कल हमारे कृषि आश्रित समाज के भूले बिसरे उपकरणों का समाहार धातु शिल्पियों द्वारा निर्मित बर्तनों व वस्तुओं से हो चुका है। परन्तु इसके अंत में धातु शिल्पियों के लम्बे अनुभवों और अनुसन्धान से निकले औजारों की जानकारी देना भी आवश्यक है। क्योकि कुछ ऐसे शोधार्थी हैं जो उनके बर्तनों एवं औजारों पर शोध भी कर रहे हैं।
हमने शुरुआत में ही बताया था कि धातु शिल्पी ताम्रकार हर स्थान में नही बसते उनके लिए कुछ प्राकृतिक संसाधनों की आवश्यकता भी मूल में रहती है। वह है भट्ठी और साँचा के लिए चिकनी मिट्टी, लकड़ी के साँचा के लिए चिल्ले की लकड़ी, भट्ठी के ईंधन के लिए सेहेरुआ के लकड़ी की उपलब्धता। इसी तरह धातु कूटने केलिए बाधिल तेंदूके लकड़ी का मोगरा ,एक विशेष प्रकार का मजबूत पत्थर ,खैर के साल का खूंटा वर्तनों के जंग छुड़ाने हेतु आमला,रीठा अमरोला आदि जिसके घोल का उपयोग हो सके।
इन धातु शिल्पियों का कार्य हमेशा आग के साथ खेलना रहता है। शायद यही कारण है कि उनके औजार भी अपेक्षाकृत अधिक लम्बे होते हैं। ताकि आग से थोड़ी दूर बैठकर भी उनका काम होता रहे। साथ ही काम करते समय वे शरीर में बहुत कम कपड़े पहनते हैं कि यदि आग से छोटी मोटी दुर्घटना भी हो तो वे बंचे रहें।
अगर उनके काम में आने वालेऔजारों को विभाजित किया जाय तो वह लगभग 4 प्रकार के होते हैं।
1– लौह के औजार
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इन औजारों में–
०–निहाई
०– हथौड़ा
०– छेनी
०– कई तरह की छोटी बड़ी य टेढ़ी शंशी।
०– धातु के पतुरे काटने की एक बड़ी सी कैंची
०– धातु को पानी की तरह आग में पिघला कर सांचे तक लेजाने वाला कटोरी नुमा लौह छड़से जुड़ा उपकरण।
०– धातु को फैलाने हेतु चापा।
०– आग को प्रजुल्लित करने के लिए पंखी।
०– आग के ईंधन को इधर उधर करने के लिए कुछ सीधी लम्बी य कुछ टेढ़ी छड़।
०– मिट्टी को इधर उधर करने केलिए फावड़ा।
०– धातु को ठंडा करने के लिए पानी रखने का एक लौह का पात्र।
०– आग में लकड़ी कोयला आदि डालने के लिए लौह के तसले।
०– गढ्ढे बनाने केलिए सबरी।
2– काम में उपयुक्त लकड़ी की वस्तुएं
यह लकड़ी की वस्तुएं इस प्रकार होती हैं–
०– गर्म धातु को कूट कर बढ़ाने के लिए मोगरा।
०– ठोंक – ठोंक बढ़ाने के लिए लकड़ी के हथौड़ा।
०– लकड़ी के कुछ साँचा।
०– कारीगर के बैठने केलिए लकड़ी का थोड़ा ऊंचा पटा।
3– मिट्टी की उपयोगी वस्तुएं
मिट्टी की वस्तुएं इस प्रकार होती हैं–
०– आग लगाने के लिए छोटी और बड़ी भट्ठी ।
०– मिट्टी के बने कुछ सांचे।
०– आग गड़ाकर रखने केलिए मिट्टी की गोरसी।
4– काम मे उपयुक्त धातु तांबा जत्सा आदि।
इस तरह किसी धातु शिल्पी की कार्यशाला में यह सभी तरह की वस्तुएं रहना अनिवार्य होता है तभी धातुओं को गला कर बर्तन बनाए जा सकते हैं। और कुछ काम इतने जटिल होते हैं जो एक के अलबूते का न होने के कारण दो-दो कारीगर साथ-साथ मिलकर करते हैं।