Padma Awards List 2025: राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में 27 मई 2025 को आयोजित नागरिक अलंकरण समारोह में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने वर्ष 2025 के लिए 71 प्रतिष्ठित हस्तियों को पद्म पुरस्कार प्रदान किए। इस वर्ष कुल 139 व्यक्तियों को पद्म पुरस्कारों के लिए चुना गया, जिनमें से पहली समारोह में 71 को पुरस्कार दिए गए थे, और अब दूसरे चरण में 68 व्यक्तियों को सम्मानित किया गया।
पद्म पुरस्कार विजेताओं की सूची
पद्म विभूषण
- शारदा सिन्हा (मरणोपरांत, कला – लोक संगीत): बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका, भोजपुरी और मैथिली लोक संगीत में योगदान के लिए जानी जाती हैं। उनके पुत्र ने उनकी ओर से पुरस्कार ग्रहण किया।
पद्म भूषण
- शोभना (कला – सिनेमा): दक्षिण भारतीय सिनेमा में अपने अभिनय के लिए प्रसिद्ध अभिनेत्री।
- डॉ. बिबेक देबरॉय (मरणोपरांत, साहित्य और शिक्षा): प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और नीति सलाहकार, जिन्होंने आर्थिक नीतियों और कानूनी सुधारों में योगदान दिया।
- रामबहादुर राय (साहित्य और शिक्षा): वरिष्ठ पत्रकार, पत्रकारिता और साहित्य में उल्लेखनीय कार्य।
- साध्वी ऋतंभरा (सामाजिक कार्य): श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन में नेतृत्व के लिए जानी जाती हैं।
पद्म श्री
- मंदकृष्ण मडीगा (सामाजिक कार्य): मडीगा रिजर्वेशन पोराटा समिति (MRPS) के संस्थापक, दलित समुदाय के उत्थान के लिए कार्य।
- नागेंद्रनाथ रॉय (साहित्य और शिक्षा): राजबंगशी भाषा के साहित्यकार, कई पुस्तकों की रचना और अनुवाद।
- नारायण उर्फ भुलाई भाई (मरणोपरांत, सामाजिक कार्य): अनुसूचित जाति के उत्थान में योगदान।
- बतूल बेगम (कला – भजन और लोक मांड गायन): राजस्थान की लोक गायिका, लोक संगीत को बढ़ावा।
- शीन काफ निज़ाम (साहित्य और शिक्षा): राजस्थान के उर्दू कवि और साहित्यकार।
- भाई हरजिंदर सिंह जी (कला – रागी और शब्द गायन): सिख धार्मिक संगीत में योगदान।
- डॉ. विजयलक्ष्मी देशमाने (चिकित्सा): ऑन्कोलॉजी में योगदान।
समारोह का विवरण
समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। पुरस्कार कला, साहित्य, शिक्षा, खेल, चिकित्सा, और सामाजिक कार्य जैसे क्षेत्रों में योगदान के लिए दिए गए। पुरस्कारों की घोषणा 26 जनवरी 2025 को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर की गई थी।
विशेष उल्लेख
- शारदा सिन्हा का मरणोपरांत सम्मान लोक संगीत प्रेमियों के लिए भावनात्मक क्षण था।
- शोभना और मंदकृष्ण मडीगा के सम्मान से क्षेत्रीय योगदान को राष्ट्रीय पहचान मिली।
- समारोह ने भारत की सांस्कृतिक और सामाजिक समृद्धि को उजागर किया।