी है। पाँच तंत्रों का विस्तृत विवरण।

आइए पहले समझें की आखिर पंचतंत्र क्या है ?

अर्थ एवं उद्देश्य-पंचतंत्र शब्द पंच यानि पांच और तंत्र यानि सिद्धांत या रणनीति से मिलकर बना है। अर्थात पांच सिद्धांत से परिपूर्ण या आधारित। इसका प्राथमिक उद्देश्य तीन राजकुमारों को, जो पुस्तकीय ज्ञान से विमुख थे, व्यावहारिक जीवन कौशल, राजनीति, मानव स्वभाव और नैतिकता की शिक्षा देना था। विष्णु शर्मा ने इन सूक्ष्म सिद्धांतों को जानवरों की रोचक कहानियों के माध्यम से समझाया ताकि शिक्षा रोचक और स्मरणीय बन सके। इसका श्रेय परंपरागत रूप से आचार्य विष्णु शर्मा को दिया जाता है,हलाकि ऐतिहासिक रूप से मूल रचनाकार का स्पष्ट विवरण समय के साथ लुप्त हो गया है,ऐंसा भी माना गया है।

पंचतंत्र की कहानियों के-( मुख्य भाग )

पंचतंत्र की संरचना पांच मुख्य भागों या तंत्रों में की गई है, जिनमें विशिष्ट जीवन-शिक्षा निहित हैं-

मित्रभेद (मित्रों का बिछड़ना)-इस भाग में दोस्तों के बीच गलतफहमी, ईर्ष्या या किसी तीसरे पक्ष के कुचक्र से उत्पन्न मतभेदों के दुष्परिणाम दर्शाए गए हैं। विवेकहीनता और अविश्वास से मित्रता टूटती है।

मित्रलाभ (मित्रों का लाभ)-यह भाग बताता है कि सही मित्रों का चयन कैसे करें और उनकी मित्रता से किस प्रकार का लाभ प्राप्त किया जा सकता है। जिससे सीख़ मिलती है की बुद्धिमान और वफादार मित्र जीवन का सबसे बड़ा धन होते हैं।

सुहृदभेद (शत्रुतापूर्ण कार्य)-इसमें दुश्मनों द्वारा मित्रों के बीच फूट डालने की रणनीतियों और उनसे बचने के उपायों का वर्णन है। पंचतंत्र सिखाता है की एकजुटता में शक्ति है और फूट में पतन।

विग्रह (अलगाव/संघर्ष)-इस तंत्र में शत्रुओं के साथ संघर्ष, युद्ध और वियोग के सिद्धांतों पर प्रकाश डाला गया है। जिसके माध्यम से सीख देने का प्रयास किया गया है की बिना तैयारी और बुद्धिमत्ता के संघर्ष में उतरना हानिकारक हो सकता है।

संधि (मेल-जोल)-अंतिम भाग में बताया गया है की शांति स्थापना, समझौते और मेल-जोल के महत्व को रेखांकित करता है। इस कहानी से कई बार समझौता और शांति, संघर्ष से बेहतर विकल्प होते हैं,समझाने की कोशिश की गई है।

वैश्विक प्रभाव और आधुनिक प्रासंगिकता

पंचतंत्र की कहानियां केवल भारत तक सीमित नहीं रहीं,इनका अनुवाद पहले पहलवी, फिर अरबी (कलिला व दिम्ना के नाम से) और बाद में यूरोप की अनेक भाषाओं में हुआ। इन कहानियों ने ईसप की नीतिकथाओं सहित दुनिया भर की लोककथाओं को प्रभावित किया है। आज भी, डिजिटल युग में, ये कहानियां कार्टून, कॉमिक्स और शिक्षण सामग्री के रूप में बच्चों को सही-गलत का फर्क, सतर्कता, बुद्धिमत्ता और नैतिक मूल्य सिखाने का काम कर रही हैं। ये केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि जीवन प्रबंधन की सूक्ष्म पाठ्यपुस्तक हैं।

निष्कर्ष-पंचतंत्र कोई साधारण पशु-कथाओं का संग्रह नहीं है-यह मानवीय मनोविज्ञान, राजनीति, समाजशास्त्र और नैतिकता का एक सारगर्भित दर्शन है, जो सरल कथानक में प्रस्तुत किया गया है। यह हमें सिखाता है कि जीवन की चुनौतियों से कैसे निपटा जाए, मित्र कैसे बनाए रखें,शत्रु से कैसे सामना करें और अंततः एक संतुलित और सफल जीवन की राह कैसे पकड़ें। पंचतंत्र की यही सार्वभौमिकता और शाश्वत ज्ञान इसे आज भी हम सभी के लिए एक उपयोगी मार्गदर्शक बनाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *