ISRO का Chandrayaan-3 अब चांद से ज्यादा दूर नहीं है, 23 अगस्त की शाम 6:04 बजे यह चंद्रमा की सतह में Soft Landing करेगा
चंद्रयान-3 कहां तक पहुंचा: दो दिन बाद भारत और ISRO नया इतिहास रचने वाले हैं. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO द्वारा भेजा गया चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) चांद की सतह में लैंड होने वाला है. 20 अगस्त को चंद्रयान-3 का दूसरा और अंतिम डिबूस्टिंग ऑपरेशन सफल रहा. इस ऑपरेशन के बाद Chandrayaan-3 की चंद्रमा से अधिकतम दूरी 135Km और न्यूनतम दूरी सिर्फ 25 किमी रह गई.
ISRO ने अपनी ख़ुशी जाहिर करते हुए X.com (Twitter) में पोस्ट अपलोड किया। ISRO ने बताया कि अब लैंडर की इंटरनल जांच होगी और जबतक लैंडिंग साईट पर सूरज नहीं निकलता तबतक हमें इंतजार करना पड़ेगा। 23 अगस्त की शाम 6:04 बजे चंद्रयान 25 किमी की उंचाई से Soft Landing की कोशिश करेगा। चंद्रयान-3 को 25 किमी की ऊंचाई से चांद की सतह में लैंड करने में सिर्फ 15 मिनट लगेंगे। पूरे मिशन का सबसे क्रिटिकल समय यही होगा।
चांद पर अशोक स्तंभ की छाप छोड़ेगा Pragyan Rover
जब चांद में Chandrayaan-3 की सॉफ्ट लैंडिंग हो जाएगी, तब Vikram Lander से रैंप के जरिये 6 पहियों वाला Pragyan Rover सतह में उतरेगा। उसे ISRO से ऐसा करने के लिए कमांड भेजा जाएगा। जब प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की सतह में चलेगा तब इसके पहिए चांद की मिट्टी में भारत के राष्ट्रीय चिन्ह ‘अशोक स्तंभ और ISRO का Logo की छाप छोड़ते हुए आगे बढ़ेंगे।
चंद्रयान-3 चांद में उतरकर क्या करेगा
चंद्रयान-3 में Vikram Lander है, जिसे वैज्ञानिक डॉ विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है. Doctor Vikram Sarabhai को इंडियन स्पेक्स प्रोग्राम का जनक कहा जाता है. विक्रम लैंडर को Lunar Day यानि पृथ्वी के 14 दिनों के लिए बनाया गया है. इसमें कई सेंसर लगे हैं जो सेफ लैंडिंग में मदद करेंगे. इस लैंडर का वजन 1749 KG है.
Vikram Lander के अंदर तीन पेलोड्स हैं. RAMBHA-LP, ChaSTE और ILSA
RAMBHA-LP: ये सर्फेस प्लाज्मा डेंसिटी (Surface Plasma Density) और वक़्त के साथ होने वाले बदलावों को मापने का काम करेगा
ChaSTE: इसे Chandra’s Surface Thermophysical Experiment कहा जाता है जो चंद्रमा के पोलर रीजन के सतह के थर्मल प्रॉपर्टीज का पता लगाएगा
ILSA: इसे Instrument For Lunar Seismic Activity कहते हैं जो लैंडिंग साईट के आस-पास की सिस्मीसिटी को मापेगा।
Chandrayaan-3 में एक रोबोटिक व्हीकल है जिसका नाम रखा गया है Pragyan, यह 6 पहियों वाला एक Moon Rover है जिसमे कई यंत्र लगाए गए हैं. इसके माध्यम से चंद्रमा की सतह से अहम जानकारी निकाली जाएगी. यह चंद्रमा के एटमॉस्फियर के एलिमेंट्स कम्पोजिशन के बारे में जानकारी जुटाएगा. Pragyan Rover का वजह मात्र 26 किलो है. Vikram Lander की तरह इसकी लाइफ भी 14 दिनों की है
Pragyan Moon Rover में दो पेलोड्स लगाए गए हैं. APXS और LIBS.
APXS: इसका पूरा नाम Alpha Particle X-Ray Spectrometer है.
LIBS: इसका पूरा नाम Laser Induced Breakdown Spectroscope है. जो लूनर लैंडिंग साईट पर लूनर साइल (चांद की मिटटी) और लूनर रॉक्स (चंद्रमा के पत्थर) का परिक्षण करेगा।