जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए भीषण आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) ने देश और दुनिया को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर हिंदू पर्यटक (Hindu Tourists) थे, साथ ही एक ईसाई पर्यटक और एक स्थानीय मुस्लिम भी शामिल थे। द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF), जिसे लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) का सहयोगी माना जाता है, TRF ने शुरू में इस हमले की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन बाद में इसे खारिज कर दिया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की हालिया रिपोर्ट में इस हमले को लेकर सनसनीखेज खुलासा हुआ है, जिसमें TRF और LeT के बीच संबंधों की पुष्टि की गई है। भारत ने इस हमले के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया और UNSC में TRF को वैश्विक आतंकी संगठन (Global Terrorist Organization) घोषित करने की मांग की।
Baisaran Valley Attack: 22 अप्रैल 2025 को दोपहर करीब 3 बजे, जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में पहलगाम से 6 किलोमीटर दूर बैसरन घाटी (Baisaran Valley) में पांच हथियारबंद आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की। यह क्षेत्र, जिसे ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ (Mini Switzerland) के नाम से जाना जाता है, अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, राजस्थान, ओडिशा, एक यूएई और एक नेपाल के पर्यटक शामिल थे।
आतंकियों ने M4 कार्बाइन और AK-47 राइफलों (Assault Rifles) का इस्तेमाल किया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आतंकियों ने पहले पर्यटकों से उनके नाम पूछे और फिर गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाया। मरने वालों में एक नवविवाहित दूल्हा, रायपुर के व्यवसायी दिनेश मिरानिया (Dinesh Mirania) और केरल के 65 वर्षीय एन. रामचंद्रन शामिल थे। हमले के बाद घायलों को स्थानीय लोगों ने घोड़ों पर ले जाकर अस्पताल पहुंचाया। सेना, CRPF और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने क्षेत्र को घेर लिया और हेलीकॉप्टरों से घायलों को निकाला गया।
TRF ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए दावा किया कि यह हमला जम्मू-कश्मीर में गैर-स्थानीय लोगों को बसाने और 85,000 डोमिसाइल सर्टिफिकेट (Domicile Certificates) जारी करने के विरोध में था। हालांकि, बाद में TRF ने अपने बयान से पलटते हुए हमले से इनकार किया, जिसे भारत ने पाकिस्तान के इशारे पर किया गया दावा बताया।
UNSC की रिपोर्ट और LeT का कनेक्शन
UNSC Report Pahalgam Terror Attack: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मॉनिटरिंग कमेटी ने 30 जुलाई 2025 को अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा कि पहलगाम हमला लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के समर्थन के बिना संभव नहीं था। रिपोर्ट में TRF को LeT का प्रॉक्सी बताया गया, जो 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद स्थापित हुआ था।
TRF ने 2020 में कश्मीर में कई हमलों में अपनी मौजूदगी दर्ज की, जिसमें भारतीय सेना के जवानों (Indian Army Personnel) पर हमले शामिल हैं। भारत और अमेरिका ने इसे LeT का सहयोगी संगठन माना है, जो गैर-कश्मीरियों और धार्मिक अल्पसंख्यकों (Religious Minorities) को निशाना बनाता है।
पाकिस्तान ने UNSC के 25 अप्रैल 2025 के निंदा बयान से TRF का नाम हटाने के लिए दबाव बनाया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार (Ishaq Dar) ने संसद में कहा, “हम TRF को अवैध नहीं मानते। पहलगाम हमले में उनकी संलिप्तता का सबूत दिखाएं।” इस बयान की भारत ने कड़ी निंदा की।
18 जुलाई 2025 को अमेरिका ने TRF को विदेशी आतंकी संगठन (Foreign Terrorist Organization) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकी (Specially Designated Global Terrorist) घोषित किया, जिसे भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत-अमेरिका आतंकवाद विरोधी सहयोग (India-US Counter-Terrorism Cooperation) का मजबूत कदम बताया।
आतंकियों की पहचान
- हाफिज सईद: लश्कर-ए-तैयबा का प्रमुख, जो पाकिस्तान में रहता है और 2008 के मुंबई हमले (26/11 Mumbai Attacks) का मास्टरमाइंड माना जाता है।
- सैफुल्लाह खालिद कसूरी: LeT का उप-प्रमुख, पाकिस्तान में ही मौजूद।
- हाशिम मूसा: पाकिस्तान की स्पेशल सर्विस ग्रुप का पूर्व पैरा-कमांडो, जो 2023 में भारत में घुसपैठ के बाद से दक्षिण कश्मीर के जंगलों में छिपा है। वह गंदरबल और बारामूला में हुए हमलों में भी शामिल था।
भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने दो स्थानीय लोगों को गिरफ्तार किया, जिन्होंने हमलावरों को शरण दी थी। हाशिम मूसा को जिंदा पकड़ने की कोशिशें जारी हैं ताकि पाकिस्तान की संलिप्तता (Pakistan’s Involvement) की पुष्टि हो सके।
हमले के बाद भारत ने कड़े कदम उठाए:
ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor): 7 मई 2025 को भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoJK) में नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। रक्षा मंत्रालय ने इसे “न्याय की प्राप्ति” (Justice Served) करार दिया।
भारत ने UNSC की 1267 सैंक्शंस कमेटी में TRF को वैश्विक आतंकी संगठन घोषित करने के लिए सबूत पेश किए। मई 2025 में एक भारतीय तकनीकी टीम न्यूयॉर्क में UNOCT और CTED से मिली।
भारत ने 1960 की संधि को निलंबित कर दिया, जिसे पाकिस्तान ने “युद्ध की कार्रवाई” (Act of War) बताया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कहा, “हमले के दोषियों और उनके समर्थकों को धरती के किसी भी कोने से ढूंढकर सजा दी जाएगी।” गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने श्रीनगर में पीड़ितों के लिए शोक सभा में हिस्सा लिया और आतंकियों को कड़ा जवाब देने की प्रतिबद्धता जताई।
उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस (JD Vance) और रक्षा सचिव पीट हेग्सेथ (Pete Hegseth) ने हमले की निंदा की और भारत को समर्थन दिया। प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर (Keir Starmer) और सांसद तन्मनजीत सिंह ढेसी (Tanmanjeet Singh Dhesi) ने इसे “कायराना हमला” बताया।राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने इसे “क्रूर अपराध” करार दिया। महासचिव एंतोनियो गुतरेस (Antonio Guterres) ने भारत और पाकिस्तान से संयम बरतने की अपील की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान (Lin Jian) ने क्षेत्रीय देशों से आतंकवाद विरोधी सहयोग बढ़ाने को कहा, लेकिन TRF पर सीधे टिप्पणी से बचा।