Pravasi Bhartiya Divas 2025 | प्रवासी भारतीय दिवस और उसका इतिहास

Pravasi Bhartiya Divas 2025 | प्रवासी भारतीय दिवस और उसका इतिहास

Pravasi Bhartiya Divas 2025 Kya hai, History : भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा प्रत्येक वर्ष 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विदेशों में प्रवास कर रहे भारतीयों को भारत से जुड़ने के लिए एक मंच देना, उनका सम्मलेन करना और प्रतिभाशाली लोगों को सम्मानित करना है। इस वर्ष 18वां प्रवासी भारतीय सम्मलेन ओड़िसा राज्य की साझेदारी में राजधानी भुवनेश्वर में 8 जनवरी से 10 जनवरी तक हो रहा है। हर साल के प्रवासी भारतीय दिवस की एक थीम होती है। इस साल की थीम है – “विकसित भारत के लिए प्रवासी भारतीयों का योगदान”

प्रवासी दिवस मनाए जाने का कारण – | Pravasi Bhartiya Divas 2025

आज के ही दिन 9 जनवरी 1915 को मोहनदास करमचंद गाँधी यानि महात्मा गाँधी, गोपाल कृष्ण गोखले के आग्रह से दक्षिण अफ्रीका लौटकर भारत आए थे। महात्मा गाँधी 1893 में एक केस के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका गए थे, और पूरे 21 साल बाद भारत लौट कर आए थे। महात्मा गाँधी ने अफ्रीका में रंगभेद के विरुध्द आंदोलन किया था। गांधी जब चौबीस वर्ष के युवा थे तब दक्षिण अफ्रीका गए और जब 45 वर्ष के थे तब लौटकर भारत आए, मुंबई के अपोलो बंदरगाह पर जब महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी पहुंचे तब हजारों कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया और लौटकर वापस आने के बाद उन्होंने देश की आज़ादी के लिए संघर्ष किया था, जिसका लंबा इतिहास है।

कब से मनाया जाना प्रारंभ हुआ –

प्रवासी भारतीय दिवस मनाने का निर्णय एल.एम. सिंघवी की अध्यक्षता में भारत सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों के अनुसार लिया गया था। भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 8 जनवरी 2002 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में एक सार्वजनिक समारोह में समिति की प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर 9 जनवरी 2002 को “प्रवासी भारतीय दिवस” ​​(पीबीडी) को मनाने की घोषणा की थी। चूंकि यह दिन 1915 में महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने के उपलक्ष्य में चुना गया था। 2003 में पहला प्रवासी दिवस सम्मलेन नई दिल्ली में आयोजित किया गया था। मॉरीशस के प्रधानमंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ इस सम्मलेन के मुख्य अतिथि थे। 2015 तक यह सम्मलेन प्रत्येक वर्ष मनाया जाता था। लेकिन उसी वर्ष सरकार ने हर दो वर्ष बाद यह सम्मलेन करने का निर्णय किया। इसके बाद अगला सम्मलेन 2017 में बेंगलुरु कर्नाटक में हुआ।

मनाए जाने का उद्देश्य –

प्रवासी भारतीय दिवस को मनाने का प्रमुख उद्देश्य देश के बाहर रह रहे भारत के प्रवासियों को, देश से जोड़ना तथा उनके ज्ञान, कौशल और विशेषज्ञता को विशाल मंच प्रदान करना है। प्रवासी भारतीयों को और देश के लोगों के बीच संवाद और संपर्क बनाने के लिए एक विस्तृत अवसर प्रदान करना और प्रवासी भारतीयों और देश के युवाओं के बीच कम्युनिकेशन बनाना। निवेश के अवसर को बढ़ावा देना इत्यादि प्रमुख हैं। देश के बाहर दूसरे देशों में बहुत सारे भारतीय मूल के लोग रहते हैं, जो प्रवासी भारतीय कहलाते हैं। ब्रिटिशकाल में बहुत सारे भारतीयों को गिरमिटिया बनाकर दूसरे देशों में ले जाया गया था, जो वहीं बस गए थे। इसी तरह बहुत से भारतीय बाद के समय में रोजगार इत्यादि के सिलसिले में दूसरे देशों में बस गए। इनमें से बहुत से भारतीय विदेशों में बहुत सफल उद्यमी हैं, कई सफल राजनेता हैं, प्रधानमंत्री और राष्ट्राध्यक्ष भी हैं। इन प्रवासियों की संख्या अच्छी-खासी है।

