पाकिस्तान हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया है.नोटिस जारी करने के पीछे का कारण है शादमान चौक का नाम बदलकर भगत सिंह चौक न करना।कोर्ट ने नोटिस जारी कर इसके पीछे का कारण पूछा है.लाहौर हाई कोर्ट ने साल 2018 में आदेश दिया था कि शादमान चौक का नाम बदलकर स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के नाम पर कर दिया जाए लेकिन ऐसा नहीं किया गया.
शादमान चौक और भगत सिंह का रिश्ता-शादमान चौक ही वो जगह है जहाँ 23 मार्च 1931 को भगत सिंह,सुखदेव और राजगुरु को फांसी दी गयी थी.उस दौरान ये चौक जेल का हिस्सा हुआ करता था.यहाँ की हिन्दू और सिख जनसंख्या मात्र नहीं बल्कि मुस्लिम जनसँख्या भी भगत सिंह का बहुत सम्मान करती है.
भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन ने मामले पर याचिका दायर कर कार्यवाई की मांग की है.यही फाउंडेशन लगातार इस चौक का नाम बदलकर भगत सिंह के नाम पर करने की मांग कर रही थी.लाहौर हाई कोर्ट ने नोटिस जारी कर 26 मार्च तक जवाब माँगा है.
मार्क्स से प्रभावित थे भगत सिंह-भगत सिंह को अक्सर एक एग्रेसिव स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है.यकीनन वो थे भी लेकिन इसके पीछे भी वो बहुत कुछ थे.उन्होंने ढेरों पुस्तकालय खुलवाए थे,ढेरों किताबें पढ़ी थी.कार्ल मार्क्स से वो प्रभावित थे.वसुधैव कुटुंबगम पर विश्वास रखने वाले एक नास्तिक थे जो कहते थे कि क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज़ होती है.
चाहते थे बन्दूक से उड़ा दिया जाए भगत सिंह,सुखदेव और राजगुरु को फांसी 24 मार्च 1931 को होने वाली थी वो इस फैसले से खुश नहीं थे कि उन्हें फांसी दी जाए वो चाहते थे कि उनलोगों के साथ युद्धबंदियों जैसा ही व्यवहार हो और उन्हें बन्दूक मारी जाए.इसका ज़िक्र उनके पंजाब के गवर्नर को लिखे खत में मिलता है.