Will India-China friendship prove costly for Pakistan: 31 अगस्त और 1 सितंबर 2025 को चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO Summit) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) की मुलाकात ने भारत-चीन संबंधों में नई गर्मजोशी का संकेत दिया। शी ने कहा, “भारत और चीन को प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि साझेदार होना चाहिए।” इस दोस्ती के प्रस्ताव ने क्षेत्रीय भू-राजनीति में हलचल मचा दी है, खासकर पाकिस्तान (Pakistan) के लिए, जो चीन का ‘आल-वेदर फ्रेंड’ रहा है। 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम हमले (Pahalgam Attack) के बाद भारत-पाक तनाव (India-Pakistan Tension) और SCO के भारत समर्थक रुख ने पाकिस्तान को अलग-थलग कर दिया। ऐसे में सवाल उठता है: क्या भारत-चीन की बढ़ती नजदीकी पाकिस्तान के लिए टेंशन का सबब बनेगी? और क्या चीन एक साथ भारत और पाकिस्तान दोनों से दोस्ती निभा पाएगा?
भारत-चीन दोस्ती: SCO में नया अध्याय
SCO समिट में मोदी और शी की 50 मिनट की मुलाकात में सीमा विवाद (India China Border Dispute), व्यापार , और क्षेत्रीय स्थिरता पर चर्चा हुई। शी ने कहा, “भारत और चीन दो प्राचीन सभ्यताएं हैं। हमारा दोस्ताना रिश्ता दोनों देशों और ग्लोबल साउथ के हित में है।” मोदी ने जवाब में कहा, “सीमा पर शांति और स्थिरता के बाद हमारे रिश्तों को नई दिशा मिली है। हम आपसी सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर संबंधों को आगे बढ़ाने को प्रतिबद्ध हैं।” दोनों नेताओं ने कैलाश मानसरोवर यात्रा (Kailash Mansarovar Yatra) की बहाली और डायरेक्ट फ्लाइट्स शुरू करने पर सहमति जताई। यह मुलाकात 2020 के गलवान टकराव (Galwan Clash) के बाद भारत-चीन संबंधों में सुधार का सबसे बड़ा संकेत है।
पाकिस्तान के लिए क्यों टेंशन?
पाकिस्तान, जो लंबे समय से चीन की आर्थिक और सैन्य मदद पर निर्भर रहा है, भारत-चीन दोस्ती से असहज है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) और सैन्य सहयोग पाकिस्तान के लिए जीवन रेखा हैं। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, 2020-24 में चीन ने पाकिस्तान को 63% हथियार सप्लाई किए। हाल के भारत-पाक तनाव, खासकर पहलगाम हमले के बाद, जिसमें 26 लोग मारे गए, SCO के संयुक्त बयान ने पाकिस्तान को कटघरे में खड़ा किया। बयान में हमले की निंदा करते हुए अपराधियों और प्रायोजकों को सजा देने की मांग की गई, जिसे भारत ने पाकिस्तान से जोड़ा।
पहलगाम हमले के बाद सऊदी अरब (Saudi Arabia) और यूएई (UAE) जैसे खाड़ी देशों, जो पहले पाकिस्तान के करीबी थे, उन्होंने ने भी हमले की कड़ी निंदा की। यहां तक कि चीन ने भी संयमित प्रतिक्रिया दी और दोनों पक्षों से तनाव कम करने की अपील की। यह पाकिस्तान की कूटनीतिक हार को दर्शाता है। अमेरिका ने भी भारत के आतंकवाद विरोधी रुख (Anti-Terrorism Stance) का समर्थन किया, लेकिन ट्रम्प प्रशासन के भारत पर टैरिफ ने नई दिल्ली को चीन के करीब ला दिया। विश्लेषक अमित भंडारी ने कहा, “चीन के साथ भारत का रिश्ता रूस या अमेरिका जैसा नहीं होगा, लेकिन ट्रम्प की नीतियों ने भारत को चीन की ओर धकेला है।
क्या बदलेगा क्षेत्रीय समीकरण?
भारत-चीन की बढ़ती दोस्ती से पाकिस्तान की रणनीतिक स्थिति कमजोर हो सकती है। अगर चीन भारत के साथ व्यापार और निवेश बढ़ाता है, तो CPEC और पाकिस्तान की सैन्य मदद पर असर पड़ सकता है। भारत ने SCO में साफ किया कि वह आतंकवाद पर किसी भी समझौते को स्वीकार नहीं करेगा जो क्रॉस-बॉर्डर आतंकवाद को कमजोर करे। यह पाकिस्तान के लिए सीधा संदेश था। साथ ही, भारत की अमेरिका, जापान, और ऑस्ट्रेलिया के साथ क्वाड (Quad) साझेदारी और ग्लोबल साउथ में बढ़ती भूमिका ने चीन को भारत के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए मजबूर किया है