2025 का प्रवासी भारतीय सम्मलेन –

2025 का प्रवासी भारतीय सम्मलेन ओड़िसा के भुवनेश्वर में 8 जनवरी से 10 जनवरी तक हो रहा है। 8 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सम्मलेन का उद्घाटन किया।इस बार के आयोजन की मुख्यअतिथि हैं त्रिनिदाद और टोबैगो की राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू , हालांकि कंगालू ने इस सम्मलेन को वर्चुअली ही संबोधित किया, अपने संबोधन में उन्होंने भारत और यहाँ के लोगों की, दुनिया के विकास में योगदान के लिए सराहना की। दुनिया भर से हजारों प्रवासी भारतीय, इस सम्मलेन में शामिल होने के लिए आए हैं।

अब तक हुए सम्मलेन और उनके मुख्य अतिथि –

अब तक कुल सत्रह बार प्रवासी भारतीय सम्मलेन हो चुका है, 2025 के सम्मलेन को भी मिला लें तो अब तक में कुल अठारह प्रवासी भारतीय सम्मलेन हो जायेंगे। 2025 के सम्मलेन का आयोजन भुवनेश्वर में रहा है। जबकि पिछले सत्रह का आयोजन देश के विभिन्न शहरों में हुआ था। इनमें से 2003, 2004, 2007, 2008, 2010 और 2011 का सम्मलेन नई दिल्ली में, 2005 का मुंबई, 2006 का हैदराबाद, 2009 का चेन्नई, 2012 में जयपुर, 2013 में कोच्ची, 2015 में गांधीनगर, 2017 में बेंगलुरु, 2019 में वाराणसी और 2023 में इंदौर में हुआ। 2021 का सम्मलेन कोविड के कारण वर्चुअली नई दिल्ली में हुआ था। इन सम्मेलनों का मुख्य अतिथि विदेशों में महत्वपूर्ण पदों में रहने वाले भारतीय मूल के ही व्यक्ति होते हैं, अब तक के सम्मेलनों के मुख्यअतिथि निम्नलिखित रहें हैं –

  • 2003 में मॉरीशस के प्रधानमंत्री सर अनिरुद्ध जगन्नाथ,
  • 2004 में गुयाना के राष्ट्रपति भरत जगदेव,
  • 2005 में सूरीनाम के उपराष्ट्रपति जूल्स अजोधिया,
  • 2006 में दक्षिण अफ़्रीका के राजनीतिक कार्यकर्ता के अहमद कथराडा
  • 2007 में सिंगापुर के उप प्रधान मंत्री एस. जयकुमार
  • 2008 में मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम
  • 2009 में सूरीनाम के उपराष्ट्रपति राम सरदजो
  • 2010 में यूनाइटेड किंगडम से अल्फा अस्पताल समूह के अध्यक्ष खालिद हमीद
  • 2011 में न्यूजीलैंड के गवर्नर-जनरल सर आनंद सत्यानंद
  • 2012 में त्रिनिदाद और टोबैगो की प्रधान मंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर
  • 2013 में मॉरीशस के राष्ट्रपति राजकेश्वर ‘कैलाश’ पुरयाग
  • 2014 में मलेशिया के प्राकृतिक संसाधन और पर्यावरण मंत्री जी. पलानीवेल
  • 2015 में गुयाना के राष्ट्रपति डोनाल्ड रबिन्द्रनाथ रामोतार
  • 2017 में पुर्तगाल के प्रधानमंत्री एंटोनियो कोस्टा
  • 2019 में मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्राविंद जगन्नाथ
  • 2021 में सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिकाप्रसाद संतोखी
  • 2023 में गुयाना के राष्ट्रपति इरफ़ान अली

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *